इमरानी सरकार ने खोले भारत-विरोधी दो निकम्मे मोर्चे

इमरान खान ने राजनीति का एक ही सबक सीखा है अपने पूर्ववर्तियों से कि हर नाकामी को छुपाने के लिए हिन्दुस्तान की मुखालफत शुरू कर दो. इमरानी सरकार ने फिर वही घिसापिटा फार्मूला अपनाया है और कोरोना के विरुद्ध अपनी ऐतिहासिक असफलता पर भारत विरोधी मुलम्मा लगा कर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश की है. लानत है ऐसे देश की जनता को जो अपना हित भूल कर भारत विरोधी नफरत के वोट देकर ऐसे नेता चुनती है..  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : May 31, 2020, 06:16 PM IST
    • पाकिस्तान ने खोले भारत-विरोधी दो फर्जी मोर्चे
    • इमरान ने उठाये दो भारत विरोधी कदम
    • पहले कदम पर दो देशों ने पटका पाकिस्तान को
    • संयुक्त राष्ट्र संघ में कोरोना पर किया रोना
    • कोरोना-काल के पकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले
    • जांच में मस्जिद नहीं, मंदिर पाया गया है
    • भारतीय मुस्लिम्स संगठनों ने स्वीकार किया निर्णय
इमरानी सरकार ने खोले भारत-विरोधी दो निकम्मे मोर्चे

नई दिल्ली.  दुनिया की आवाम कर रही है त्राहि माम और पाकिस्तान में भी कोरोना ने ऐसा ही मचाया है कोहराम. लेकिन इमरानी दिमाग में राष्ट्रहित नहीं कुर्सी फिट है. दिन रात अपनी कुर्सी बचाने की खुराफात बैठाने वाला इमरान खान नाम का शख्स पाकिस्तान नाम के देश का प्रधानमंत्री है. कोरोना के भयावह दौर में भी इमरानी सरकार  पाकिस्तानी जनता की वायरस से हिफाजत की बजाये अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए तम्बू तलाश रही है. और उसने भारत विरोधी दो तम्बू तान भी दिए हैं जिनके पीछे छुप कर अब देश की बेवकूफ जनता को महा-बेवकूफ बनाया जा रहा है.

 

इमरान ने उठाये दो भारत विरोधी कदम

मजहबी सियासत के वजीरे आज़म इमरान खान ने भारत विरोधी पहले कदम के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय  इस्लामी सहयोग संगठन से कहा है कि भारत में फैले ‘इस्लाम-विरोध’ के विरुद्ध एक जांच कमेटी बैठाई जाए ताकि भारत की ये नाइंसाफी रोकी जा सके. दूसरी बात भी इमरान खान ने मजहब को लेकर ही कही है और उसके लिए उन्होंने बाकायदा बयान जारी किया. इस बयान में पाकिस्तान से भारत के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर बनाने की मुखालफत की है. 

 

पहले कदम पर दो देशों ने पटका पाकिस्तान को

जिस अंतर्राष्ट्रीय  इस्लामी सहयोग संगठन के मंच पर इमरान खान ने भारत विरोध विष वमन किया है वहीं उसी मंच पर उसका विरोध कर दिया दो मुस्लिम राष्ट्रों ने. मालदीव और संयुक्त अरब अमीरात के राजदूतों ने सीधे-सीधे इमरान खान के पहले आरोप को खारिज कर दिया. उन्होंने दो टूक कहा कि किसी देश की कुछ घटनाओं के आधार पर आप उसके विरुद्ध इस तरह की जांच नहीं बैठा सकते.

 

संयुक्त राष्ट्र संघ में कोरोना पर किया रोना

संयुक्तराष्ट्र संघ में भी यही नापाक हरकत दुहराई गई. इस्लामी संगठन के राजदूतों की बैठक के दौरान पाकिस्तानी राजदूत मुनीर अकरम ने यह मुद्दा उठाया. मुनीर अकरम ने कहा कि कोरोना संकट के बुरे हालात का फायदा उठाकर हिन्दुस्तान की हिंदूवादी सरकार ने कश्मीर को भारत में मिला लिया है और पड़ौसी मुस्लिम देशों के शरणार्थियों के खिलाफ सांप्रदायिक भेदभाव वाला एक कानून भी बना दिया है.  महामूर्ख अकरम को कोई बता दे कि पहली बात तो जो उसने कहा वो सच नहीं है और दूसरी ज्यादा बड़ी बात ये कि जिस घटना और जिस क़ानून का ज़िक्र वो कर रहा है वह कोरोना काल में नहीं बल्कि पिछले साल की घटनाये हैं. 

 

कोरोना-काल के पकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले

कोरोना काल की बात अगर पाकिस्तान कर रहा है तो कोरोना काल में पाकिस्तान सीमा से कश्मीर आ कर खूनी हमले करने वाले सिरफिरे आतंकवादियों का विरोध क्या उसे नहीं करना चाहिये? लेकिन पाकिस्तान को पता है कि हिंदुस्तान को पता है कि ये आतंकी हमले कौन करवा रहा है.

 

जांच में मस्जिद नहीं, मंदिर पाया गया है

पाकिस्तानी इमरान को कोई ये बार-बार बताये कि भारत की अदालत किसी देश की मजहबी अदालत नहीं है. इस धर्म-निरपेक्ष देश की गैर-साम्प्रदायिक अदालत ने बाकायदा जांच करके ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, वो भी कोरोना काल के बहुत पहले 2019 में. और पाकिस्तान को ये भी बिलकुल नहीं भूलना चाहिए कि यह ऐतिहासिक निर्णय देने वाले तीन न्यायाधीशों में एक न्यायाधीश मुसलमान भी थे. बरसों चले इस मुकदमें की जांच में साफ़ हो गया था कि मंदिर को तोड़ कर बाबरी मस्जिद बनाई गई है और बड़ी बात ये भी है कि आरक्योलाॅजिकल सर्वे के विशेषज्ञ ने भी इस तथ्य को सही पाया है और वे भी मुसलमान ही थे.

भारतीय मुस्लिम संगठनों ने स्वीकार किया निर्णय

इस बात के लिए भारत के तमाम मुस्लिम संगठनों की सराहना करनी होगी कि उन्होंने ऐतिहासिक जांच में पाए गए मंदिर के अवशेषों को मान्यता देते हुए दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय को स्वीकार किया. अब पड़ौस के नापाक मुल्क को इस बात पर तकलीफ क्यों हो रही है, ये बात साफ़ समझ में आसानी से आती है. वैसे पाकिस्तान भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यकों की बात न ही करे तो अच्छा है क्योंकि भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों की दशा पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिन्दुओं से कहीं सौ गुनी अधिक अच्छी है.

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