अपग्रेड पिनाका रॉकेट प्रणाली का सफल परीक्षण, 44 सेकेंड में दागेगा इतने रॉकेट

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के बाद एक निजी उद्योग ने इन रॉकेट प्रणालियों का निर्माण किया, जिनका पोखरण में परीक्षण किया गया है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 11, 2021, 03:31 PM IST
  • एमके-1 रॉकेट सिस्टम की मारक क्षमता लगभग 40 किमी है
  • पिनाका II संस्करण 60 किमी की दूरी से लक्ष्य को भेद सकता है
अपग्रेड पिनाका रॉकेट प्रणाली का सफल परीक्षण, 44 सेकेंड में दागेगा इतने रॉकेट

नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि बीते तीन दिन में विस्तारित दूरी वाली पिनाका रॉकेट प्रणाली (पिनाका ईआर) के कई बार परीक्षण किए गए जो सफल रहे. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के बाद एक निजी उद्योग ने इन रॉकेट प्रणालियों का निर्माण किया, जिनका पोखरण में परीक्षण किया गया है.  रक्षा मंत्रालय ने कहा, ''डीआरडीओ ने सेना के साथ पिछले तीन दिन तक फील्ड फायरिंग रेंज में कई बार इन रॉकेट का परिक्षण कर इनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया.'' 

रॉकेट सिस्टम के रेंज की जानकारी नहीं
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''इस दौरान विभिन्न युद्धक क्षमताओं के साथ उन्नत रेंज के पिनाका रॉकेट का अलग-अलग रेंज में परीक्षण किया गया. सभी परीक्षण संतोषजनक रहे.'' पिनाका एमके-1 रॉकेट सिस्टम की मारक क्षमता लगभग 40 किमी है, जबकि पिनाका II संस्करण 60 किमी की दूरी से लक्ष्य को भेद सकता है. पिनाका-ईआर (एमके-आई संस्करण) की सीमा का तत्काल पता नहीं चल पाया है. ये रॉकेट प्रणाली 44 सेकेंड में 12 रॉकेट दागती है.

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24 रॉकेटों का परीक्षण किया गया
मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न रेंज और युद्धक क्षमताओं के साथ 24 रॉकेटों का परीक्षण किया गया. मंत्रालय ने बताया कि रॉकेट प्रणाली को पुणे स्थित दो डीआरडीओ प्रयोगशालाओं - आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) और उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल) द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन किया गया है. 

इस रॉकेट सिस्टम का नाम भगवान शिव के धनुष ‘पिनाक’ के नाम पर रखा गया है. इस सिस्‍टम को भारत और पाकिस्‍तान से लगी सीमाओं पर तैनात करने के मकसद से बनाया गया है. पहले भारत के पास रॉकेट लॉन्‍च करने के लिए रूस का ग्रैड सिस्‍टम था. ये सिस्‍टम हालांकि अभी भी सेना के पास है. इसके विकल्‍प के रूप में सन् 1980 के दशक में डीआरडीओ पिनाका रॉकेट सिस्‍टम को डेवलप करना शुरू किया था.

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