चाक-चौबंद सुरक्षा के बावजूद कैसे हुआ ड्रोन हमला? पढ़िए पूरी कहानी

जम्मू में पाकिस्तान की सीमा से सिर्फ 14 किमी दूर स्थित भारतीय वायुसेना के स्टेशन पर आतंकी हमला हुआ. इस हमले में जानमाल का नुकसान भले ही नहीं हुआ, लेकिन पहली बार भारत में ड्रोन से टेरर अटैक हुआ है. आतंकी ड्रोन के निशाने पर भारतीय वायुसेना का लड़ाकू हेलीकॉप्टर Mi-17 था. ऐसे में ये किसकी लापरवाही का नतीजा है?

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jun 28, 2021, 08:40 AM IST
  • पहली बार भारत में ड्रोन से टेरर अटैक!
  • आतंकी ड्रोन के निशाने पर वायुसेना का Mi-17?
चाक-चौबंद सुरक्षा के बावजूद कैसे हुआ ड्रोन हमला? पढ़िए पूरी कहानी

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में इंडियन एयरफोर्स स्टेशन पर आतंकियों ने ड्रोन से हमला किया. ये जानकारी सामने आ रही है कि आतंकी ड्रोन के निशाने पर भारतीय वायुसेना का युद्धक हेलीकॉप्टर था.

युद्धक हेलीकॉप्टर MI-17 को उड़ाने का प्लान!

जिस युद्धक हेलीकॉप्टर को उड़ाने के लिए आतंकियों ने ड्रोन से हमला किया, वो भारतीय वायुसेना का चॉपर MI-17 है. इसकी अधिकतम रफ्तार 250 किमी/घंटा है. जो 6000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है. इसके साथ ही दिन और रात में ऑपरेशन करने में सक्षम है. इसका इस्तेमाल 26/11 के ऑपरेशन में भी हुआ था.

आपको जानकर हैरानी होगी कि जम्मू में एयरफोर्स स्टेशन में आतंकी ड्रोन के टारगेट पर वायुसेना का यही हेलीकॉप्टर था. हालांकि आतंकी इसे टारगेट करने में नाकाम रहे, लेकिन ये जानकारी वाकई चौंकाने वाली है. और ये बात भी कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने पहली बार ड्रोन से टेरर अटैक किया.

एयरबेस के ATC टॉवर को भी उड़ाने की थी साजिश

आतंकी हमले में 2 ड्रोन का इस्तेमाल हुआ. आतंकियों  के निशाने पर Mi 17 लड़ाकू हेलीकॉप्टर थे. आतंकी एयरबेस के ATC टॉवर को भी उड़ाना चाहते थे

जम्मू-कश्मीर के DGP दिलबाग सिंह ने कहा कि पुलिस और IAF के साथ अन्य एजेंसियां भी मामले की जांच कर रही हैं. ऐसा पहली बार है, जब किसी आतंकी हमले में ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है.

कैसे रात के अंधेरे में आतंकियों ने किया अटैक?

रात करीब 1 बजकर 40 मिनट के आसपास पांच मिनट के अंदर ही दो ड्रोन से हमला हुआ. दूसरे ड्रोन से बम एयर फोर्स स्टेशन पर खड़े वायुसेना के हेलिकॉप्टर से कुछ दूरी पर ही गिरा और इस हमले में स्टेशन के टेक्निकल एरिया की एक बिल्डिंग को मामूली नुकसान पहुंचा. दो वायुसैनिक भी घायल हुए.

पहले ड्रोन का धमाका जम्मू एयरबेस के एयर ट्रैफिक कंट्रोल से 100 मीटर दूर हुआ, जबकि दूसरा धमाका भी Mi 17 हेलीकॉप्टर के हैंगर से कुछ मीटर की दूरी पर हुआ. सुरक्षा एजेंसियां इस बात से हैरान है कि एक ड्रोन पर 5 किलो TNT विस्फोटक लदा हुआ था. अगर ये विस्फोट हो जाता था तो एयरबेस को काफी बड़ा नुकसान हो सकता था.

