नई दिल्ली: इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान ने जब-जब हिन्दुस्तान की ओर आंख उठाने की कोशिश भी की है, उसे मुंह की खानी पड़ी है. बावजूद इसके वो हमेशा जंग-जंग का राग अलापकर अपनी गीदड़भभकी का परिचय देता रहता है. आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान अपने बुरे हालातों से निपटने के बजाय हिन्दुस्तान को युद्ध की धमकियां देता रहता है.
इमरान सरकार के कॉमेडी कैरेक्टर की एक और नादानी
इमरान खान की कैबिनेट के सबसे कॉमेडी कैरेक्टर शेख रशीद ने एक बार फिर भारत को जंग की गीदड़भभकी दी है. वही शेख रशीद जो अपने उटपटांग बयानों से पाकिस्तान की बेइज्जती करवाने में माहिर हैं. वो शायद हर बार ये भूल जाते हैं कि भारत की तरफ आंख उठाने की हर कोशिश में उनके मुल्क पाकिस्तान को परास्त होना पड़ा है.
पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद ने इस बार कहा है कि 'मैं ऐसे हालात देख रहा हूं हिंदुस्तान और पाकिस्तान में तनाव और बढ़ेगा. दूसरी तरफ हिंदुस्तान के मुसलमानों से मोदी आग और खून की होली खेल रही है. इससे पाकिस्तान और हिंदुस्तान के रिश्ते और तल्ख होंगे और शायद बहुत संजीदगी पैदा हो गए तो जंग की तरफ न ले जाए.'
कैसे खुल जाती है पाकिस्तान के हुक्मरान की जुबान?
पाकिस्तान के मंत्री ही नहीं उसके हुक्मरान इमरान खान और आर्मी चीफ की जुबान पर हर वक्त जंग की भाषा होती है. जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से पाकिस्तान बार-बार भारत को जंग की गीदड़भभकी दे रहा है. लेकिन यहां सवाल तो ये है कि उनकी जुबान आखिरकार इतनी जिल्लत झेलने के बाद खुल कैसे जाती है?
इमरान खान और उनके जो सिपहसलार भारत को ललकार रहे हैं. उन्हें अपनी इन करतूतों से पहले इतिहास के पन्नों को जरूर पलटना चाहिए. अब तक जितनी बार भी पाकिस्तान ने भारत से युद्ध की कोशिश की पाकिस्तान हर बार औंधे मुंह गिरा है.
हर बार परास्त हुआ है पाक
भारत और पाकिस्तान के बीच अबतक कुल 4 बार युद्ध हुए हैं, जिनमें हर बार पाकिस्तान बुरी तरह से परास्त हुआ है. बार-बार अपनी औकात देखने के बावजूद पाकिस्तान है कि मानता नहीं.
- 1947 में भारत ने पाकिस्तान की औकात दिखाई
- 1965 की जंग में हिन्दुस्तान ने पाक को धूल चटाई
- 1971 में बुरी तरह पिटा था पाकिस्तान
- 1999 के युद्ध में कहीं का नहीं रहा पाकिस्तान
जब नदियों के विवाद ने ले लिया युद्ध का रूप
भारत पाकिस्तान के बीच बंटवारे की जंग 1947 के वक्त से चल रहे नदियों के विवाद ने साल 1965 तक काफी बड़ा रूप धारण कर लिया था. 65 की जंग में भारत पाकिस्तान अखाड़े में अपना-अपना दम दिखाने के लिए उतरे थे. कच्छ सीमा के पास पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने हमला कर दिया, जिसके बाद मामले को संयुक्त राष्ट्र (UN) में उठाया गया. पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को उसकी कमजोरी समझ ली और कश्मीर में उपद्रव और तांडव शुरू कर दिया. इतना ही नहीं उस वक्त 5 अगस्त 1965 को पाकिस्तान ने लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर सेना तैनात कर दिया था. युद्ध का आगाज हो गया और संयुक्त राष्ट्र के दखल के बार इसपर लगाम लगी और ताशकंद घोषणा को जारी किया गया. ये लड़ाई 22 दिनों तक चली थी, जिसमें पाकिस्तान और तबाही की ओर गिर गया.
