'पश्चिम बंगाल में काम नहीं कर रहीं ज्यादातर फास्ट ट्रैक कोर्ट', केंद्र का ममता सरकार पर पलटवार

सीएम ममता को लिखे खत में अन्नपूर्णा देवी ने महिला हेल्पलाइन (WHL), आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ERSS) और ‘चाइल्ड हेल्पलाइन’ जैसी प्रमुख आपातकालीन हेल्पलाइन को लागू करने में ‘विफल रहने के लिए’ पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना की. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 26, 2024, 04:59 PM IST
  • केंद्र का ममता पर पलटवार.
  • केंद्रीय मंत्री ने लिखा खत.
'पश्चिम बंगाल में काम नहीं कर रहीं ज्यादातर फास्ट ट्रैक कोर्ट', केंद्र का ममता सरकार पर पलटवार

नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुए रेप-मर्डर के मामले में विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. राज्य की सीएम ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खत लिखकर रेप के मामलों में सजा के लिए अलग सख्त कानून बनाने की मांग की थी. अब केंद्र ने इसके जवाब में कहा है कि राज्य में रेप और बाल यौन शोषण से जुड़ी 123 अदालतें हैं लेकिन ज्यादातर काम नहीं कर रही हैं. 

अन्नपूर्णा देवी ने दिया ममता का जवाब
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने महिलाओं और लड़कियों के लिए महत्वपूर्ण सुरक्षा उपायों को लागू करने में कथित विफलता के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि राज्य ने शेष 11 विशेष त्वरित अदालतें शुरू करने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया है, जबकि राज्य में बलात्कार और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून (पॉक्सो) के 48,600 मामले लंबित हैं.

क्या है केंद्र का तर्क
सीएम ममता को लिखे खत में अन्नपूर्णा देवी ने महिला हेल्पलाइन (WHL), आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ERSS) और ‘चाइल्ड हेल्पलाइन’ जैसी प्रमुख आपातकालीन हेल्पलाइन को लागू करने में ‘विफल रहने के लिए’ पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना की. उन्होंने हिंसा के पीड़ितों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए इन सेवाओं को आवश्यक बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कई बार स्मरण कराए जाने के बावजूद राज्य ने अभी तक उन्हें एकीकृत नहीं किया है.

केंद्र सरकार ने तर्क दिया है कि यह चूक पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों को संकट के समय जरूरी सहयोग से वंचित करती है. अन्नपूर्णा देवी ने यौन अपराधों से संबंधित मामलों के एक महत्वपूर्ण बैकलॉग के बावजूद केंद्र प्रायोजित योजना के तहत आवंटित विशेष त्वरित अदालतें संचालित करने में राज्य की असमर्थता का उल्लेख किया. महिला एवं बाल विकास मंत्री ने 25 अगस्त को लिखे पत्र में पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कानूनी ढांचे और न्यायिक प्रक्रियाओं को लागू करने की तात्कालिकता पर जोर दिया. 

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