एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे की जंग में दाऊद की एंट्री, तो इसलिए बागी हुआ मराठा सरदार

क्या आप जानते हैं कि शिवसेना के कद्दावर नेता रहे एकनाथ शिंदे ने अपनी ही पार्टी और सरकार से बगावत क्यों की? इस सवाल के जवाब का अंदाजा लोग अपने-अपने हिसाब से लगा रहे हैं, लेकिन असल माजरा कुछ और ही है. एकनाथ शिंदे ने खुद ये राज खोल दिया है कि आखिर उन्होंने बागी तेवर क्यों अख्तियार किए.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jun 27, 2022, 07:08 PM IST
  • महाराष्ट्र सरकार में कौन है दाऊद का करीबी?
  • एकनाथ शिंदे ने क्यों उद्धव पर लगाए ये आरोप?
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे की जंग में दाऊद की एंट्री, तो इसलिए बागी हुआ मराठा सरदार

नई दिल्ली: एकनाथ शिंदे के तल्ख तेवर को देख कर ये माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार आज नहीं तो कल चली जाएगी, लेकिन शिंदे गुट इससे ज्यादा की तैयारी कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि उद्धव ठाकरे को ही शिवसेना से बाहर करने की योजना पर काम किया जा रहा है. इन दिनों एकनाथ शिंदे अपने मन में पल रही सारी बातों को ट्विटर के जरिये बयां कर रहे हैं. वो बता रहे हैं कि वो किन-किन कारणों के चलते उद्धव से बगावत करने के लिए मजबूर हो गए.

महाराष्ट्र की लड़ाई में दाऊद की एंट्री

किसने सोचा था कि बाल ठाकरे के जाने के सिर्फ 10 साल बाद ही उनके बेटे की पार्टी पर ऐसा संकट आ जाएगा कि उनके विधायक शिवसेना भवन की चाबी पर दावा ठोक देंगे. समय का फेर सियासत को किस तरह मोड़ दे कोई नहीं जानता. इस सड़कछाप सियासी लड़ाई में अब दुबई में बैठे दाऊद की भी एंट्री हो गई है. शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने जो ट्वीट किया है, सबसे पहले वो पढ़िए... 

शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने ट्वीट कर लिखा, 'हिंदू हृदय सम्राट वंदनिया बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना मुंबई बम विस्फोट करके निर्दोष मुंबईकरों को मारने वाले का कैसे समर्थन कर सकती है, जिनका दाऊद से सीधा संबंध है, इसलिए मैंने ये कदम उठाया. हिंदू हृदय सम्राट वंदनिया बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व के विचारों के लिए और बालासाहेब की शिवसेना को बचाने के लिए, हम मर भी जाएं तो बेहतर है. अगर ऐसा होता है तो ये हमारा भाग्य होगा.'

दाऊद के साथ सीधा संबंध किसका है, ये पूरा महाराष्ट्र जानता है. एकनाथ शिंदे ने नाम तो नहीं लिया, लेकिन इस ट्वीट में संदेश साफ था. एनसीपी से रिश्ता तोड़िए और बीजेपी से रिश्ता जोड़िए.

दाऊद से किस नेता का संबंध है?

नवाब मलिक एनसीपी के बड़े नेता हैं और आरोप ये है कि दाऊद के नाम और काम.. दोनों का नवाब मलिक ने अपनी संपत्ति को बढ़ाने में इस्तेमाल किया. ये अलग बात है कि नवाब मलिक जेल में बंद है और उनके डी कंपनी से रिश्ते पर बाहर घमासान मचा है.

संजय राउत से जब पूछा गया कि डी कंपनी से रिश्ता रखने वालों के साथ आपने सरकार क्यों बनाई, तो संजय राउत एक बार फिर से महबूबा मुफ्ती और बीजेपी के रिश्तों पर अटक गए.

'जिसने दिया था बाला साहब को गिरफ्तार करने का आदेश..'

बागियों की संख्या रोजाना बढ़ती जा रही है और यही से एक सीधा सा सवाल सामने आता है कि शिंदे जरूरत से ज्यादा बागियों को क्यों जुटाते जा रहे हैं. नवाब मलिक के बाद छगन भुजबल की बगावत भी उद्धव ठाकरे को याद दिलाई गई. बागी विधायक सुभाष साबने के एक वीडियो को भी शिंदे ने ट्विट करते हुए लिखा है कि, 'जिसने बाला साहब ठाकरे को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था, उसके साथ कैबिनेट की बैठक कैसे कर सकते हैं.'

इस वीडियो में शिवसेना के बागी विधायक सुभाष साबने उद्धव सरकार पर हमला बोलते दिखाई दे रहे हैं. एकनाथ शिंदे बीजेपी में मिलकर उद्धव की सरकार को गिरा सकते थे, लेकिन इरादा सिर्फ सरकार बनाने या गिराने का नहीं है, शिंदे बार-बार यही बोल रहे हैं कि वो बाल ठाकरे के सच्चे सेवक हैं. बाला साहेब के हिंदुत्व का पालन करते हैं.

इस खेल के पीछे बीजेपी का हाथ?

वो सूरत से लेकर गुवाहटी पहुंच गए, लेकिन इरादा पूरी तरह साफ था कि उद्धव ठाकरे को शिवसेना पार्टी में ही पैदल करना है. हालांकि शिवसेना को लगता है कि ये सब पैसों के लिए हो रहा है. 50 करोड़ का खेल है, इससे ज्यादा कुछ नहीं. सामना में शिवसेना की ओर से लिखा गया कि इस खेल के पीछे बीजेपी है. खुलेआम खरीद -ब्रिकी चल रही.

एकनाथ शिंदे चाहते हैं कि जब तक ये पूरी तरह साफ ना हो जाए कि पार्टी पर अधिकार उद्धव ठाकरे का ही रहेगा. तब तक वो गुवाहटी से ही कोर्ट और चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाते रहेंगे. शिंदे दिखाना चाहते हैं कि उन्होने पार्टी से बगावत नहीं की है, पार्टी के फैसले के खिलाफ खड़े हैं. इसलिए विधायकी रद्द करने और पार्टी से निकालने का सवाल ही नहीं उठता,

बाल ठाकरे की छाप और छाया में रहकर राजनीति सिखने वाले एक शिवसैनिक ने बाल ठाकरे के बेटे को बेचैन कर दिया है. महाराष्ट्र के इस सियासी ड्रामे का अगला एपिसोड क्या होगा, चौपाटी से नहीं गुवाहटी से तय हो रहा है.

भले ही इशारों-इशारों में ही सही, लेकिन एकनाथ शिंदे लगातार ट्वीट करके ये बता रहे हैं कि उनकी बगावत फिजूल की नहीं है. एकनाथ शिंद को एनसीपी जरा भी पसंद नहीं है, तभी तो वो बार-बार उद्धव ठाकरे के हिंदुत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

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