नई दिल्ली: मोदी सरकार के 8 साल पूरे होने पर देश में क्या कुछ बदला? सरकार की नीतियों और सरकारी योजनाओं में वो बदलाव अग्निपथ पर चलने जैसा ही रहा. जिन योजनाओं की चर्चा सबसे ज्यादा हुई, उनमें एक है उज्ज्वला योजना.. गरीबों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन देने की इस योजना को देश की राजनीति में गेम चेंजर के तौर पर देखा जाता है, लेकिन क्या इस योजना से गांव-शहर और कस्बों में गरीबों की रसोई की दशा कितनी बदली?
उज्ज्वला योजना की अहमियत समझिए..
पहले गांवों की महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर खाना पकाती थी, लकड़ी लेकर आती थी, मिट्टी के तेल वाले स्टोव या अंगीठी पर खाना पकाती थी. चूल्हे पर खाना बनाने में टाइम बहुत लगता था, पानी बरस जाए तो कंडे गीले हो जाते थे, आंखों में धुएं से जलन होती थी.
स्टोव पर खाना बनता था तो मिट्टी तेल के लिए लाइन में लगना पड़ता था. महिलाओं की जिंदगी, चूल्हे से शुरू और चिता पर खत्म हो जाती है. इस कड़वी सच्चाई से सरकारों ने लगभग 70 साल तक मुंह मोड़ रखा था. किसी पार्टी ने कभी इस बारे में चर्चा भी नहीं की, क्योंकि किसी को समाधान नहीं सूझ रहा था.
1 मई 2016 इसी तारीख को पीएम मोदी उज्ज्वला योजना लॉन्च किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर कहा कि 'चूल्हे पर खाना बनाने की पीड़ा भुगत कर आया हूं.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले सरकार और सियासत में रसोई गैस सिलेंडर पैसा और पावर से जुड़ा विशेषाधिकार माना जाता था, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने ग़रीबों को अधिकार के तौर पर सौंप दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 'रसोई गैस की राजनीतिक ताकत, सांसद कोटा ब्लैक होता था. तीन साल में 5 करोड़ गैस कनेक्शन का लक्ष्य है.'
आमतौर पर किसी भी सरकारी योजना का लाभ आम जनता तक पहुंचने में वक्त लगता है, लेकिन उज्ज्वला योजना शुरू होते ही असर दिखाने लगी. सरकार चाहे कोई भी हो, उसकी योजना के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और कई बार पर्यावरण से जुड़े पहलू भी होते हैं, जो उज्ज्वला योजना में भी थे.
पीएम मोदी ने कहा था कि 'सवा सौ करोड़ आबादी, 25 करोड़ परिवार, उनमें से 5 करोड़ के लिए उज्ज्वला योजना, इससे बड़ी कोई योजना नहीं हो सकती, बलिया की धरती से..'
प्रधानमंत्री ने ये भी कहा था कि 'रसोई गैस लकड़ी से सस्ती, सेहत और समय भी बचेगा. सब्सिडी महिला के जन-धन खाते में, ताकि किसी और के हाथ ना लगे.'
जन-धन योजना से मिला लाभ
रसोई गैस सिलेंडर की सब्सिडी का पैसा सीधे लोगों के बैंक खाते में भेजने का आइडिया यूपीए-2 सरकार का था. इस योजना में एक खामी थी, जिसे दूर करने के लिए आई जन-धन योजना, साल 2014 में सत्ता संभालने के तीन महीने बाद ही प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना की शुरुआत की थी.
उज्ज्वला योजना के रसोई गैस सिलेंडर की सब्सिडी का पैसा भी जन-धन खातों में ही भेजा जा रहा है. हालांकि ये आरोप भी लगते रहे हैं कि रसोई गैस की कीमतें बेलगाम हों तो उज्ज्वला योजना का क्या फायदा?
लेकिन इससे उज्ज्वला योजना की अहमियत कम नहीं हुई. इस योजना की सबसे बड़ी उपलब्धि यही मानी जाती है कि जिन लोगों ने कभी एलपीजी सिलेंडर नहीं देखा था, उनकी रसोई में सरकार ने सिलेंडर और चूल्हा तो पहुंचा दिया.
क्या कहते हैं आंकड़े?
पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक एक अप्रैल 2014 तक देश में कुल 14 करोड़ 52 रसोई गैस कनेक्शन जारी किए गए थे. जबकि एक अप्रैल 2022 तक रसोई गैस कनेक्शन की संख्या 30 करोड़ 53 लाख पहुंच गई. इनमें 9 करोड़ कनेक्शन उज्ज्वला योजना के हैं.
अब अगर इनमें 50 प्रतिशत लोगों को भी उज्ज्वला योजना का फायदा मिल रहा है, तो ये कामयाबी बहुत बड़ी है. यही वजह है कि एक मई को जब पूरी दुनिया मजदूर दिवस मना रही थी, तो भारत में वो दिन उज्ज्वला योजना दिवस के रूप में भी मनाया गया.
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