नई दिल्ली: उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव संकट के मद्देनजर नृसिंह मंदिर परिसर में स्थित भगवान बदरी विशाल के खजाने को लेकर अधिकारी चिंतित हैं कि इसे सुरक्षित रूप से कहां रखा जाए. हालांकि, मंदिर पदाधिकारियों ने दावा किया कि अभी मंदिर भू-धंसाव से सुरक्षित है.
कहां रखा जाएगा बदरीनाथ मंदिर का खजाना?
मदिर के पदाधिकारियों ने इस बात पर चर्चा शुरू कर दी है कि नगर पर संकट बढ़ने की स्थिति में बड़ी मात्रा में सोने और चांदी के अलावा चढ़ावा के रूप में प्राप्त अन्य सामान को कहां रखा जा सकता है. सर्वाधिक प्रभावित सिंहधार वार्ड और जेपी कॉलोनी के नृसिंह मंदिर से केवल आधा किलोमीटर की हवाई दूरी पर स्थित होना अधिकारियों की परेशानी को और बढ़ा रहा है.
सर्दियों में बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के साथ ही शीतकाल में छह माह के लिए बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का मुख्य कार्यालय बदरीनाथ से जोशीमठ नगर में नृसिंह मंदिर परिसर में आ जाता है. इसी के साथ भगवान बदरीनाथ का कोष और खजाना भी हर साल इस मंदिर में आ जाता है. यह परंपरा मंदिर समिति के गठन के समय से ही बनी हुई है.
नृसिंह मंदिर परिसद में अभी तक नहीं हैं कोई दरारें
मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने समाचार एजेंसी को बताया, 'नृसिंह मंदिर और उसके परिसर में अभी तक कोई दरारें नहीं हैं. लेकिन एहतियात के तौर पर हम एक वैकल्पिक योजना बना रहे हैं कि अगर जरूरी हुआ तो खजाने को कहां ले जाया जाए.'
उन्होंने कहा कि मुख्यरूप से जोशीमठ के समीप पीपलकोटी और पांडुकेश्वर जैसे स्थानों पर बातचीत हो रही है जहां मंदिर समिति के अतिथि गृह और आवास पहले से मौजूद हैं.
अजय ने कहा, 'हम भगवान विष्णु से प्रार्थना कर रहे हैं कि खजाना कहीं और ले जाने की नौबत ही न आये और विपदा टल जाए. भगवान बदरीनाथ के खजाने में 40-45 किलो सोना और 30-35 किलो चांदी के अलावा चढ़ावा के रूप में मिले अन्य सामान हैं.'
(इनपुट: भाषा)
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