चंडीगढ: पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने हिरासत से जुड़े एक अहम मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया है कि ओपन कस्टडी को अवैध हिरासत में रखना नहीं कहा जा सकता. जस्टिस विनोद एस भारद्वाज की एकलपीठ ने ये व्यवस्था दी है.
बीएसएफ पर लगा अवैध हिरासत में रखने का आरोप
पाकिस्तान में आईएसआई केा खुफिया सूचनाए भेजने के आरोप में बीएसएफ ने एक आरोपी को पकड़ा था. बीएसएफ ने आरोपी को जब हिरासत में रखा तब आरोपी संदिग्ध की पत्नी ने स्वेच्छा से बीएसएफ की मणिपुर स्थित स्पेशल कोर्ट की सुनवाई में शामिल होने का फैसला लिया था. लेकिन आरोपी संदिग्ध के मित्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोपी संदिग्ध और उसकी पत्नी को बीएसएफ द्वारा अवैध हिरासत में रखने का आरोप लगाया.
हाईकोर्ट में दायर कि गयी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया कि बीएसएफ ने उसके मित्र और मित्र की पत्नी को अवैध हिरासत में रखा हैं. ऐसे में दोनो को रिहा किया जाये. याचिका में ये भी दावा किया गया कि कमांडिग ऑफिसर ने दोनों को अवैध रूप से बंधक बना रखा है.
बीएसएफ ने आरोपों से किया इनकार
वहीं याचिका का विरोध करते हुए बीएसएफ की ओर से कहा गया कि संदिग्ध पर आईएसआई को खुफिया जानकारी भेजने का इनपुट था. जिसे बाद में गिरफ्तार किया गया. जबकि उसकी पत्नी ने अपनी इच्छा से स्पेशल कोर्ट की सुनवाई में शामिल होने का फैसला किया था. ऐसे में अवैध हिरासत के आरोप गलत हैं.
दोनो पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने ओपन कस्टडी को अवैध हिरासत में रखा हुआ नहीं माना जा सकता. अदालत ने कहा कानून के मुताबिक फिजिकल अथव ओपन कस्टडी को अवैध हिरासत नहीं कहा जा सकता.
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