नई दिल्ली: आज ही भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू बैठक होने वाली है. जिसमें दोनों देशों के रक्षामंत्री और विदेश मंत्री बातचीत की टेबल पर आएंगे. जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद से ये दोनों देशों के बीच पहली टू प्लस टू मीटिंग है. जिसमें इंडो पैसिफिक रणनीति और रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा शामिल होगा.
रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री के बीच टू प्लस टू बैठक
जो बाइडेन और पीएम मोदी के बीच वर्चुअल बैठक के बाद दोनों देशों के रक्षामंत्री और विदेश मंत्रियों के बीच टू प्लस टू बैठक होगी. जिसमें भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन, और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की आमने सामने मुलाकात होगी.
दोनों देशों के रक्षामंत्री और विदेश मंत्री आज एक ही टेबल पर मुलाकात करेंगे. इसके बाद 13-15 अप्रैल के बीच भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ अमेरिकी रक्षा विभाग की मुलाकात होगी. ये मुलाकात हवाई में इंडो पैसिफिक कमांड के मुख्यालय पर होगी.
हिन्द-प्रशांत पर साझा रणनीति को लेकर चर्चा
बैठक में हिन्द-प्रशांत पर साझा रणनीति को लेकर चर्चा होगी. 12 से 15 अप्रैल के बीच विदेश मंत्री जयशंकर अमेरिकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय मुलाकातें करेंगे. विदेश मंत्री एस. जयशंकर राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ शिष्टाचार मुलाकात भी कर सकते हैं. इस बीच विदेश मंत्री डॉ जयशंकर न्यूयॉर्क भी जाएंगे.
साल 2020 से भारत और अमेरिका की टू प्लस टू मीटिंग टल रही थी. तब शायद इस बैठक के मायने ना निकलते, लेकिन आज इस बैठक और इससे निकलने वाले नतीजे पर दुनिया नजरें गड़ाए बैठी है. खास कर उस क्वाड बैठक को देखते हुए, जो इसी साल मई में जापान में होने वाली है.
अमेरिका को यूरोप समेत कनाडा, इजरायल जैसे देशों से समर्थन तो मिल रहा है. लेकिन भारत का साथ पाने के लिए वो अब भी बेचैन है. दुनिया भर से लगे प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस के खिलाफ अब तक नहीं गया है.
जजब भारत के पास होगी UNSC की अध्यक्षता
यही नहीं युद्ध की शुरुआत से ही अमेरिका रूस को UNSC से बाहर करने की मांग उठा रहा है, लेकिन रूस इस मांग को वीटो के जरिए खारिज कर देता है. इस साल के अंत में एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भारत के पास होगी और अमेरिका हर हाल में रूस के खिलाफ भारत का साथ चाहेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सत्ता संभालने के बाद ये भारत और अमेरिका के बीच पहली टू प्लस टू बैठक है और ये बैठक ऐसे समय पर हो रही है. जब दुनिया विश्वयुद्ध की दहलीज पर खड़ी है.
विदेश से रक्षा सामग्री मंगाने पर बहुत हद तक पाबंदी
भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह हाल ही में ये ऐलान किया था कि विदेश से रक्षा सामग्री मंगाने पर बहुत हद तक पाबंदी लगाई जाएगी. ताकि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का मिशन आगे बढ़ सके. रक्षामंत्री के इस ऐलान से अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन मंगाने की योजना भी मुश्किल आ गई है. दरअसल भारत अमेरिका से 30 प्रिडेटर ड्रोन मंगाने की योजना बना रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया है कि सिर्फ बहुत जरूरी होने पर ही विदेशी रक्षा सामग्री मंगाई जाए.
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ऐसे में अब ये सवाल उठ रहा है कि क्या इस योजना को रोक दिया जाएगा? इसे लेकर अब एक समिति बनाई गई है अब इस मुद्दे पर सरकार को ड्रोन खरीदने या ना खरीदने का सुझाव देगी. हालांकि भारत इससे पहले दो अमेरिका से लीज पर ले चुका है. जो समंदर में चीन की हरकतों पर निगरानी रखते हैं. इस ड्रोन की खास बात ये है कि ये तीनों सेनाओं को निगरानी के साथ-साथ दुश्मन के लक्ष्य को दूर से ही भेद सकता है और 48 घंटे तक उड़ान भर सकता है. यही नहीं ये ड्रोन 1700 किलोग्राम की मिसाइल या हथियार ले जा सकता है.
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