किसकी लापरवाही का नतीजा है ये हमला?

अब जरा सोचिए कि पाकिस्तान से सटे जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन से हमला कर दिया जाए, तो लापरवाही से जुड़े सवाल तो उठेंगे ही. ये बिल्कुल सच है कि किसी भी वायुसेना स्टेशन के आस पास परिंदा भी पर नहीं मार पाता है. सुरक्षा का स्तर इतना पुख्ता होता है कि ऐसे हमले की कल्पना भी नहीं की जा सकती.

एयर डिफेंस सिस्टम और रडार और आधुनिक कैमरों से हर पर निगरानी की जाती है. पूरा इलाका अभेद किले की तरह होता है. ऐसे में एक नहीं दो-दो ड्रोन वायुसेना स्टेशन एरिया में प्रवेश कर जाते हैं, बम से हमला कर देते हैं और सारे तकनीक और आधुनिकी धरे के धरे रह जाते हैं. वो भी 5 किलो विस्फोटक लदे हुए ड्रोन...

अब यहां एक बात और समझने की जरूरत है. वायुसेना के स्टेशन से पाकिस्तान सीमा की दूर 14 किलोमीटर है. ड्रोन से रिमोट की रेंज इतनी ज्यादा हो इस बात पर यकीन कर पाना बेहद मुश्किल है. ऐसे में रिमोट कंट्रोल करने वाला शख्स निश्चित तौर पर एक-दो किलोमीटर के दायरे में रहा होगा. इस पूरे वाकये को देखकर ये सवाल उठना तो लाजमी है कि क्या ये सुरक्षा एजेंसियों की लापरवाही का नतीजा नहीं है?

हमले में 2 संदिग्ध किए गए गिरफ्तार

जम्मू पुलिस ने एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन अटैक को आतंकी हमला मानते हुए केस दर्ज किया है. आतंकी हमले के बाद से एयरफोर्स के उच्च अधिकारियों की टीम, जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना और CPRF के अधिकारी इस हमले की जांच कर रहे हैं. इस हमले में 2 संदिग्ध गिरफ्तार किए गए.

बड़ी जानकारी ये भी सामने आई कि आतंकियों ने एयरफोर्स स्टेशन से सिर्फ पांच किलोमीटर दूर रहकर ड्रोन अटैक किया. ड्रोन से विस्फोटक को एयरफोर्स स्टेशन के अंदर गिराया. हालांकि इस बात की भी जांच हो रही है कि कहीं एयरबेस पर हमले के लिए ड्रोन का इस्तेमाल का सीमा पार से तो नहीं हुआ था? क्योंकि इस एयरफोर्स स्टेशन से पाकिस्तान की सीमा सिर्फ 14 किमी. ही है.

रक्षा विशेषज्ञ विंग कमांडर प्रफुल्ल बख्शी (रिटा.) ने भी ऐसा ही सवाल उठाया और कहा कि 'सवाल पैदा होता है ड्रोन कहा से आया कौन कंट्रोल कर रहा था, ये इंडिया के अंदर से हुआ है. ये एक किस्म से रिमोट कण्ट्रोल ड्रोन नजर आता है और अपने इलाके के अंदर ही कोई टीम बैठी है.'

राजनाथ सिंह ने एच.एस. अरोड़ा से ली जानकारी

हमले के कुछ ही देर बाद NIA की टीम शुरुआती जांच के लिए एयरफोर्स स्टेशन पहुंच चुकी थी. सूत्र बताते हैं कि इस आतंकी हमले की जांच आगे राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी कर सकती है. एयरफोर्स पर ड्रोन हमला कितना बड़ा है अंदाजा इस बात से लगाइए कि लद्दाख दौरे पर पहुंचे रक्षामंत्री ने वाइस एयर चीफ एयर मार्शल मार्शल एच. एस. अरोड़ा से पूरे हालात की जानकारी ली. बांग्लादेश दौरे पर गए वायुसेना प्रमुख वहां से पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं. उन्होंने बांग्लादेश से ही घायल वायुसैनिकों से बात की.

