लखनऊ: सोमवार यानी 20 मार्च को सुबह के 10.30 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने सरकारी निवास 5 कालिदास मार्ग पर बैठक ले रहे थे. इस बैठक में शामिल सभी लोगों के मन में आशंका थी कि क्या आज की मीटिंग संपन्न हो पाएगी? क्योंकि मुख्यमंत्री की पिता आनंद सिंह बिष्ट के स्वास्थ्य से जुड़ी अनचाही खबरें आ रही थीं.
मुख्यमंत्री का चेहरा बता रहा था उनके दिल की दास्तां
रोज की तरह समयानुसार मीटिंग के लिए मुख्यमंत्री हॉल में आए, लेकिन आज साफ झलक रहा था कि वो अपने पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं.
आम तौर पर मुख्यमंत्री मीटिंग के दौरान चेहरे पर लगे मास्क को नीचे रखते हैं लेकिन आज ऐसा नहीं हुआ. इससे चेहरे के भाव भले कुछ हद तक छिप गए थे. लेकिन आंखों की उदासी, उनमें तैर रही नमी बता रही थीं कि सब कुछ ठीक नही.
UP Deputy CM Keshav Prasad Maurya expresses grief over demise of father of CM #YogiAdityanath. pic.twitter.com/5vhD4jtQba
— All India Radio News (@airnewsalerts) April 20, 2020
तय समय पर बैठक शुरु हो गई है. टीम 11 के अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री विचार-विमर्श और कोरोना को लेकर प्रदेश की हालात पर चर्चा करते और अधिकारियों को निर्देश भी देते रहे. क्योंकि मुख्यमंत्री के हृदय में राजधर्म सर्वोपरि होने का भाव हमेशा रहता है.
तभी आ गई दुख की घड़ी
अभी मीटिंग चल ही रही थी इसी बीच करीब 10 बजकर 44 मिनट के आसपास मीटिंग में उस व्यक्ति का आना हुआ, जिन्हें किसी सरकारी बैठक के दौरान कम ही देखा जाता है. ये थे मुख्यमंत्री के सबसे करीबी शख्स बल्लू राय.
बल्लू के चेहरे पर दुख साफ देखा जा सकता था. उन्होंने एक पर्ची मुख्यमंत्री को दिया. जिसे पढ़कर मुख्यमंत्री जी ने किसी से बात कराने का निर्देश दिया.
बल्लू ने फोन लगाया और मुख्यमंत्री को थमा दिया. बातचीत का सिलसिवा एक मिनट तक चलता रहा. आखिर में सीएम योगी ने ये कहकर फोन काट दिया कि वह मीटिंग के बाद फिर बात करेंगे. इसके बाद बल्लू चले गये और मुख्यमंत्री चंद पलों के लिए शांत हो गए.
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लेकिन कुछ ही क्षणों बाद वह फिर से संभले और बैठक में मौजूद अधिकारियों से सवाल-जवाब करना शुरू कर दिया. मीटिंग ठीक वैसे ही चलती रही जैसे रोजाना चलती है. लेकिन सबने देखा कि इस दौरान मुख्यमंत्री योगी की आंखें बार बार नम होती रहीं.
जिसकी वजह से सबने अंदाजा लगाया कि उन्हें फोन पर अपने पिता अजय सिंह बिष्ट के निधन का समाचार मिला था. लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता के हित को सर्वोपरि रखते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर अपने राजधर्म को सबसे उपर रखा और कोरोना से जंग जीतने के लिए अधिकारियों के साथ रणनीति बनाते रहे.
पिता के निधन का समाचार मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री की कार्यशैली ठीक वैसे ही चलती रही. एक तरफ जहां आंखों में नमी उनके दुख की सबूत था तो दूसरी तरफ 23 करोड़ जनता की सुरक्षा की चिंता का फर्ज. अपने पिता के निधन के बावजूद उन्होंने राजधर्म को प्राथमिकता दी. पिता की मृत्यु भी उन्हें अपने कर्तव्य पथ से विचलित नहीं कर सकी.
पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होंगे योगी
यह सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक संन्यासी हैं और गोरक्षपीठ जैसे बड़े धार्मिक पीठ के प्रमुख हैं. वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होंगे. ऐसा करके उन्होंने पूरे देश की जनता के समक्ष एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है.
Uttar Pradesh CM #YogiAdityanath's father passes away. Due to #Lockdown, CM not to take part in the last rites of his father, says he can only visit his home after #lockdown. pic.twitter.com/cCDAW1jv6h
— All India Radio News (@airnewsalerts) April 20, 2020
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पिता के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि 'अपने पूज्य पिताजी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दुख एवं शोक है. वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता है. जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम एवं निस्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया. अंतिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी, परन्तु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने का कर्तव्यबोध के कारण मैं न कर सका.
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कल 21 अप्रैल को अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में लॉकडाउन की सफलता और महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण भाग नहीं ले पा रहा हूं. पूजनीया मां, पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से भी अपील है कि वे लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग तिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें. पूज्य पिताजी की स्मृतियों को कोटि-कोटि नमन करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं. लॉकडाउन के बाद दर्शनार्थ आऊंगा'.
योगी आदित्यनाथ ने अपने आचरण से एक बार फिर साबित कर दिया कि एक प्रदेश के मुखिया होने के नाते पूरी जनता ही उनका परिवार है. उनके लिए कर्तव्य का रास्ता उनका अग्निपथ है. जिसमें तप कर वह एक बार फिर खरे सोने की तरह चमकते हुए निकले हैं.