संसद पर कब्जे की साजिश रच रहा था खालिस्तानी गैंग?

किसान आंदोलन (Farmer Protest) की आड़ में देश को तोड़ने की साजिश रची गई. आंदोलन में एंट्री से पहले खालिस्तानी (Khalistani) गैंग ने इस साजिश को अंजाम तक पहुंचाने का खाका विदेशों में बैठकर तैयार किया.और फिर पूरी तैयारी के साथ अन्नदाता आंदोलन में घुसपैठ की. अब इस साजिश की परतें सरकार देश की सर्वोच्च अदालत में खोलने जा रही है.

Written by - raghunath saran | Last Updated : Jan 13, 2021, 12:34 PM IST
  • अन्नदाता आंदोलन में खालिस्तानी गैंग
  • आंदोलन में घुसपैठ के पांच सबूत
संसद पर कब्जे की साजिश रच रहा था खालिस्तानी गैंग?

नई दिल्ली: मोदी विरोध के नाम पर अराजकता की राजनीति चमकाने वाले जो चेहरे खालिस्तानी गैंग की इस खतरनाक साजिश को जान-बूझकर नजरअंदाज कर रहे थे. अब वो भी सवालों के घेरे में आने वाले हैं. क्योंकि खालिस्तानी गैंग की साजिश के निशाने पर देश का गणतंत्र था, संसद पर कब्जे की साजिश थी. इस खतरनाक साजिश को अंजाम देने के लिये उन्होंने बेहद शातिराना अंदाज में अन्नदाता आंदोलन में घुसपैठ की.

खालिस्तानी (Khalistan) गैंग की इस नापाक साजिश का कच्चा चिट्ठा ज़ी हिन्दुस्तान पूरे सबूतों के साथ खोल रहा है. जो सनसनीखेज सबूत सामने आए हैं, वो बता रहे हैं कि इसकी स्क्रिप्ट पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर ब्रिटेन और कनाडा में लिखी गई. खालिस्तानी गैंग के प्यादे उसे अंजाम देने के लिये किसानों के वेश में अन्नदाता आंदोलन में घुसे. सामान, सुविधा और पैसे की मदद की आड़ में प्रदर्शनकारी किसानों और उनसे हमदर्दी रखने वालों का दिल जीता. और सरकार के खिलाफ उकसावे को हवा देकर आंदोलन को हाईजैक करते चले गए.

पांच बड़े सबूत अबतक सामने आ चुके हैं, जो खालिस्तानी गैंग की इस खतरनाक साजिश पर मुहर लगा रहे हैं.

आंदोलन में खालिस्तान गैंग - सबूत नंबर 1

सबसे बड़ा सबूत तो खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू का कबूलनामा है. जनवरी के चौथे-पांचवें दिन किसान आंदोलन में सर्कुलेट किया गया वो वीडियो है, जिसमें ट्रैक्टर मार्च की आड़ संसद पर कब्जे की साजिश का पूरा प्लान है, उकसावा है.

खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह (Gurpatwant Singh) पन्नू का वो वीडियो अब पब्लिक डोमेन में आ चुका है. उस वीडियो में क्या कहा गया, वो भी जान लीजिए.

पन्नू ने प्रदर्शनकारी किसानों से कहा कि 'सिख फॉर जस्टिस आपके लिये कमर कस के खड़ी है. हिन्दुस्तान के बाहर का सिख आपकी मदद के लिये ही बैठा है. पंजाब की आजादी का संकल्प लेकर हम भी आपके साथ खड़े हैं. 6 से 7 जनवरी को आप सिख जस्टिस को इन नंबरों पर कॉल कीजिए. हम सिंघु बॉर्डर पर खड़ी हर ट्रैक्टर ट्रॉली के लिये दस हजार रुपये देंगे. क्योंकि जो हमारी आजादी का संकल्प है, जो किसान कानून है, वो घर वापस जाने से पूरा नहीं होगा.'

