नई दिल्लीः Corona महामारी ने हमारी रोज की जिंदगी को जुझारू और जद्दोजहद भरा बना दिया है. यानी किताबों में लिखा तथ्य 'जीवन एक संघर्ष है' हमारी जिंदगियों का सच बनकर सामने है. इस सच से लड़ता-जूझता थका हुआ आदमी एक दिन काट लेता है तो थोड़ा सुस्ता लेने वाले समय में भी उसके जेहन में कई सवाल उमड़ आते हैं.
सबसे पहला तो यहीं कि यह सब कब खत्म होगा? दूसरा- हम 2019 से पहले वाली सामान्य (बिना महामारी) जीवन शैली में कब तक लौट आएंगे?
जब पाबंदियां नहीं थीं
सवाल बड़ा है और व्यापक है. इसे लेकर दुनिया भर में कहीं मौन तो कहीं मुखर बहस जारी है. सामान्य जिंदगी से मतलब है कि जब आप बार- रेस्टोरेंट या फिर अम्यूजमेंट पार्क में अपनी बेफिक्री के साथ कुछ समय गुजारा करते थे.
दोस्तों-परिवारों के साथ टूर पर जाते थे या फिर, चल यार मूवी चलते हैं, जैसी बात कह दिया करना आसान हुआ करता था. गर्मजोशी से मिलना, हाथ मिलाना, कंधों पर हाथ रखकर चलना जिंदगी का हिस्सा था.
सब कुछ सामान्य कब तक?
यह समय वापस आने की क्या कीमत लेगा? दुनिया यह सवाल पूछ रही है. अभी तक जवाब बस इतना था कि Corona Guideline का पालन किया जाए और सही वक्त का इंतजार किया जाए.
लेकिन 2021 के शुरुआती महीनों में जब Vaccine की खेप लगभग हर देश में पहुंचने लगीं तो इस सवाल के जवाब ने थोड़ा विस्तार लेना शुरू किया.
हमारी जिंदगी में नया शब्द- वैक्सीन पासपोर्ट
इसी जवाब ने दुनिया के सामने एक नया शब्द रखा है वैक्सीन पासपोर्ट. सुनने में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन इस शब्द को बहु संख्य लोगों के बीच एक अच्छे विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. हो सकता है आने वाले दिनों में दुनिया के कई देश इस सैनेटाइजेशन, आइसोलेशन की ही तरह इसे भी जिंदगी में अनिवार्य बना कर शामिल कर लें.
ऐसे सामने आया था विचार
अब से तकरीबन पांच महीने पहले जब वैक्सीन पासपोर्ट की बात शुरू हुई थी तब यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो देशों के बीच यात्रा करने तक सीमित था. इसका दूसरा मकसद था कि सालभर से भी अधिक समय से ठप पड़ी टूरिज्म इंडस्ट्री में जान फूंकी जाए. लिहाजा इस विचार पर WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन) और WEF (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) साथ आए.
उन्होंने महामारी के बीच न्यू नॉर्मल को सोचते हुए वैक्सीन पासपोर्ट के तौर पर काम शुरू किया. यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गनाइजेशन (UNWTO) ने दुनियाभर के देशों से वैक्सीन पासपोर्ट को लागू करने की मांग की थी.
वैक्सीन पासपोर्ट बने जरूरी ट्रैवल डॉक्यूमेंट
जनवरी में UNWTO और टूरिज्म क्राइसिस कमेटी ने स्पेन में एक बैठक की जिसमें सहमति बनी कि यात्रा के लिए जरूरी कई दस्तावेजों में वैक्सीन पासपोर्ट को सबसे अहम दस्तावेजों में शामिल किया जाए. वैक्सीन लगाने के साथ लोगों को सर्टिफिकेट दिया जाए ताकि लोग ट्रैवलिंग कर सकें.
खैर, वैक्सीन सर्टिफिकेट देने की शुरुआत तो हो चुकी है, लेकिन दुनिया के सारे देश वैक्सीन पासपोर्ट को कितना और किस तरह अपनाते हैं. यह देखने वाली बात होगी.
