नई दिल्ली: तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने मोर्चा खोल रखा है, इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संबोधित करते हुए पीएम मोदी अन्नदाताओं से बड़ी अपील की है. उन्होंने कहा है कि किसान अफवाहों का शिकार न हों, कृषि कानूनों में कोई कमी है तो बदल दी जाएगी.
कृषि कानूनों पर पीएम मोदी की टिप्पणी
प्रधानमंत्री ने कहा कि 'हम मानते हैं कि इसमें सही में कोई कमी हो, किसानों का कोई नुकसान हो, तो बदलाव करने में क्या जाता है. ये देश देशवासियों का है. हम किसानों के लिए निर्णय करते हैं, अगर कोई ऐसी बात बताते हैं जो उचित हो, तो हमें कोई संकोच नहीं है.'
पीएम मोदी ने साफ साफ ये कह दिया कि सरकार किसानों के साथ सम्मान भाव से बात कर रही है. अगर कानून में कोई कमी होगी तो बदल दी जाएगी, लेकिन सवाल ये है कि क्या किसान कानून रद्द करने की अपनी जिद का त्याग करेंगे?
उन्होंने ये भी बताया कि 'इस कोरोना काल में 3 कृषि कानून भी लाये गए. ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत ही आवश्यक और महत्वपूर्ण है और बरसों से जो हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा है, उसको बाहर लाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना ही होगा और हमने एक ईमानदारी से प्रयास किया भी है.'
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पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि 'कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ. ये सच्चाई है. इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी की खरीद भी बढ़ी है.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'कानून बनने के बाद किसी भी किसान से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक और व्यवस्थाएं उनके पास थी, उनमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या? इसका जवाब कोई देता नहीं है, क्योंकि सबकुछ वैसा का वैसा ही है.'
विपक्ष को पीएम मोदी ने जमकर कोसा
जब विपक्ष के सांसदों न पीएम के भाषण के दौरान रुकावट डालने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि 'संसद में ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है. रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा. इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है.'
संवाद ही समाधान का मंत्र है!
किसान संगठन के नेताओं और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन किसान हर चर्चा के दौरान इसी जिद पर अड़े रहे कि कानून वापसी नहीं तो आंदोलन वापसी नहीं..
सरकार ने यहां तक कह दिया कि डेढ़ से दो साल तक के लिए कानून को होल्ड कर दिया जाता है, लेकिन फिर भी किसान नेता नहीं माने. ऐसे में सवाल यही है कि क्या पीएम मोदी की अपील के बाद किसान भाई इस सुधार के लिए बात करने को तैयार होंगे?
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