नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी हमेशा से चौंकाने वाले फैसले लेने के लिए जानी जाती है. राज्यों में मुख्यमंत्री बदलना हो या केंद्र में मंत्रिमंडल का विस्तार हो, हमेशा बीजेपी के फैसले हर किसी को चौंकाते हैं. ताजा घटनाक्रम गुजरात का है, जहां बीजेपी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए चर्चित चेहरों की जगह पहली बार के विधायक भूपेंद्र पटेल को चुना. जबकि उनका नाम मुख्यमंत्री के रेस में शामिल भी नहीं था.
उत्तराखंड में भी बीजेपी ने चौंकाया था
यह पहली बार नहीं है कि बीजेपी ने सभी अनुमानों को धता बताते हुए किसी नए चेहरे पर दांव लगाया हो, इससे पहले बीजेपी यही काम हिमालयी राज्य उत्तराखंड में कर चुकी है. मार्च 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा दिया था. इसके बाद बीजेपी ने सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत जैसे चर्चित नेताओं की जगह सांसद तीरथ सिंह रावत को सीएम पद की कमान सौंपी थी. हालांकि, तीरथ सिंह रावत की कुर्सी लंबे समय तक नहीं रही और जुलाई में उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया.
इसके बाद फिर से सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, धन सिंह रावत का नाम मुख्यमंत्री की रेस में रहा, लेकिन बीजेपी ने फिर से हर किसी को चौंकाया और युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को राज्य का नेतृत्व सौंपा. जबकि पुष्कर सिंह धामी कभी मंत्री भी नहीं रहे थे.
विजय रुपाणी बने थे सीएम
गुजरात विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले साल 2016 में आनंदीबेन पटेल ने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी थी. इसके बाद मुख्यमंत्री के लिए नितिन पटेल का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में था. इसकी वजह उनका पाटीदार समुदाय से ताल्लुक भी था.
हालांकि, तब बीजेपी ने विजय रुपाणी पर भरोसा जताया. अब विजय रुपाणी ने इस्तीफा दिया तो उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल व केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया का नाम चर्चा में था, लेकिन भूपेंद्र पटेल को राज्य की कमान देकर बीजेपी ने फिर से चौंकाया.
यह भी पढ़िएः Gujrat CM Bhupendra Patel: जानिए कौन हैं भूपेंद्र पटेल, जिन्हें मिली गुजरात सीएम की कुर्सी
पार्टी के भीतर न पैदा हो असंतोष
सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री बदलने में बीजेपी चर्चित चेहरों की जगह लो प्रोफाइल नामों पर क्यों भरोसा करती है. चुनाव से पहले एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को निष्प्रभावी करने के लिए पार्टी सीएम बदलने का दांव खेलती है. इस दौरान पार्टी को यह भी ध्यान रखना होता है कि नेतृत्व परिवर्तन पार्टी के भीतर असंतोष न पैदा कर दे. चर्चित चेहरों की अपनी लॉबी होती है, ऐसे में किसी एक को कमान देने से दूसरा धड़ा नाराज हो सकता है और इसका खामियाजा पार्टी को चुनाव में उठाना पड़ सकता है.
यह भी पढ़िएः Gujrat: आखिर पटेल को ही सीएम बनाना क्यों है बीजेपी की मजबूरी? मोदी कैसे थे इससे अलग
भविष्य पर रहती है नजर
गैर चर्चित नेता पर दांव लगाकर पार्टी जनता के बीच यह संदेश देना चाहती है कि वह विकास को लेकर संजीदा है और इसमें किसी भी तरह की ढिलाई उसे बर्दाश्त नहीं है. ऐसा करके पार्टी पुराने नेतृत्व से जुड़े सभी विवादों को ठंडा कर देती है और जनता के बीच अपनी सख्त छवि बरकरार रखने की कोशिश करती है. जनता की नजर भी नए नेतृत्व पर टिक जाती है. वहीं, नए नेतृत्व के सफल होने पर पार्टी को भविष्य के लिए एक नेता भी मिल जाता है.
यह भी पढ़िएः भूपेंद्र पटेल होंगे गुजरात के नए सीएम
पार्टी के लिए कम नुकसान वाला सौदा
जानकारों का कहना है कि गैर चर्चित चेहरे पर दांव लगाना पार्टी के लिए कम नुकसान का सौदा होता है. अगर चुनाव में पार्टी को सफलता नहीं मिलती है तो सवाल नए नेतृत्व की कार्यशैली और रणनीति पर उठते हैं. साथ ही हार का ठीकरा भी उसके सिर फोड़ा जाता है. उस वक्त यह कहना आसान होता है कि नए नेतृत्व में अपरिपक्वता थी और वह जननेता नहीं थे.
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.