कोलकाताः CBI ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के नेता फरहाद कीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा के साथ पार्टी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी को नारद स्टिंग मामले में कोलकाता में गिरफ्तार किया. अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी है. वहीं TMC नेताओं पर हुई इस कार्रवाई से बौखलाई सीएम ममता CBI दफ्तर पहुंची और कहा-मुझे भी गिरफ्तार करो.
CBI arrested 4 then ministers(Firhad Hakim, Subrata Mukherjee, Madan Mitra & Sovhan Chatterjee) of West Bengal govt in case related to Narada sting operation. CBI had registered instant case on April 16, 2017, on orders of Calcutta High Court: RC Joshi, Chief Information Officer pic.twitter.com/q4ZDye0EcM
— ANI (@ANI) May 17, 2021
सोमवार सुबह हुई गिरफ्तारी
नारद स्टिंग मामले में कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर पर पैसे लिए जाने के मामले का खुलासा हुआ था. अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी स्टिंग टेप मामले में अपना आरोपपत्र दाखिल करने वाली है.
West Bengal: Minister Firhad Hakim arrives at the CBI office in connection with Narada Scam. pic.twitter.com/tcyVDdIeUT
— ANI (@ANI) May 17, 2021
चारों नेताओं को सोमवार सुबह कोलकाता के निजाम पैलेस में सीबीआई कार्यालय ले जाया गया. इन नेताओं की गिरफ्तारी की खबरें आने के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने नेताओं के साथ सीबीआई कार्यालय पहुंच गईं.
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धनखड़ ने दी थी मुकदमे की मंजूरी
हकीम, मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी लेने के लिए सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का रुख किया था. वर्ष 2014 में कथित अपराध के समय ये सभी मंत्री थे.
धनखड़ ने चारों नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी जिसके बाद सीबीआई अपना आरोपपत्र तैयार कर रही है और उन सबको गिरफ्तार किया गया.
हकीम, मुखर्जी और मित्रा तीनों हालिया विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए हैं. वहीं, भाजपा से जुड़ने के लिए चटर्जी ने तृणमूल कांग्रेस छोड़ दी थी और दोनों खेमे से उनका टकराव चल रहा है.
यह था मामला
नारद टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए. यह टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के पहले सार्वजनिक हुआ था.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में मार्च 2017 में सीबीआई जांच का आदेश दिया था.
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