नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ पकड़े गए DSP देविंदर सिंह के मामले की NIA जांच पर राहुल गांधी ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि NIA को जांच देना मामला शांत करने का अच्छा तरीका है. राहुल गांधी ने NIA चीफ वाई के मोदी के नाम का जिक्र करते हुए लिखा है कि उन्होंने गुजरात हिंसा और हरेन पांड्या हत्या की जांच की थी. और जिसका नतीजा क्या निकला.
NIA पर राहुल गांधी का सवाल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करके ये लिखा है कि 'ये बिल्कुल सही तरीका है आतंकी DSP देविंदर पर चुप्पी साधने के लिए कि जांच NIA को सौंप दी जाए. वही NIA जिसको चलाने वाला भी दूसरा मोदी ही है. जिन्होंने गुजरात दंगों और हरेन पांड्या हत्या की जांच की. इनकी जांच से तो अच्छा केस ही खत्म कर दिया जाए.
The best way to silence Terrorist DSP Davinder, is to hand the case to the NIA.
The NIA is headed by another Modi - YK, who investigated the Gujarat Riots & Haren Pandya’s assassination. In YK’s care, the case is as good as dead. #WhoWantsTerroristDavinderSilenced
And why??
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 17, 2020
बोलने के पहले सोचते भी नहीं हैं राहुल गांधी
सवाल यहां ये है कि क्या राहुल गांधी जी कुछ भी बोलने से पहले सोचते नहीं हैं? ये सवाल इस लिए क्योंकि राहुल गांधी उसी NIA को सवालों के कटघरे में खड़ा कर रहे हैं, जिसका गठन उन्हीं की पार्टी के सरकार के दौरान किया गया था. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण यानी National Investigation Agency (एनआईए) का गठन भारत में आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए किया गया था. NIA भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संघीय जांच एजेंसी है. जो साल 2008 मेम अस्तित्व में आई थी.
कांग्रेस का विवादों से नाता
कांग्रेस पार्टी इस मामले को शुरुआत से ही सियासी रंग देने पर उतारू है. एक के बाद एक करके कई कांग्रेसी नेताओं ने देविंदर को लेकर धर्म की सियासत करनी शुरू कर दी. रणदीप सुरजेवाला से लेकर अधीर रंजन चौधरी तक ने इस देश की सुरक्षा से जुड़े मामले को हवा देने की कोशिश की. इतना ही नहीं अधीर रंजन ने तो इस दौरार पुलवामा हमले के लिए पाकिस्तान को क्लीन चिट तक दे दी. और अब जनाब राहुल गांधी ने तो हद ही कर दी.
जम्मू और श्रीनगर एयरपोर्ट की सुरक्षा में बड़ा बदलाव किया गया है. अब CISF के पास 31 जनवरी से दोनों अहम एयरपोर्ट की सुरक्षा की जिम्मेदारी होगी. सुरक्षा में बदलाव की वजह डीएसपी देविंदर सिंह की गिरप्तारी भी है. गिरफ्तारी के वक्त वो श्रीनगर एयरपोर्ट की सुरक्षा में तैनात थे.
एयरपोर्ट की सुरक्षा पर भी उठे सवाल
DSP देविंदर की गिरफ्तारी ने एयरपोर्ट की सुरक्षा पर भी सवाल उठा दिए हैं. गिरफ्तार होने से पहले वो श्रीनगर एयरपोर्ट पर ही तैनात था. जहां से वीवीआईपी के अलावा सेना और अधिकारियों का भी आनाजाना होता है. जम्मू और श्रीनगर एयरपोर्ट की सुरक्षा में बदलाव किया गया है. दोनों हवाई अड्डों की सुरक्षा CISF के हवाले करने का निर्देश दिए गए हैं. सरकार के इस फैसले को डीएसपी देविंदर सिंह की गिरफ्तारी से जोड़कर देखा जा रहा है.
इधर आतंकियों से देविंगर सिंह से रिश्ते की फाइल जैसे-जैसे खुल रही है. एक के बाद एक नए खुलासे हो रहे हैं. पुलिस की सरपरस्ती में आतंकी महफूज ठिकानों तक पहुंचाये जाते रहे. डीएसपी की मदद से अपने आतंकी मंसूबों को अंजाम देते रहे और किसी को किसी को इस बात की कानोकान खबर नहीं लगी.
आतंकियों को पनाह देने का बनाया था ठिकाना
सूत्रों के मुताबिक देविंदर पिछले साल भी आतंकी को अपने घर ले गया था. उसके घर में आतंकियों को पनाह देने के लिए एक खास जगह बना रखी थी. आतंकियों के साथ पकड़ा गया तो बोला गेम खराब हो गया. आखिर वो कौन साथ गेम था जिसे जिसे देविंदर पूरा करना चाहता था. आतंकियों का वो कौन सा मंसूबा था जिसे पूरा करने की साजिश में DSP शरीक था.
सूत्रों के मुताबिक देविंदर के तार पाकिस्तान से भी जुड़े हैं. वो सीमापार बैठे किसी व्यक्ति के संपर्क में था. इसके अलावा आतंकी नावेद के साथ देविंदर काफी समय से संपर्क में था. कश्मीर के बाहर भी हमले की साजिश थी. DSP देविंदर के अफजल गुरु से भी रिश्ते के आरोप लग रहे हैं. इतना ही नहीं सवाल संसद भवन पर साल 2001 में हुए हमले में भी देविंदर की भूमिका को लेकर भी उठ रहे हैं.
अपनी अलग पहचान का फायदा उठाता रहा देविंदर
देविंदर सिंह की पुलिस विभाग में एक अलग पहचान थी वो अपने इसी रसूख का फायदा उठाता रहा. विभाग में अपनी खास हैसियत की वजह से आतंकियों का सरपरस्त बना रहा. लेकिन पुलिस महकमा उसे हमेशा के लिए बाहर करना चाहती है. साथ ही वापस लेना चाहती है वो सम्मान जो उसे बहादुरी के लिए दिए थे.
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NIA की पूछताछ काफी अहम हैं. क्योंकि ये बात सिर्फ पुलिस और आतंकियों के रिश्ते तक सीमित नहीं है. सवाल देश की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है. साथ ही पैसों के लेनदेन का भी है कि देविंदर को मिलने वाले पैसे आतंकी कहां से लाते थे किसकी मदद से पैसों की खेप पहुंचती थी. आतंकियों को पैसा कौन मुहैया कराता था. देविंदर पाकिस्तान के किस व्यक्ति के संपर्क में था. इन सभी सवालों का NIA जवाब तलाशेगी. लेकिन राहुल गांधी ने इसे लेकर भी राजनीति शुरू कर दी है.
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