पुलिस ने 5 किलो IED के साथ आतंकी को पकड़ा

जम्मू में आतंकी साजिशों का ये अंत नहीं था. एयरफोर्स स्टेशन पर हमले के बाद दिन में खबर ये भी आई कि जम्मू पुलिस ने शहर में 5 किलो IED बरामद किया. ये विस्फोटक लश्कर के एक संदिग्ध से मिला. संदिग्ध इसे किसी भीड़भाड़ वाले इलाके में प्लांट करने वाला था. पुलिस इस मामले में संदिग्ध आतंकी को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है.

यहां समझने वाली बात क्या है वो आपको बताते हैं. ड्रोन अटैक का मतलब ये है कि आतंकी बहुत हाईटेक हो चुके हैं और उन्हें भारत में आसमानी साजिशों के लिए पाकिस्तान की सेना का पूरा सहयोग मिल रहा है. इसलिए भारतीय वायुसेना को अब और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.

दूसरी बात ये है कि जमीन पर आतंकियों का एनकाउंटर ताबड़तोड़ हुआ है और सीमा पर आतंकी घुसपैठ भी सफल नहीं हो पा रही है. इसीलिए आतंकवादी अब आसमानी साजिश रच रहे हैं.

तीसरी बात ये भी है कि जम्मू-कश्मीर में अमन चैन से आतंकी संगठन और पाकिस्तान दोनों बेचैन हैं. साजिशों की नापाक दाल नहीं गल पा रही है. इसीलिए हमलों के लिए के नये और हाईटेक तरीके आजमाए जा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- Jammu में एयरफोर्स स्टेशन ब्लास्ट के बाद पठानकोट में हाई अलर्ट

इससे पहले पठानकोट एयरबेस को बनाया था निशाना

सीमा से इतने करीब एयरफोर्स पर आतंकी हमले का ये पहला मामला नहीं है. करीब साढ़े 5 साल पहले पाकिस्तान की सीमा के नजदीक पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर 2 जनवरी 2016 को आतंकी हमला हुआ था. तब एयरफोर्स में आतंकी घुस गए थे, लेकिन इस बार जम्मू में आतंकियों ने एयरबेस में दाखिल होने की बजाए आसमान से ही हमला कर दिया.

पिछले कुछ समय से सीमा पार बैठे आतंकवादी ड्रोन को हथियारों की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. पहले ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से पंजाब में नशीले पदार्थों की तस्करी होती थी. फिर धीरे-धीरे आतंकवादी ड्रोन के जरिए हथियारों और बम बारूद भी भारत की सीमा में भेजने लगे.

पाकिस्तानी ड्रोन से हो रही थी हथियारों की सप्लाई

इसी साल मई में जम्मू के सांबा जिले में पाकिस्तान से आए ड्रोन  से AK 47, पिस्टल और हथियार गिराए गए थे. 19 जून को जम्मू के ही कठुआ जिले में पाकिस्तानी सीमा से आए ड्रोन ने भारतीय सीमा में हथियार और ग्रेनेड गिराए थे.

पिछले साल भी कई बार पंजाब और जम्मू की सीमा से सटे इलाकों में पाकिस्तान की ओर से ड्रोन से हथियार गिराए थे, लेकिन हर बार उनके भेजे हथियार सुरक्षाबलों ने पकड़ लिए. लेकिन रविवार की रात आतंकवादियों ने ड्रोन से एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाने की कोशिश की. एक नहीं बल्कि दो-दो ड्रोन के जरिए जम्मू एयरबेस पर हमला करने की बड़ी साजिश थी.

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