नई दिल्लीः कृषि कानूनों को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है. चीफ जस्टिस ने कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं. हमें नहीं पता कि आपने कानून पास करने से पहले क्या किया. पिछली सुनवाई में भी बातचीत के बारे में कहा गया,
उन्होंने कहा कि क्या हो रहा है? कोर्ट ने किसान संगठनों को भी फटकारा है. जब सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों को Hold में रखने की बात कही और अन्य विकल्पों की ओर देखने के लिए कहा तो केंद्र सरकार ने साफ तौर पर कानून पर रोक का विरोध किया है.
कृषि कानून पर एक्सपर्ट कमेटी बनाएंगे : SC
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कृषि कानून के मसले पर दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन को लगभग 50 दिन पूरे होने को हैं. सरकार और किसान संगठनों में इस मसले पर कोई सहमति नहीं बनी है. दोपहर करीब डेढ़ बजे सुनवाई खत्म हो गई. इस दौरान आखिरी में कमेटी बनाने को लेकर बात हुई.
Farm laws: We are disappointed with the way the process is going, says the Chief Justice of India https://t.co/ig2wKKZuMO
— ANI (@ANI) January 11, 2021
सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई है. सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि दोनों पक्षों में हाल ही में मुलाकात हुई, जिसमें तय हुआ है कि चर्चा चलती रहेगी.
हालांकि, चीफ जस्टिस ने इसपर नाराजगी व्यक्त की.
कोर्ट ने सीधे-सीधे कहा कि इस मसले (किसान आंदोलन) का हल क्यों नहीं निकल रहा, गतिरोध क्यों नहीं खत्म हो रहा है?
Supreme Court ने आंदोलन को लेकर क्या टिप्पणी कि, सारी बातों को बिंदुवार समझिए-
सोमवार दोपहर को जब कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो कृषि कानूनों पर किसान संगठनों के रवैये और सरकार के मामला सुलझाने के प्रयासों को लेकर CJI ने निराशा जताई.
CJI ने केंद्र सरकार को फटकार लागते हुए कहा कि हम आपसे बहुत निराश है, आपने कहा कि हम बात कर रहे है क्या बात कर थे है किस तरह का निगोशिएशन कर रहे है? अटॉर्नी जनरल को रोकते हुए कहा कि जब हम आपसे क़ानून की संवैधानिकता के बारे में पूछा रहे हैं तो आप हमको उसके बारे बताइए, कानून के फायदे के बारे में मत बताइए.
Some people have committed suicide, old people and women are a part of the agitation. What is happening?, says CJI, and added that not a single plea has been filed that said that the farm laws are good https://t.co/H8CZyafrTH
— ANI (@ANI) January 11, 2021
CJI ने कहा कि हम ये नही कह रहे है कि आप कानून को रद्द करे. हम बहुत बकवास सुन रहे है कि कोर्ट को दखल देना चाहिए या नही. हमारा उद्देश्य सीधा है कि समस्या का समाधान निकले. हमने आपसे पूछा था कि आप कानून को होल्ड पर क्यों नही रख देते? कोर्ट ने कहा कि आखिर आप किस तरह का समझौता कर रहे हैं.
आपने कोर्ट को अजीब स्थिति में डाल दिया: CJI
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कानून से पहले एक्सपर्ट कमिटी बनी. कई लोगों से चर्चा की. पहले की सरकारें भी इस दिशा में कोशिश कर रही हैं.CJI ने कहा कि यह दलील काम नहीं आएगी कि पहले की सरकार ने इसे शुरू किया था. CJI ने कहा कि आपने कोर्ट को बहुत अजीब स्थिति में डाल दिया है.
Farm laws: Attorney General KK Venugopal says that the Court cannot stay legislation unless it finds that the law is passed without legislative competence and the law violates fundamental rights.
— ANI (@ANI) January 11, 2021
अटॉर्नी जनरल बोले, सिर्फ दो-तीन राज्यों में ही विरोध क्यों ? अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि किसी कानून पर तब तक रोक नहीं लगनी चाहिए जब वह पहली नज़र में असंवैधानिक या मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला न लगे. ऐसा कुछ इस मामले में नहीं है. अटॉर्नी जनरल ने ये भी कहा कि सिर्फ 2 से 3 राज्यों के कुछ लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं. आप विचार कीजिए कि बाकी राज्यों के लोग उनके साथ क्यों नहीं आए?