आपको बता दें कि खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कनाडा और ब्रिटेन को अपना ठिकाना बनाया हुआ है...और वहां बैठकर पाकिस्तान की मदद से हिन्दुस्तान के खालिस्तानी मूवमेंट को फिर से जिंदा करने की कोशिश में जुटा है. अन्नदाता आंदोलन में मुट्ठी भर-भरकर काजू-किशमिश-बादाम बांटे जाने के वीडियोज आपने जरूर देखे होंगे. प्रदर्शनकारी किसानों की जरूरतें पूरी करने के लिये आधुनिक सुविधाओं का इंतजाम भी देखा होगा. दिल्ली बॉर्डर से लगे हाइवे पर प्रदर्शनकारी किसानों को फ्री में सामान मुहैया कराने के लिये मॉल, जिम, मालिश, सलून का चमकदार इंतजाम देखा होगा, इसका इंतजाम खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह के संगठन सिख फॉर जस्टिस ने किया था.

सिख फॉर जस्टिस की आड़ में ही पंजाब को हिन्दुस्तान से तोड़कर खालिस्तान बनाने की साजिश को दुनिया भर में हवा दी जा रही है. साल 2020 में इसके लिए खासतौर से रेफरेंडम 2020 अभियान भी शुरू किया गया. मई-जून में पंजाब में शुरू हुए किसान आंदोलन को इसी साजिश के तहत टारगेट किया गया. और दिल्ली की घेराबंदी के लिये किसानों को उकसाया गया.

26 जनवरी के दिन दिल्ली के राजपथ पर ट्रैक्टर मार्च निकालने का आइडिया दरअसल खालिस्तानी गैंग की ही था.और ट्रैक्टर मार्च (Tractor March) के जरिये दिल्ली में संसद को बंधक बनाने की खतरनाक साजिश की जा रही थी. इस बात की तस्दीक खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू का वीडियो ही कर रहा है. उस वीडियो में खालिस्तानी आतंकी पन्नू कहता सुनाई दे रहा है कि -'पंजाब को आजाद करवाना है तो दिल्ली पर काबिज होना पड़ेगा. जहां संसद बनी हुई है. वो सिखों की जमीन थी. तो वहां सिखों का ही कब्जा होना चाहिए.'

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चौंकाने वाली बात तो ये है कि खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने वीडियो में जो कुछ कहा, वहीं बातें बाद में गुरनाम सिंह चढूनी जैसे कुछ किसान नेताओं के मुंह से सुनाई देने लगीं. आपको याद दिला दें कि किसान आंदोलन के मंच से चढूनी ने पिछले दिनों सरकार को चेतावनी देते हुए ये कहा कि - '26 तारीख तक मान जाएं, जो मानते हैं. वरना हमें ये फैसला न लेना पड़े कि 26 तारीख को यहां से कूच करेंगे और 26 तारीख का डेरा संसद के अंदर हो हमारा. साथियों केवल लड़ाई हमारे सामने है. 26 तारीख को इसे सिरे लगा दो.'

इसलिये सवाल उठ रहा है कि चढूनी जैसे नेताओं की जुबां पर ये उकसावा क्या महज संयोग है? या फिर इसके पीछे खालिस्तानी साजिश काम कर रही है. इसका जवाब तलाशना अब सरकार की जिम्मेदारी है.

आंदोलन में खालिस्तान गैंग - सबूत नंबर 2

अब किसान आंदोलन में खालिस्तानी घुसपैठ का दूसरा बड़ा सबूत.. हिन्दुस्तान से अलग खालिस्तान वाली एक तस्वीर सामने आई, जिसे प्रदर्शनकारी किसानों को समर्थन देने के नाम पर अन्नदाता आंदोलन में जारी किया गया. अलगाववाद को हवा देने वाला वो वीडियो सॉन्ग हिन्दुस्तान के सिस्टम और सरकार सेबगावत का उकसावा था.

सवाल तो ये है कि अन्नदाता आंदोलन को ऐसी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की जमीन बनाने की इजाजत किसान नेताओं ने कैसे दे दी? क्या आंदोलन में खालिस्तानी गैंग की सक्रियता को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया, या फिर मौन रहकर इसे सहमति दी गई?

आंदोलन में खालिस्तान गैंग - सबूत नंबर 3

अन्नदाता आंदोलन में खालिस्तानी गैंग ने बहुत खुफिया तरीके से घुसपैठ की. दुनिया को दिखाने के लिये पहले प्रदर्शनकारी किसानों को मदद की पेशकश की गई. फिर खालिस्तानी सोच को उकसाने वाले वीडियोज चोरी-छिपे सर्कुलेट किये गए. फिर बागी तेवर वाले ऐसे चेहरों की पहचान की गई, जिन्हें साजिश में चारे की तरह इस्तेमाल किया जा सकता था. फिर धीरे-धीरे किसान आंदोलन में इसकी झलक भी मिलने लगी. किसान आंदोलन से जुड़े वीडियो में अगर आप खंगालें तो उसमें खालिस्तान का समर्थन करते बहुत से चेहरे मिलेंगे.

