नई दिल्लीः वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल भारत के अटॉर्नी जनरल (महान्यायवादी) के पद पर तीन महीने और बने रहने को लेकर सहमत हो गए हैं. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. उनका मौजूदा कार्यकाल 30 जून को समाप्त होना था.
केंद्र के अनुरोध पर माने वेणुगोपाल
सूत्रों के मुताबिक, केके वेणुगोपाल व्यक्तिगत कारणों की वजह से इस संवैधानिक पद पर बने रहने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन केंद्र सरकार के अनुरोध के बाद वह तीन महीनों के लिए भारत के शीर्ष कानून अधिकारी के पद पर और बने रहने के लिए सहमत हो गए हैं.
बता दें कि केके वेणुगोपाल कई अहम मामलों में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इसमें अनुच्छेद 370 को संवैधानिक चुनौती, धारा 124-ए के तहत देशद्रोह का केस शामिल है. केके वेणुगोपाल ने राफेल केस में भी सरकार का बचाव किया था.
जुलाई 2017 में मुकुल रोहतगी की जगह हुई थी नियुक्ति
वेणुगोपाल (91) को भारत के राष्ट्रपति की तरफ से जुलाई 2017 में देश के महान्यायवादी के पद पर नियुक्त किया गया था. बाद में उन्हें इस पद पर दोबारा नियुक्त किया गया. उन्होंने मुकुल रोहतगी की जगह ली थी.
उच्चतम न्यायालय के प्रख्यात अधिवक्ता वेणुगोपाल ने बड़ी संख्या में संवैधानिक और कॉर्पोरेट कानून के महत्वपूर्ण मुद्दों से जुड़े मामलों में अपनी सेवाएं दी हैं. वह साल 1972 में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील बने.
पद्म विभूषण से सम्मानित हैं केके वेणुगोपाल
इसके बाद वह 1979 और 1980 के बीच भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भी रहे. उन्हें 2002 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है. साल 1931 में जन्मे वेणुगोपाल के पिता एमके नांबियार भी एक अनुभवी बैरिस्टर थे.
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