नई दिल्ली. भारत जीतते-जीतते हार गया या ये कहें कि युवा टीम हार को जीत में बदलने के करीब जा कर भी नाकाम रही. मैच में 6 ऐसे बड़े कारण नजर आये जिन्होंने भारत के जबड़े में आई हुई जीत को भी हार में बदल दिया.
सबसे बड़ा कारण टॉस हारना
किस्मत ने थोड़ी से नाइंसाफी की टीम इंडिया के साथ. इस पूरे टूर्नामेंट के दौरान बड़ी टीम इण्डिया की तरह छोटी टीम इण्डिया भी रन चेज़ में माहिर नज़र आई. इसलिए अगर टीम टॉस जीत जाती तो पहले क्षेत्ररक्षण चुनती और नई गेंद से नई पिच पर बोलर्स ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करते साथ ही चेज़ करते हुए मैच जीतने का मौक़ा भी टीम को मिल जाता.
धीमी शुरुआत पड़ी भारी
टीम इंडिया की शुरुआत बहुत सुस्त हुई. शुरूआती बल्लेबाजों ने रनगति इतनी धीमी रखी कि बाद में उसकी भरपाई मुश्किल हो गई. मध्य-क्रम और निचले क्रम के बल्लेबाजों के लिए दुहरा दबाव हो गया - एक तो उनको रनगति बढ़ाना था ऊपर से अपना विकेट भी बचाना था. और वे इन दोनों ही कामों में नाकाम रहे.
मध्य क्रम का असफल रहना
विकेट बचा कर खेलने के नज़रिये से शुरुआत अच्छी की थी यशस्वी और तिलक वर्मा ने और एक विकेट पर सौ रनों के पार भारत का स्कोर पहुंचा भी दिया था. लेकिन उसके बाद जो विकेट गिरने शुरू हुए कि अगले सतत्तर रनों में पूरी टीम आउट हो गई.
कैच छोड़ा तो मैच छोड़ा
भारतीय टीम की फील्डिंग मार्के की नहीं रही. विश्वकप के फाइनल में यदि आप तीन-चार अहम कैच छोड़ देते हैं तो पूरा मैच ही छोड़ देते हैं, हुआ भी यही.
बोलिंग में एक्स्ट्रा रनों की बाढ़
अनुभव की कमी के कारण गेंदबाज़ों पर पड़ने वाला दबाव टीम के लिए नुकसानदेह रहा. विश्वकप के किसी भी राउंड में अतिरिक्त रन देना अपराध करने जैसा काम होता है. फिर फाइनल मैच की आखिरी दहलीज पर गेंदबाज़ जब बीस के आसपास एक्स्ट्रा रन लुटाते हैं तो ज़ाहिर है कि जीत दरवाजे पर दस्तक दे कर भी वापस लौट जाती है.
बिश्नोई की आखिरी गेंद
भारत की नई विश्वस्तरीय स्पिन गेंदबाज़ी प्रतिभा, रवि विश्नोई ने अपनी गेंदबाज़ी से प्रभावित किया और इस पूरे मैच के हीरो वही रहे. पर यदि वे अपने अंतिम ओवर की अंतिम गेंद पर राउंड दी विकेट गेंदबाज़ी नहीं करते तो शायद मैच का नतीजा कुछ और होता. विश्नोई ओवर दी विकेट साइड से इतनी अच्छी गेंदबाजी कर रहे थे कि उनकी हर गेंद पर विकेट की संभावना बन रही थी. लेकिन अचानक क्या उनके मन में आया कि अंतिम गेंद उन्होंने राउंड दी विकेट फेंक दी जो कि अप्रभावी रही. यदि उन्होंने ये गेंद भी ओवर दी विकेट फेंक कर अकबर अली को आउट कर दिया होता तो आज मैच के बाद देश में पटाखे फूट रहे होते और भारतीय क्रिकेट प्रेमी विश्वविजय का उत्सव मना रहे होते.
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