मोइत्रा मामले में लोकसभा सचिवालय का SC को जवाब- संसद को न्यायिक हस्तक्षेप के बिना शक्तियों के प्रयोग की अनुमति

लोकसभा सचिवालय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सांसद के रूप में निष्कासन को चुनौती देने वाली तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की याचिका 'सुनवाई योग्य नहीं' है. शीर्ष अदालत में दायर एक जवाबी हलफनामे में लोकसभा सचिवालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 122 में एक रूपरेखा की परिकल्पना की गई है जिसमें संसद को न्यायिक हस्तक्षेप के बिना अपने आंतरिक कार्य करने और शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 12, 2024, 09:02 AM IST
  • कोर्ट ने लोकसभा महासचिव से मांगा था जवाब
  • कोर्ट ने अंतरिम अनुरोध पर नहीं दिया था आदेश
मोइत्रा मामले में लोकसभा सचिवालय का SC को जवाब- संसद को न्यायिक हस्तक्षेप के बिना शक्तियों के प्रयोग की अनुमति

नई दिल्लीः लोकसभा सचिवालय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सांसद के रूप में निष्कासन को चुनौती देने वाली तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की याचिका 'सुनवाई योग्य नहीं' है. शीर्ष अदालत में दायर एक जवाबी हलफनामे में लोकसभा सचिवालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 122 में एक रूपरेखा की परिकल्पना की गई है जिसमें संसद को न्यायिक हस्तक्षेप के बिना अपने आंतरिक कार्य करने और शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति है. 

कोर्ट ने लोकसभा महासचिव से मांगा था जवाब

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह टीएमसी नेता मोइत्रा की उस याचिका पर मई में सुनवाई करेगा जिसमें उन्होंने लोकसभा से अपने निष्कासन को चुनौती दी है. उनकी याचिका न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आयी. शीर्ष अदालत ने तीन जनवरी को निष्कासन को चुनौती देने वाली मोइत्रा की याचिका पर लोकसभा महासचिव से जवाब मांगा था. 

कोर्ट ने अंतरिम अनुरोध पर नहीं दिया था आदेश

पीठ ने उनके अंतरिम अनुरोध पर आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने अदालत से लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. लेकिन न्यायालय ने यह कहते हुए इसकी अनुमति नहीं दी कि यह उन्हें पूर्ण राहत देने के समान होगा. शीर्ष अदालत ने लोकसभा अध्यक्ष और सदन की आचार समिति को नोटिस जारी करने से भी इनकार कर दिया था. 

मोइत्रा को सदन से निष्कासित कर दिया गया था

मोइत्रा ने अपनी याचिका में दोनों को प्रतिवादी बनाया था. पिछले साल आठ दिसंबर को आचार समिति की रिपोर्ट पर लोकसभा में तीखी बहस के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ‘अनैतिक आचरण’ के लिए टीएमसी सांसद को सदन से निष्कासित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया. इस बहस के दौरान मोइत्रा को बोलने की अनुमति नहीं दी गई थी. 

जोशी ने कहा था कि आचार समिति ने मोइत्रा को ‘अनैतिक आचरण’ और सदन की अवमानना का दोषी पाया क्योंकि उन्होंने लोकसभा सदस्यों के लिए बने पोर्टल की जानकारी (यूजर आईडी और पासवर्ड) अनधिकृत लोगों के साथ साझा किए थे, जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ा था. 

समिति ने कानूनी जांच की भी सिफारिश की थी

समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि मोइत्रा के ‘अत्यधिक आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक आचरण’ को देखते हुए सरकार द्वारा तय समय सीमा के साथ एक गहन कानूनी और संस्थागत जांच शुरू की जाए. जोशी द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अशोभनीय पाया गया क्योंकि उन्होंने एक व्यवसायी के हितों को आगे बढ़ाने के लिए उससे उपहार और अवैध लाभ स्वीकार किये जो बहुत निंदनीय कृत्य है. 

निशिकांत दुबे ने लगाए थे आरोप

इससे पहले आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा मोइत्रा के खिलाफ दायर शिकायत पर समिति की रिपोर्ट पेश की थी. दुबे ने पिछले साल अक्टूबर में उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता जय अनंत देहद्रई द्वारा प्रस्तुत एक शिकायत के आधार पर आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने उद्योगपति गौतम अदाणी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से नकदी और उपहार के बदले में लोकसभा में सवाल पूछे थे. 

हीरानंदानी ने 19 अक्टूबर 2023 को आचार समिति को सौंपे गये अपने हलफनामे में दावा किया था कि मोइत्रा ने लोकसभा सदस्यों से जुड़ी वेबसाइट से संबंधित अपने लॉगइन आईडी और पासवर्ड की जानकारी उनसे साझा की थी.

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