नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में भाषण दिया, इस दौरान विपक्ष ने नारेबाजी की. पीएम मोदी ने कहा कि संसद में रुकावट डालने का प्रयास सोची समझी रणनीति है. हंगामे से भरोसा जीता नहीं जा सकता.
आंदोलनजीवियों पर PM Modi का प्रहार
लोकसभा से आंदोलनजीवियों पर पीएम मोदी ने प्रहार किया और कहा कि आंदोलन की पवित्रता को कलंकित किया गया. देश को आंदोलनकारी और आंदोलनजीवी में फर्क करने की जरूरत है. संसद में पीएम मोदी ने ये भी कहा कि अब बदलाव का वक्त है, रिबन काटेंगे दीया जलाएंगे देश ऐसे नहीं चलता.
पीएम मोदी ने किसानों पर क्या कहा? नीचे पढ़िए
'मैं देख रहा था कि कांग्रेस के साथियों ने जो चर्चा की, वो इस कानून के रंग पर तो बहुत चर्चा कर रहे थे. अच्छा होता कि उसके कंटेट और इंटेट पर चर्चा करते, ताकि देश के किसानों तक सही चीजें पहुंचती.'
'इस कोरोना काल में 3 कृषि कानून भी लाये गए. ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत ही आवश्यक और महत्वपूर्ण है और बरसों से जो हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा है, उसको बाहर लाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना ही होगा और हमने एक ईमानदारी से प्रयास किया भी है.'
'हम मानते हैं कि इसमें सही में कोई कमी हो, किसानों का कोई नुकसान हो, तो बदलाव करने में क्या जाता है. ये देश देशवासियों का है. हम किसानों के लिए निर्णय करते हैं, अगर कोई ऐसी बात बताते हैं जो उचित हो, तो हमें कोई संकोच नहीं है.'
'कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ. ये सच्चाई है. इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी की खरीद भी बढ़ी है.'
'संसद में ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है. रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा. इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है.'
'कानून बनने के बाद किसी भी किसान से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक और व्यवस्थाएं उनके पास थी, उनमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या? इसका जवाब कोई देता नहीं है, क्योंकि सबकुछ वैसा का वैसा ही है.'
'मैं हैरान हूं पहली बार एक नया तर्क आया है कि हमने मांगा नहीं तो आपने दिया क्यों? दहेज हो या तीन तलाक, किसी ने इसके लिए कानून बनाने की मांग नहीं की थी, लेकिन प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक होने के कारण कानून बनाया गया.'
'मांगने के लिए मजबूर करने वाली सोच लोकतंत्र की सोच नहीं हो सकती है. हमारे यहां एग्रीकल्चर समाज के कल्चर का हिस्सा रहा है. हमारे पर्व, त्योहार सब चीजें फसल बोने और काटने के साथ जुड़ी रही हैं.'
'हमारा किसान आत्मनिर्भर बने, उसे अपनी उपज बेचने की आजादी मिले, उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है.'
'कृषि के अंदर जितना निवेश बढ़ेगा, उतना ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. हमने कोरोना काल में किसान रेल का प्रयोग किया है। यह ट्रेन चलता-फिरता एक कोल्ड स्टोरेज है.'
'सरदार पटेल करते थे कि- “स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी यदि परतंत्रता की दुर्गंध आती रहे, तो स्वतंत्रता की सुगंध नहीं फैल सकती.” जब तक हमारे छोटे किसानों को नए अधिकार नहीं मिलते तब तक पूर्ण आजादी की उनकी बात अधूरी रहेगी.'
'दूसरा महत्वपूर्ण काम जो हमने किया है वो यही 10,000 FPOs बनाने का, ये छोटे किसानों के लिए एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में उभरने वाले हैं. महाराष्ट्र में FPOs बनाने का विशेष प्रयोग हुआ है.'
'केरल में भी कम्युनिस्ट पार्टी के लोग काफी मात्रा में FPO बनाने के काम में लगे हुए हैं. ये 10,000 FPOs बनने के बाद छोटे किसान ताकतवर बनेंगे, ये मेरा विश्वास है.'
'देश का सामर्थ्य बढ़ाने में सभी का सामूहिक योगदान है, जब सभी देशवासियों का पसीना लगता है, तभी देश आगे बढ़ता है.'
'देश के लिए पब्लिक सेक्टर जरूरी है तो प्राइवेट सेक्टर का योगदान भी जरूरी है. आज मानवता के काम देश आ रहा है तो इसमें प्राइवेट सेक्टर का भी बहुत बड़ा योगदान है.'
'किसान आंदोलन को मैं पवित्र मानता हूं. भारत के लोकतंत्र में आंदोलन का महत्व है, लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए अपवित्र करने निकल पड़ते हैं तो क्या होता है?'
'दंगा करने वालों, सम्प्रदायवादी, आतंकवादियों जो जेल में हैं, उनकी फोटो लेकर उनकी मुक्ति की मांग करना, ये किसानों के आंदोलन को अपवित्र करना है.'
'किसानों के पवित्र आंदोलन को बर्बाद करने का काम आंदोलनकारियों ने नहीं, आंदोलनजीवियों ने किया है. इसलिए देश को आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों के बारे में फर्क करना बहुत जरूरी है.'
'देश में एक बहुत बड़ा वर्ग है, इस वर्ग की पहचान है, talking the right thing सही बात कहने में कोई बुराई भी नहीं हैं, लेकिन इस वर्ग के लोग doing the right thing वालों से नफरत करते हैं.'
'ये चीजों को सिर्फ बोलने में विश्वास रखते हैं, अच्छा करने मे उनको भरोसा ही नहीं है.'
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