लोग कह रहे हैं कि हमें क्या सुनना चाहिए, क्या नहीं. लेकिन हम अपना इरादा साफ कर देना चाहते हैं, हल निकले. अगर आपमें समझ है तो कानून के अमल पर ज़ोर मत दीजिए. फिर बात शुरू कीजिए. हमने भी रिसर्च किया है.
आप अपनी दलील दीजिए, पुरानी बात मत कीजिए ः सुप्रीम कोर्ट
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि तमाम मामलों में कोर्ट ने संसद के कानूनों पर रोक नहीं लगाई है. इस बार भी ऐसा नहीं करना चाहिए. CJI ने कहा कि हमें उन मामलों की जानकारी है. आप अपनी दलीलें दीजिए. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बहुत बड़ी संख्या में किसान संगठन कानून को फायदेमंद मानते हैं.
The Union of India must take responsibility for all this. You (Centre) are bringing the laws and you can do it in a better manner, says CJI during hearing on farm laws pic.twitter.com/EklLcpAPKp
— ANI (@ANI) January 11, 2021
CJI ने कहा कि हमारे सामने अब तक कोई नहीं आया है जो ऐसा कहे. अगर एक बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि कानून फायदेमंद है तो कमिटी को बताएं. आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं. नहीं तो हम लगा देंगे. इस पर केंद्र सरकार ने साफ तौर पर कानून पर रोक का विरोध किया है.
अटॉर्नी जनरल बोले, सिर्फ दो-तीन राज्यों में ही विरोध क्यों ?
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि किसी कानून पर तब तक रोक नहीं लगनी चाहिए जब वह पहली नज़र में असंवैधानिक या मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला न लगे. ऐसा कुछ इस मामले में नहीं है. अटॉर्नी जनरल ने ये भी कहा कि सिर्फ 2 से 3 राज्यों के कुछ लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं. आप विचार कीजिए कि बाकी राज्यों के लोग उनके साथ क्यों नहीं आए?
हिंसा हुई तो किसकी जिम्मेदारी ः कोर्ट
कानून का समर्थन कर रहे किसान संगठनों के वकील पीएस नरसिम्हा ने कहा कि कुछ ही लोग विरोध कर रहे हैं. CJI ने कहा हो सकता है आपके क्लायंट और कई लोगों को कानून सही लगता हो लेकिन इससे मौजूदा समस्या का हल नहीं होगा. बेहतर है कानून पर रोक लगे और सब कमिटी के पास जाएं.
वकील पीएस नरसिम्हा ने कहा कि सरकार को कुछ समय दें. CJI ने कहा कि अगर हिंसा हुई तो किसकी ज़िम्मेदारी होगी? याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर कानून पर रोक से शांति होती है तो ठीक, लेकिन आंदोलन के दौरान वैंकुवर के संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस के बैनर दिख रहे हैं. इनको आंदोलन से बाहर कौन करेगा? आंदोलन को नियंत्रित रखना ज़रूरी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम पूरे कानून पर रोक लगा देंगे
याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सिर्फ कानून के विवादित हिस्सों पर रोक लगाइए. CJI ने कहा कि हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे. इसके बाद भी संगठन चाहें तो आंदोलन जारी रख सकते हैं. लेकिन क्या इसके बाद नागरिकों के लिए रास्ता छोड़ेंगे. हमें आशंका है कि किसी दिन वहां हिंसा भड़क सकती है.
हरीश साल्वे ने कहा कि कम से कम आश्वासन मिलना चाहिए कि आंदोलन स्थगित होगा. सब कमिटी के सामने जाएंगे. CJI ने कहा कि यही हम चाहते हैं. लेकिन सब कुछ एक ही आदेश से नहीं हो सकता. हम ऐसा नहीं कहेंगे कि कोई आंदोलन न करे. यह कह सकते हैं कि उस जगह पर न करें.
कमेटी बनाने पर हुई बात, सुनवाई खत्म
सुनवाई खत्म होने से ठीक पहले कमेटी बनाने को लेकर बात हुई. CJI ने इसके लिए पूर्व CJI का नाम सुझाया. कहा- क्या हम किसी पूर्व CJI को कमिटी के प्रमुख बनाएं. जस्टिस आरएम लोढ़ा का नाम कैसा रहेगा. दुष्यंत दवे ने कहा कि ठीक रहेंगे. CJI ने कहा कि क्या आप उनसे उनकी सहमति पूछेंगे? सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि हम भी सुझाव देंगे. कल तक समय दीजिए.
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