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हद तो तब हो गई, जब 80 के दशक में अलगाववाद का जहर बोने वाले जनरैल सिंह भिंडरवाले (Jarnail Singh Bhindranwale) की एंट्री किसान आंदोलन के मंच पर हो गई. सात जनवरी को किसान आंदोलन में भिंडरांवाले और दूसरे खालिस्तानी आतंकियों को शहीद बताकर उनका महिमामंडन किया गया.खालिस्तानी सोच से जुड़ी किताबें बांटी गई. और उसी कार्यक्रम में सरकार और सिस्टम को खुली चुनौती दी गई.

इसके पहले से ही किसान आंदोलन में ऐसे टैटू सेंटर चल रहे थे, जिसमें प्रदर्शनकारियों के बदन पर मुफ्त में भिंडरांवाले का टैटू बनाया जा रहा था.

आंदोलन में खालिस्तान गैंग - सबूत नंबर 4

अन्नदाता आंदोलन में खालिस्तानी गैंग की एंट्री का चौथा सबूत पाकिस्तान के न्यूज चैनल एआरआई टीवी की डिबेट में सामने आया. जहां एक पाकिस्तानी एंकर कासिफ अब्बासी ने खालिस्तानी उकसावे को लेकर पाकिस्तान सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई की पोल खोल कर रख दी.

कासिफ अब्बासी ने बहस में मौजूद पाकिस्तान सरकार के मंत्री फवाद चौधरी (Fawad Chaudhry) की बोलती बंद कर दी. कासिफ अब्बासी ने फवाद चौधरी से कहा कि 'फॉल्ट लाइंस होती हैं ना.आप सिखों की फॉल्ट लाइन को ही इस्तेमाल करते हैं. आप सिखों को इस्तेमाल करते हैं.नागालैंड के नक्सलियों का इस्तेमाल करते हैं. न जाने कितनों को सपोर्ट किया है पाकिस्तान सरकार ने इतने सालों तक. उन्हें पाकिस्तान लाए, ट्रेनिंग दी. क्या बात करते हैं?'

ये बात दुनिया से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान की सरकार, फौज और वहां की खुफिया एजेंसी ISI ने किस तरह हिन्दुस्तान से भागे खालिस्तानी आतंकवादियों को पनाह दे रखा है.और उनका इस्तेमाल कर पंजाब में फिर खालिस्तानी आतंक को फिर से जिंदा करना चाहती है.

खालिस्तानी साजिश को हवा देने के लिये ही पाकिस्तान करतारपुर कॉरिडोर खोलने के लिये तैयार हुआ. करतारपुर कॉरिडोर कार्यक्रम में इमरान और बाजवा के साथ खालिस्तानी आतंकी गोपाल चावला की नजदीकियों ने ये राज खोला.और फिर करतारपुर साहिब के उद्घाटन कार्यक्रम में भिंडरांवाले और दूसरे खालिस्तानी आतंकियों की तस्वीर करतारपुर गुरुद्वारे में खासतौर से लगाकर पाकिस्तान ने खुद ब खुद इस पर मुहर लगा दी.

आंदोलन में खालिस्तान गैंग - सबूत नंबर 5

किसान आंदोलन की शुरुआत से ही खालिस्तानी गैंग कैसे पाकिस्तान सरकार से लगातार मदद मांग रहा था. खालिस्तानी गैंग के कई बड़े चेहरों के ऐसे वीडियो सबूत के तौर पर सोशल मीडिया में सामने आ चुके हैं.

ये तो अन्नदाता आंदोलन में खालिस्तानी गैंग की घुसपैठ के वो चंद सबूत हैं, जो दुनिया के सामने आ चुके हैं. सरकार आईबी की जो रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में बतौर सबूत रखने वाली है, उसमें तो अंदरखाने की न जाने कितनी बातें होगीं, न जाने कितने सबूत होंगे.

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