यह नया भारत है, जो निर्णय लेता है और उन पर टिके रहना जानता है

भारत सशक्त तौर पर अपनी संप्रभुता को समझता है और इसमें हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा. लाग-लपेट के बजाय भारत इन मामलों में खरा-खरा और दो टूक जवाब दे रहा है. हाल ही में हुए कई मामलों में भारत ने अपनी संप्रभुता को सशक्त तौर पर सामने रखा है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 18, 2020, 01:23 PM IST
यह नया भारत है, जो निर्णय लेता है और उन पर टिके रहना जानता है

नई दिल्लीः  किसी देश की सशक्त तस्वीर इस बात से उभरती है कि वह अपने निर्णयों और योजनाओं पर कितना सशक्त और दृढ़ रहता है. भारत ने अपने हालिया कई वाकयों से यह साबित किया है कि अब उसकी वह स्थिति नहीं है कि जहां उसे पूरे विश्व के लिए जवाबदेह होना है, बल्कि अब भारत सशक्त तौर पर अपनी संप्रभुता को समझता है और इसमें हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा.

लाग-लपेट के बजाय भारत इन मामलों में खरा-खरा और दो टूक जवाब दे रहा है. इसका उदाहरण डेबी अब्राहम, तुर्की के राष्ट्रपति, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव गुटेरस और मलयेशिया की सरकार शामिल है.  

ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम्स  को किया डिपोर्ट
जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने की आलोचक रहीं ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम्स को वैध कागजात नहीं होने के कारण दुबई डिपोर्ट कर दिया गया. अब्राहम्स दुबई से ही भारत आई थीं. लेबर पार्टी की सांसद के वैध वीजा बयान का गृह मंत्रालय ने खंडन करते हुए कहा कि ब्रिटिश सांसद का ई-वीजा रद्द कर दिया गया था.

डेबी लेबर सांसद कश्मीर पर सर्वदलीय संसदीय समिति (APPG) की अध्यक्ष हैं. अब्राहम्स उन सांसदों में एक हैं जिन्होंने पिछले साल अगस्त में आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य के दर्जे को वापस लिए जाने के बाद औपचारिक पत्र जारी किए थे. उन्होंने कहा था कि हम भारत के गृह मंत्री अमित शाह के इस ऐलान से बहुत चिंतिंत हैं 

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तुर्की को दी है चेतावनी
तुर्की के राष्ट्रपति  रजब तैयब एर्दोआन लगातार भारत विरोधी बयान दे रहे हैं और कदम उठा रहे हैं. भारत ने इसकी कड़ी आलोचना की है और सख्त लहजे में चेताया है. तुर्की ने अब नहीं माना तो संभव है कि उसके साथ भी मलयेशिया जैसा कदम ही उठाया जाए. भारत ने तीन दिनों में दूसरी बार कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देने के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन की कड़ी आलोचना की.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि एर्दोआन न केवल भारत के आंतिरक मामलों में दखल दे रहे हैं बल्कि सीमापार आतंकवाद को इस्लामाबाद से मिल रहे समर्थन का भी बचाव कर रहे हैं.

तुर्की के राष्ट्रपति पिछले दिनों पाकिस्तान में थे. उन्होंने 14 फरवरी को पाकिस्तान की संसद को संबोधित किया जिसमें उन्होंने फिर से कश्मीर मुद्दा उठाया और कहा कि उनका देश इस मामले में पाकिस्तान के रुख का समर्थन करेगा क्योंकि यह दोनों देशों से जुड़ा विषय है. 

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संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भी दिया जवाब
कश्मीर मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव (UNSG) एंटोनियो गुटेरस की टिप्पणी पर उन्हें भी दो टूक जवाब दिया है. गुटेरस ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी, साथ ही हिदायत दी थी कि दोनों देशों को तनाव कम करना चाहिए.

इस मामले में भारत ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना हुआ है.

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ऐसे में मध्यस्थता की कोई भूमिका नहीं है. मंत्रालय का कहना है कि भारत अपने रुख पर कायम है. गुटेरस भी पिछले दिनों पाकिस्तान की 4 दिन की यात्रा पर थे और रविवार को इस्लामाबाद पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर के हालात पर चिंता जाहिर की और इस मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की थी.

मलयेशिया से पाम तेल के आयात पर पाबंदी
मलेशिया और भारत में पहले कश्मीर और बाद में एनआरसी-सीएए को लेकर गतिरोध शुरू हो गया था. मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और एनआरसी-सीएए पर भारत की कड़ी आलोचना की थी.

इसके बाद भारत ने जवाब में मलयेशिया से पाम तेल के आयात पर लगभग पाबंदी लगा दी थी. मलयेशिया ने भारत के इस रुख को लेकर चिंता जताई है. 

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