'किसी और देश से ज्यादा सुरक्षित हैं भारत के मुसलमान'

जेनेवा में चल रही मानवाधिकार काउंसिल में भारत की तरफ से भाग लेने गए प्रतिनिधियों ने नागरिकता संशोधन कानून(CAA) पर अपना पक्ष मजबूती से रखा है. उन्होंने इस मुद्दे पर चलाए जा रहे प्रोपगैंडा का सटीक जवाब दिया. इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ पत्रकार एम.जे.अकबर और इमाम संगठन के प्रमुख अहमद इलियासी कर रहे हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 29, 2020, 04:55 PM IST
    • जेनेवा में भारत ने सुनाई खरी खरी
    • यूरोपियन यूनियन के आरोपों का दिया जवाब
    • CAA पर उठे हर सवाल का भारतीय प्रतिनिधियों ने दिया जवाब
    • CAA को भारत के हित में बताया
    • पाकिस्तान के प्रोपगैंडा की हवा निकली
'किसी और देश से ज्यादा सुरक्षित हैं भारत के मुसलमान'

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून भारत के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है. इसके खिलाफ चलाए जा रहे दुर्भावनापूर्ण प्रचार के झांसे में यूरोपियन यूनियन की संस्थाओं के आने का भी खतरा पैदा हो गया है. जिसे देखते हुए यूरोपियन यूनियन के सामने भारत का पक्ष रखने के लिए जेनेवा में मानवाधिकार काउंसिल के सामने प्रतिनिधिमंडल गया हुआ है.

भारतीय मुसलमानों की स्थिति बेहतर
भारत का पक्ष रखते हुए पूर्व विदेश राज्य मंत्री और बीजेपी सांसद एम.जे. अकबर ने बताया कि 'भारत में सभी धर्म के लोगों के पास बराबर के अधिकार हैं और यही भारतीय संविधान का आधार है. अकबर ने कहा कि 'भारत की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसकी बहुलता है. हमारा संविधान  धर्म की परवाह किए बिना सभी को समान अधिकार देता है. भारतीय मुसलमान भी किसी अन्य धार्मिक समुदायों की ही तरह भारत के नागरिक हैं.'


 
इमाम प्रमुख ने भी CAA का समर्थन किया
पूरे देश के इमाम संगठन के प्रमुख मौलाना अहमद इलियासी भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के तौर पर गए हुए हैं. वह नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के प्रबल समर्थक हैं. उन्होंने कहा कि 'भारत में दुनिया में मुसलमानों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है. भारत का धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र सभी को समान नागरिकता प्रदान करता है.  उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि उसे भारत के आंतरिक मामलों में दखल देना बंद कर देना चाहिए. भारतीय मुसलमान पूरी दुनिया में फैले हुए हैं.

भारतीय पक्ष के तर्क से यूरोपियन यूनियन हुई संतुष्ट
भारतीय पक्ष का तर्क सुनने के बाद यूरोपीय संसद के सदस्य फुल्वियो मार्टुसिएलो ने बयान दिया कि नागरिकता संशोधन कानून उवन लोगों को चुनावी और शैक्षिक जैसे कई अधिकार प्रदान करता है जो जो अपने मूल देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं.

उधर दक्षिण एशिया डेमोक्रेटिक फोरम के प्रमुख और यूरोपीय संसद के पूर्व सदस्य पाउलो कसाका ने तो यूरोपियन यूनियन पर साफ तौर पर आरोप लगाया कि उसके कुछ संस्थान घृणा और अराजकता को बढ़ावा दे रहे हैं.  उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ को भारत में हस्तक्षेप करने से पहले अपनी सीमाओं पर इकट्ठा शरणार्थियों के प्रति अपना रवैया बदलना चाहिए.

यूरोपीय यूनियन के दक्षिण एशिया विशेषज्ञ ब्रायन टोल ने भारतीय संविधान की विशेषताएं गिनाते हुए कहा कि भारतीय संविधान अपने हर नागरिक को धर्म, पंथ या जाति से निरपेक्ष होकर समान अवसर प्रदान करता है. संपूर्ण विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जिसने सभी संस्कृतियों, धर्मों के लोगों को खुले दिल से स्वीकार किया है.

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