लोकल लेवल पर भी लागू करने का विचार
अभी हाल के दिनों में लोकल लेवल पर भी इसे लागू करने का विचार सामने आया है. इसे इस तरह से देखा जा रहा है कि वैक्सीन पासपोर्ट एक ऐसा आवश्यक प्रमाणपत्र है जो किसी व्यक्ति का टीकाकरण हो जाने की स्थिति दर्शाता है.
साथ ही यह भी कि वह Covid-19 से मुक्त है या फिर संक्रमण नहीं फैलाने की स्थिति में है. ऐसे में इस पासपोर्ट के इस्तेमाल से रेस्रां, पब, बार, खेल परिसर और अन्य ऐसे सार्वजनिक स्थल पर उसे प्रवेश दिया जा सकता है.
इजरायल में ग्रीन पास सिस्टम
इजरायल में इस समय ‘‘ग्रीन पास’’ व्यवस्था लागू की गई है, जो टीकाकरण करवा चुके लोगों को थियेटरों, कंसर्ट हॉल्स, इंडोर रेस्त्रां और बार में प्रवेश की अनुमति देती है.
ब्रिटिश सरकार ने भी वैक्सीन पासपोर्ट योजना लागू करने का प्रयास किया था लेकिन कुछ जगहों पर इन प्रस्तावों के खिलाफ भारी विरोध का सामना करने के बाद सरकार को इसे वापस लेना पड़ा.
लेकिन यह योजना विवादास्पद बन सकती है
इसमें कोई चौंकने वाली बात नहीं है कि वैक्सीन पासपोर्ट योजनाएं विवादास्पद भी हैं. कई लोगों का तर्क है कि यह असमानता को बढ़ावा देगी.
हालांकि उनका यह भी कहना है कि Corona की स्थिति को देखते हुए और हर पहलू पर निगाह रखते हुए जब तक इस मॉडल को उचित तौर पर नहीं डिजाइन किया जाता है, तब तक इसे लागू करना जल्दबाजी होगी. खासकर, तब तक, जब तक कि हर व्यक्ति तक टीकाकरण नहीं पहुंच पाता है.
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कितना प्रभावी है यह विचार?
एक सवाल यह भी है कि वैक्सीन यह प्रमाणित नहीं करती कि इसके संक्रमण के बाद कोरोना का खतरा नहीं होगा. बल्कि विशेषज्ञ सिर्फ इतना भरोसा देते हैं कि इससे संक्रमण हल्के प्रकार का होगा. यानि कि एक वैक्सीन पासपोर्ट धारक भी हल्के स्तर का ही सही कोरोना का कैरियर (वाहक) तो बन ही सकता है.
ऐसे में इस पासपोर्ट जैसे विचार का औचित्य क्या है? इसके लिए जवाब आता है कि Covid-19 टीकाकरण के गंभीर दुष्प्रभाव होने का खतरा बहुत ही कम है, इसलिए टीकाकरण न केवल अपने लिए सुरक्षा और दूसरों के प्रति मेहरबानी है बल्कि टीकाकरण करवाना एक नैतिक दायित्व भी है.
बड़े लाभ के लिए छोटा बलिदान है वैक्सीन पासपोर्ट
वैक्सीन पासपोर्ट एक सामान्य दैनिक जीवन की ओर लौटने की बहुत मामूली कीमत है. इससे विमान, या थियेटर, रेस्टोरेंट या स्टेडियम में आपके संपर्क में आने वाले लोगों की भी बैचेनी कम होगी.
एक बहुत बड़े लाभ के लिए ये मामूली सा बलिदान है. हमारे समाज को Lockdown जैसी स्थितियों से निकाल लाने की कवायद है.
अपवाद मामलों में लोगों को राहत देना जरूरी
लोगों के एक ऐसे छोटे समूह को, जो स्वास्थ्य कारणों से टीकाकरण करवाने में सक्षम नहीं हैं, टीकाकरण से छूट दी जा सकती है, लेकिन उन्हें भी एक पासपोर्ट दिया जाना चाहिए जिसमें बताया गया हो कि छूट दिए जाने का यह कारण है और इस कारण के आधार पर उन्हें किसी समारोह या परिसर में प्रवेश से इनकार नहीं किया जाना चाहिए.
हालांकि यह कर्तव्य बनता है कि पूरे समुदाय के लिए टीकाकरण की व्यवस्था जल्द हो और यह समय से पूरा भी हो.
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