Nazul Land Bill: नजूल विधेयक पर भाजपाई ही एकमत नहीं, योगी सरकार के इस बिल में ऐसा क्या है?

Nazul Land Bill UP: योगी सरकार का नजूल संपत्ति विधेयक विधान परिषद में पास नहीं हो पाया, इसके लिए विरोधी पार्टियों से पहले भाजपा के ही नेताओं ने असहमति दर्ज करवा दी. निर्दलीय विधायक राजा भैया भी इसके खिलाफ हैं.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Aug 2, 2024, 11:28 AM IST
  • प्रवर कमेटी के पास गया बिल
  • दो महीने बाद आएगी रिपोर्ट
Nazul Land Bill: नजूल विधेयक पर भाजपाई ही एकमत नहीं, योगी सरकार के इस बिल में ऐसा क्या है?

नई दिल्ली: Nazul Land Bill UP: उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पारित हुआ नजूल संपत्ति विधेयक योगी सरकार के गले की फांस बनता दिख रहा है. एक तरफ तो सपा इसको लेकर विरोध जता रही है, दूसरी तरफ भाजपा के कुनबे से भी असहमति के स्वर उठने लगे हैं. यही कारण है कि ये बिल विधानसभा में पारित होने के बाद विधान परिषद में अटक गया है. सपा से पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने ही इस पर असहमति दर्ज करा दी. जिसके बाद इसे प्रवर समिति में भेज दिया गया है.

क्या है नजूल संपत्ति बिल?
सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि नजूल संपत्ति क्या है? दरअसल, ब्रिटिश काल के दौरान को राजा लड़ाई हार जाते थे, उनकी जमीन पर ब्रिटिश हुकुमत कब्जा कर लेती थी. आजादी के बाद ये जमीनें राज्य सरकार के पास चली गईं. लेकिन जिन्होंने ये दावा किया कि वे जमीन के वारिस हैं, उन्हें ये दे दी गई. जिन जमीनों पर किसी ने दावा नहीं किया, जो लावारिस हैं, उन्हें नजूल जमीन मान लिया गया. अब सरकार ने इन जमीनों को पर विकास करने की बात कही है. विरोधियों का तर्क है कि जिस जमीन पर सरकार विकास कार्य करवाना चाहती है, उस पर लंबे समय से कुछ गरीब बसे हुए हैं. उन्हें उजाड़कर विकास नहीं करना चाहिए. 

बिल के इस प्रावधान से भी विपक्ष नाराज
बिल में ये भी प्रावधान है कि यदि किसी ने नजूल संपत्ति को पत्ते पर लिया है और किराए का भुगतान कर रहे है, तो अनुबंध का नवीनीकरण किया जाएगा. पट्टे का 30 साल के लिए नवीनीकरण होगा. जैसे ही एग्रीमेंट का टाइम पूरा हो जाएगा, जमीन फिर सरकार के पास आ जाएगी. यदि कोई फिर भी नजूल जमीन का इस्तेमाल कर रहा है तो उसके पट्टे के किराया का निर्धारण जिलाधिकारी करेंगे. कुल मिलाकर बात ये है कि अब नजूल संपत्ति पर किसी भी व्यक्ति का पूर्ण स्वामित्व नहीं मिलेगा. इस बात से भी विपक्षी दल असहमत हैं.

इन नेताओं ने जताई असहमति
इस विधेयक को विधान परिषद डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य ने रखा. इसके तुरंत बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य भूपेंद्र चौधरी ने इसे प्रवर कमेटी में भेजने की मांग कर दी. अब दो महीने के लिए ये मामला ठंडे बस्ते में चला गया है, क्योंकि प्रवर समिति दो महीने बाद इस विधेयक पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. भाजपा विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी, सिद्धार्थ नाथ सिंह और CM योगी के करीबी कुंडा से निर्दलीय विधायक राजा भैया भी इस बिल के पक्ष में नहीं थे. इनके इलाके में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो नजूल जमीन पर रह रहे हैं. लिहाजा, ये उनकी नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते.

अनुप्रिया पटेल ने भी किया विरोध
भाजपा की सहयोगी, केंद्र में मंत्री और अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने भी इस विधेयक को तत्काल वापस लेने की मांग की थी. उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, 'नजूल भूमि संबंधी विधेयक को विमर्श के लिए विधान परिषद की प्रवर समिति को आज भेज दिया गया है. व्यापक विमर्श के बिना लाये गये नजूल भूमि संबंधी विधेयक के उत्तर प्रदेश सरकार को इस विधेयक को तत्काल वापस लेना चाहिए और इस मामले में जिन अधिकारियों ने गुमराह किया है उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए.'

 

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