1965 की जंग में हिन्दुस्तान ने पाक को धूल चटाई
- इस युद्ध में पाकिस्तान के 150 टैंक तबाह हो गए
- करीब 3800 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक मारे गए
- 73 पाकिस्तानी वायुयानों को नेस्तानाबूत कर दिया गया
- 710 वर्ग मील पाकिस्तानी जमीन पर भारत ने कब्जा कर लिया
जब भारत ने बांग्लादेश को दिलाई आजादी
उस वक्त के पूर्वी पाकिस्तान में चुनाव के बाद बवाल शुरू हो गया था. साल 1971 में पूर्व बंगाल के शेख मुजीबुर रहमान को प्रमुख न बनाने की वजह से विवाद गहरा गया था. रहमान की पार्टी ने साल 1970 में हुए चुनावी नतीजों में 300 सीटों में से 160 सीटें जीती थीं. पाकिस्तानी नेता जेड. ए. भुट्टो और राष्ट्रपति याहया खान ने पूर्व बंगाल को अधिकार देने से इनकार कर दिया. इसी कड़ी में कायर पाकिस्तान ने अचानक भारत के कई हवाईअड्डों पर बमबारी शुरू कर दी. जिसके बाद पाकिस्तान और भारत के बीच आमने-सामने की जंग छिड़ गई. महज तेरह दिन के भीतर हिन्दुस्तान के शूरवीरों ने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखा दी.
1971 में बुरी तरह पिटा था पाकिस्तान
- पाकिस्तान ने भारत के सामने घुटने टेक दिए
- 93 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों ने सरेंडर किया
- 9 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक मारे गए
- भारत ने पाकिस्तान का मुख्य बंदरगाह धवस्त कर दिया
- पाकिस्तान के ईधन टैंक को भी नेस्तानाबूत कर दिया गया
- युद्ध में 94 पाकिस्तानी वायुसेना विमान नष्ट किए गए
- 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश स्वतंत्र देश बन गया
इसके बाद साल 1972 के जून माह में दोनों देशों के बीच शांति और व्यवस्था बहाली के लिए शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किया गया.
60 दिनों तक चले युद्ध में भारत का जलवा
साल 1999 में हुए युद्ध की सबसे बड़ी वजह जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले और नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान के सैनिकों और कश्मीरी आतंकवादियों की घुसपैठ थी. जिसके बाद तनाव बढ़ने का सिलसिला शुरू हो गया. भारतीय सीमा के अलग-अलग इलाके में घुसपैछ ने हर किसी को चौंका दिया था. भारतीय सेना ने इसके बार कारगिल क्षेत्र से दुश्मनों को खदेड़ने के लिए तत्कान प्रभाव से एक ऑपरेशन चलाया. जिसका नाम ऑपरेशन विजय रखा. द्रास-कारगिल क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटियों में से एक टाइगर हिल इस युद्ध का केंद्र बिंदु बना. 60 से अधिक दिनों तक चले इस जंग में भारत ने फतेह का झंडा फहराया.
1999 के युद्ध में कहीं का नहीं रहा पाकिस्तान
- भारत ने टाइगर हिल पर अपना कब्जा जमाया
- पाकिस्तानी सेना को उनकी सीमा में वापस खदेड़ा
- युद्ध में 600 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक मारे गए
- 1 युद्धबंदी के बनाने के अलावा 1 लड़ाकू विमान और 1 हेलिकॉफ्टर को ध्वस्त किया गया
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हर बार अपनी औकात देखने के बावजूद पाकिस्तान आंखें दिखाता रहता है. पाकिस्तान सरकार के मंत्री और हुक्मरान इमरान खान की गीदड़भभकी उनके ही मुल्क को तबाह करने की ओर ढकेल रहा है. 4 बार जंग के मैदान में परास्त होने के बाद भी पड़ोसी मुल्क की अक्ल ठिकाने नहीं आई.
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