मुंबई: साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले और उस हमले में देश वासियों की जान बचाने में शहीद हुए जवानों को देश आज तक नहीं भूल सका है. हर साल उस आतंकी हमले की बरसी पर पूरा देश अपनी शाहदत देकर देश की आन, बान और शान कायम रखने वाले जवानों के बलिदान को याद करता है.
Icius Tukarami रखा है मकड़ी का नाम
इस आतंकी हमले के दौरान अपने शरीर पर 23 गोलियां खाकर भी आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में अहम भूमिका निभाने वाले मुंबई पुलिस के जवान तुकाराम ओंबले को जीव विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों ने एक अनोखा सम्मान दिया है.
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Second new species is Phintella cholkei, in remembrance of friend Kamlesh Cholke.
This species is distributed in Thane and Aarey Milk Colony in Mumbai.#TwitterNatureCommunity #WorldofWilds #Luv4Wilds @spiderdayNight #NewDiscoveries pic.twitter.com/haBWfLA7iy— Dhruv Prajapati (@Dhruv_spidy) June 27, 2021
महाराष्ट्र में हाल ही मिली मकड़ी की दो नई प्रजातियों का नामकरण करते हुए उनमें से एक का नाम Icius Tukarami रखा है.
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शोधपत्र में किया था इस नाम का जिक्र
पहली बार इस नाम का उपयोग मकड़ियों की खोज करने वाली शोधार्थियों की टीम ने इस बारे में प्रकाशित शोध में किया. इस रिसर्च पेपर का उद्देश्य मकड़ी की दो नई प्रजातियों से दुनिया को अवगत कराना था जो कि भारत के महाराष्ट्र में मिली हैं.
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Join me to introduce 2 new species of jumping spiders from Maharastra, India!
One species is dedicated to ASI Tukaram Omble, who coughed terrorist Kasab alive and took 23 bullets.
Presenting Icius tukarami from Thane, Maharashtra.@MumbaiPolice @arunbothra @ipskabra @IndiAves pic.twitter.com/CmirKBbmcL— Dhruv Prajapati (@Dhruv_spidy) June 27, 2021
इस शोध पत्र में रिसर्च करने वालों ने तुकाराम ओंबले के नाम पर मकड़ी का नाम रखे जाने के बारे में वर्णन करते हुए कहा, एक मकड़ी का नाम मुंबई आतंकी हमले के हीरो रहे एएसआई तुकाराम ओंबले के नाम पर रखा जिन्होंने अपने शरीर पर 23 गोलियां खाने के बाद भी आतंकी अजमल कसाब को जिंदा धर दबोचने में अहम भूमिका अदा की थी.
क्या हुआ था उस रात
26/11 की रात सीएसटी रेलवे स्टेशन को अपना निशाना बनाने के बाद अजमल कसाब और उसका सहयोगी इस्माइल खान ने कामा अस्पताल को अपना निशाना बनाया. दोनों आतंकी अस्पताल के पिछले दरवाजे पर पहुंचे लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों ने अंदर से सारे दरवाजे बंद कर दिए थे. लेकिन दोनों ने अस्पताल के बाहर घात लगाए बैठी पुलिस की टीम पर हमला बोल दिया जिसमें एटीएस चीफ हेमंत करकरे सहित 6 पुलिस कर्मी शहीद हो गए.
कैसे शहीद हुए थे तुकाराम
इसके बाद कसाब और इस्माइल खान ने गिरगांव चौपाटी की ओर रुख किया और वहां लोगों को निशाना बनाने की कोशिश की लेकिन सेना से रिटायर होने के बाद मुंबई पुलिस में शामिल होने वाले तुकाराम ओंबले ने उनकी एके-47 रायफल की बैरल पकड़ ली. तुकाराम के ऐसा करने से वहां तैनात अन्य पुलिस कर्मियों को पर्याप्त समय मिल गया जिससे कि वो कसाब को काबू में करके उसे जिंदा पकड़ सके.
लेकिन इस दौरान तुकाराम कसाब के सामने खड़े हो गए और अपने सीने पर कई गोलियां करीब से झेल लीं और अपने अन्य सहयोगियों की जान बचा ली. लेकिन उनकी इस वीरता के कारण कसाब को जिंदा गिरफ्तार किया जा सका और पाकिस्तान द्वारा इस हमले की साजिश रचने का भांडा फोड़ हो सका.
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वीरता के लिए मरणोपरांत हुए थे अशोक चक्र से सम्मानित
इस वीरता के कार्य के लिए तुकाराम ओंबले को साल 2009 में गणतंत्र दिवस के मौके पर मरणोपरांत शांति काल के सबसे बड़ी वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सम्मानित किया. गिरगांव चौपाटी पर जिस जगह तुकाराम शहीद हुए थे वहां पर उनकी मूर्ति लगाई गई है और उसे प्रेरणा स्थल नाम दिया गया है.
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