जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बोल निर्दयता की नई परिभाषा तय करते हैं. उन्हें उन मारे गए बच्चों की माताओं का करुण रुदन सुनाई नहीं दिया, उन्हें नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हो रहा प्रदर्शन दिखाई दिया.
सीएम गहलोत बोले बच्चों की मौत का मुद्दा ध्यान हटाने की साजिश
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा - ''कोटा में बच्चों की मौत के मुद्दे को CAA के खिलाफ देश भर में बने माहौल से ध्यान हटाने के लिए उठाया जा रहा है.'' अब इसको और क्या कहा जाये, जो व्यक्ति पूरे प्रदेश का ज़िम्मेदार है, बच्चों की मौत पर इस तरह की प्रतिक्रिया दे रहा है, बजाए इसके कि इस दिशा में कुछ कदम उठाये ताकि बच्चों की मौतें रुक सकें. मुख्यमंत्री गहलोत ने कोटा में सौ से ऊपर की संख्या में मारे गए बच्चों की मौतों को नागरिकता क़ानून से जोड़ कर राजस्थान सरकार की लापरवाही पर से सबका ध्यान हटाने की कोशिश की.
गहलोत ने कहा कि बच्चे इस बार कम मरे हैं
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि मैंने पहले भी कहा है कि इस साल शिशुओं की मौत के आंकड़ों में पिछले सालों के मुकाबले कमी आई है. गहलोत ट्वीट करके बोले कि राज्य सरकार शिशुओं की मृत्यु पर संवेदनशील है. इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए. उन्होने संतोष जताया कि अस्पताल में शिशु कम मरे हैं इस बार.
एक माह में 104 शिशु मारे जा चुके हैं
सरकार की लापरवाही नहीं कही जाए और अस्पताल का भी दोष न माना जाए तो भी 104 शिशुओं की मौतें वो भी सिर्फ एक महीने के भीतर कोई साधारण मसला नहीं है. वहीं इस अस्पताल अर्थात जे के लोन अस्पताल के शिशु रोग विभाग के मुखिया डा. ए एल बैरवा का कहना है कि हमारे अस्पताल में 12 बिस्तरों के एक और इंटेंसिव केयर यूनिट को स्वीकृति मिल गई है और अब उस पर काम भी शुरू हो गया है. लेकिन बच्चे इतनी बड़ी संख्या में कैसे मरे- इस सवाल पर हर कोई चुप लगाए बैठा है.
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