नई दिल्ली: विश्व बैंक (World Bank) ने अपनी रिपोर्ट में भारत के कोरोना मैनेजमेंट को सराहा है. World Bank ने 12 करोड रुपये भारत को लोन दिए थे, जिसमें से 4.5 करोड़ कोरोना के लिए जरूरी मशीनरी और उपकरण खरीदने पर था.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत की चुनौतियां
भारत की निर्माण क्षमता कम थी. हर राज्य में कोरोना फैला. दुनिया में कोरोना से लडने के हर सामान की किल्लत की वजह से दामों में भारी उछाल आया था. World Bank के मुताबिक भारत ने क्या सही कदम उठाए. सेंट्रल procurement, पीपीई के सामान और बाकी चीजों की जरूरत का सही एनालिसिस सरकार की ओर से किया गया. कई मंत्रालयों ने मिलकर ग्रुप बनाए और काम किया. प्राइवेट लैब आगे आई और 50% टेस्टिंग का जिम्मा संभाला.
कैसे रोके घपले?
सिंगापुर की एक कंपनी ने चीन के सब-स्टैंडर्ड (Sub Standard) मास्क बेचने की कोशिश की. कंपनी ने थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन (Third Party Inspection) को बाइपास करने की कोशिश की. लेकिन ये घपला HLL ने पकडा. HLL सरकार की ओर से सेंट्रल एजेंसी थी जो कोरोना में वसूली (Procurement) का काम कर रही थी.
सरकार ने ये पैसा भी वापस हासिल करने का प्रयास किया. तकरीबन 10 मिलियन डॉलर यानी 1 करोड़ रुपये सिंगापुर की EOI singapore में अलग से जमा है, केस चल रहा है. जबकि इसी दौरान अमेरिका को थाइलैंड की एक कंपनी ने 200 मिलियन घटिया क्वालिटी के ग्ल्वस सप्लाई किए थे जिसका कोई समाधान नहीं निकल पाया था.
अब क्या सामान कितने का मिलता है?
भारत ने जल्द से जल्द आत्मनिर्भरता की ओर रुख किया- टेस्टिंग से लेकर पीपीई किट तक हर सामान भारत में बनने लगा जिसका बहुत फायदा हुआ.
N 95 mask का दाम 250 से कम होकर 20 रुपये पर आया.
PPE KIT 700 से 150 की हो गई है.
Rt pcr kit जिससे कोरौना का टेस्ट होता है वो पहले 1207 की पड़ रही थी वो 72 रुपये की लागत पर बनाई जा सकी.
बेसिक आईसीयू वेंटिलेटर 2 लाख रुपये में बनाया गया जबकि ये निर्यात होकर 10 लाख रुपये का पड़ रहा था.
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में इस बात की भी तारीफ की गई है कि सभी राज्यों में कोरोना के सही फैलाव का आंकलन कर लिया गया और वो सही साबित हुआ. उसी हिसाब से सभी को जरूरी सामान मुहैया कराया जा सका.
Precaution dose 60+ आयु के लिए बेहद जरूरी-
अमृत महोत्सव के दौरान 75 दिन Free लगवाएं और फायदा उठाएं-
(सरकार की अपील)
इस बीच सरकार ने प्रिकॉशन डोज का डाटा भी जारी किया. जिसके मुताबिक लोगों में बूस्टर डोज को लेकर जागरूकता की कमी है- लोगों को आगे आना चाहिए. हालांकि आजादी के अमृत महोत्सव पर सरकारी अस्पतालों में एहतियात (Precaution) डोज फ्री करने से तेजी आई लेकिन अभी भी कम है. कुल 15 करोड़ Precaution Dose में से 10 करोड़ प्रिकॉशन डोज फ्री होने के बाद लगी है.
किसको कितनी लगी है प्रिकॉशन डोज?
18 से 59 साल के 77 करोड़ लोग इसके लिए इलेजिबल (Eligible) थे. 11.96 परसेंट लोगों ने एहतियाती खुराक (Precaution Dose) ली. 60+ जिसमें स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता शामिल हैं (Including Health Care Workers and frontline workers) इनमें 16.80 करोड़ लोग इलेजिबल (Eligible) थे, 35% ने Precuation Dose लगवाई है.
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