नई दिल्ली: वायुसेना का महाबली लड़ाकू विमान 'राफेल' तैनात हो गया है, तो वहीं चीन के सबसे विध्वंसक लड़ाकू विमान का नाम J-20 है. पाकिस्तान के पास अमेरिका से खरीदा गया लड़ाकू विमान F-16 है. लेकिन पाकिस्तान के F-16 को हमारे वायुवीर अभिनंदन ने मिग-21 से मार गिराया था.
राफेल का दम देखकर सदमे में चीन-पाकिस्तान
जहां तक बात चीन के J-20 की है तो शक्ति के मामले में रफाल J-20 पर कई गुना भारी पड़ेगा. रफाल और J-20, दोनों ही सिंगल सीटर फाइटर जेट हैं. दोनों ही विमान में दो इंजन हैं. लेकिन चीन के J-20 का मुख्य काम स्टील्थ फाइटर का है. चीन का दावा है कि उसका विमान रडार को धोखा दे सकता है. जबकि भारतीय वायुसेना का राफेल इन सब विशेषताओं के साथ मल्टीरोल यानी हरफनमौला है.
राफेल और J-20 दोनों विमान अटैक और निगरानी का काम करते हैं लेकिन रेंज की बात करें तो राफेल की रेंज करीब 3,700 किलोमीटर है, जबकि J-20 की रेंज लगभग 2700 किलोमीटर है यानी लंबी दूरी तक जाने में चीन का विमान रफाल से पीछे है.
बात करें Combat Radius की, तो इसका मतलब है कि लड़ाकू विमान अपने बेस से एक बार में कितनी दूरी तक जा सकता है. राफेल का Combat Radius 3 हज़ार 700 किलोमीटर है, जबकि J-20 का Combat Radius 3 हज़ार 400 किलोमीटर है.
राफेल में शक्तिशाली और भरोसेमंद M-88 इंजन
चीन अपने J-20 लड़ाकू विमानों के लिए अभी नई पीढ़ी का इंजन तैयार नहीं कर पाया है और अभी वो Russia के इंजन इस्तेमाल कर रहा है. जबकि राफेल में शक्तिशाली और भरोसेमंद M-88 इंजन लगा है.
राफेल में तीन तरह की घातक मिसाइल के साथ 6 लेज़र गाइडेड बम भी फिट हो सकते हैं. रफाल अपने वज़न से डेढ़ गुना ज़्यादा वज़न उठा सकता है जबकि J-20, अपने वजन से 1.2 गुना ज़्यादा वजन उठा सकता है. यानी रफाल अपने साथ ज़्यादा हथियार और ईंधन ले जा सकता है.
किसी से छिपी नहीं है राफेल की शक्ति
एक महत्वपूर्ण बात ये है कि युद्ध के मैदान में रफाल अपनी क्षमता दिखा चुका है. फ्रांस की वायुसेना और नौ सेना में राफेल पिछले 14 वर्ष से तैनात है. अफगानिस्तान, इराक, सीरिया और लीबिया में राफेल ने अपनी क्षमता दिखाई है. जबकि इसकी तुलना में चीन अपना J-20 लड़ाकू विमान 2017 में यानी सिर्फ तीन वर्ष पहले ही अपनी सेना में लेकर आया है.
राफेल किसी भी मौसम में ऑपरेट कर सकता है. राफेल की SCALP मिसाइलें 500 किलोमीटर दूर से ही किसी भी बंकर को नष्ट कर सकती हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि राफेल फाइटर जेट परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है.
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यानी एशिया में राफेल का कोई मुकाबला नहीं है और अगर राफेल को LAC पर तैनात किया गया, तो आप ये तय समझिए कि लद्दाख में राफेल के होने से चीन और पाकिस्तान दोनों का ब्लड प्रेशर बढ़ा रहेगा.
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