हिंसक प्रदर्शन करने वालों, सावधान, लगेंगी कड़े कानून की ये धाराएं

देश में प्रदर्शन करने वालों को ये बिलकुल पता नहीं होता कि हिंसा करके क़ानून तोड़ने पर उनके लिए क्या सज़ा है देश के क़ानून में  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 19, 2019, 07:27 PM IST
    • हिंसक प्रदर्शन पर मिलती है कठोर सजा
    • भारतीय दंड संहिता की धारा 378
    • हिन्सक प्रदर्शनकारियों पर लगती है धारा 425 भी
    • प्रदर्शन में लोग आते कम हैं, लाये ज्यादा जाते हैं
    • अक्सर प्रदर्शनकारियों को मुद्दा ही पता नहीं होता
हिंसक प्रदर्शन करने वालों, सावधान, लगेंगी कड़े कानून की ये धाराएं

नई दिल्ली. नागरिकता क़ानून को लेकर देश के कई शहरों में उत्पात चल रहा है. ये उत्पाती तत्व किस राजनैतिक दल से और समाज के किस सम्प्रदाय से संबंधित हैं, सब को पता है. लेकिन क्या इन उपद्रवकारियों को ये पता है कि प्रदर्शन की आड़ में जो हिंसा वे कर रहे हैं, उसके लिए देश के क़ानून में क्या सज़ा है?

हिन्सक प्रदर्शनकारियों पर लगती हैं कम से कम दो धाराएं  

भारतीय दंड संहिता मूल रूप से दो धाराओं के अंतर्गत हिंसा कर रहे प्रदर्शनकारियों को दंडित करती है. इनमें से एक है धारा 378 जिसके अंतर्गत सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर तीन साल की सश्रम कारावास की सजा हो सकती है. दूसरी धारा 425 है जो सामान्य जन या सामान्य सम्पत्ति को नुक्सान पहुंचाने पर लगती है. इसमें भी तीन वर्षों का कारावास हो सकता है.  

कौन होते हैं भीड़ के प्रदर्शनकारी  

भारत में अक्सर राजनीतिक मुद्दों पर प्रदर्शन करने के लिए भीड़ देखी जा सकती है लेकिन इस भीड़ में ये प्रदर्शनकारी कैसे जुटते हैं, ये सब नहीं जानते. दर-असल आधे से भी कम लोग तो किसी पार्टी के होते हैं जो प्रायः अनिच्छुक होने के बाद भी प्रदर्शन के लिए आने को विवश होते हैं. बाकी आधे से ज्यादा लोग आते नहीं बल्कि लाये जाते हैं. 

प्रदर्शन में शामिल आधे से अधिक लोग लाये जाते हैं

 भारतीय राजनीतिक प्रदर्शनों में शामिल लोगों की भीड़ में आधे से भी ज्यादा वो लोग होते हैं जो न ख़ुशी से आते हैं न ही बुलाये जाते हैं,बल्कि ये वो लोग हैं जो बाकायदा लाये जाते हैं. प्रदर्शन की भीड़ में शामिल होने के लिए इनको भांति-भांति के प्रलोभन दिए जाते हैं जो ज्यादातर आर्थिक होते हैं.   

अक्सर प्रदर्शनकारियों को मुद्दा ही पता नहीं होता 

देश में होने वाले प्रदर्शनों में अक्सर प्रदर्शन के लिए आये लोगों को दो बातें पता नहीं होतीं. पहली बात सुन कर आप को हैरानी होगी कि प्रदर्शन करने वाली भीड़ में चालीस से पचास प्रतिशत लोगों को यही नहीं पता होता कि मुद्दा क्या है जिसके विरोध में वे प्रदर्शन कर रहे हैं  

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