चीन के खिलाफ भारत को मिला दुनिया भर का समर्थन

चीन बुरी तरह फंस गया है. गलत जगह गलत देश से भिड़ने की कीमत उसे चुकानी पड़ सकती है. आज हाल ये है कि चीन आगे बढ़ नहीं सकता और पीछे हट भी नहीं सकता..पीछे हटने में उसकी हार है और आगे बढ़ने पर भारत की मार है..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 20, 2020, 10:08 PM IST
    • अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान सहित कई देशों से मिला नैतिक समर्थन
    • भारत को मिल रहा है कूटनीतिक साथ
    • भारत करेगा अपनी विश्वसनीयता का विस्तार
चीन के खिलाफ भारत को मिला दुनिया भर का समर्थन

नई दिल्ली. दुनिया के सुप्रीम लीडर बनने की इच्छा पाले शी जिनपिंग भारत के खिलाफ भी अपनी क्रीपिंग फॉरवर्ड पॉलिसी के सहारे आगे बढ़ रहे हैं.  तीन कदम आगे बढ़ कर दो कदम पीछे हटने से उसको हर देश के खिलाफ एक कदम की बढ़त अर्थात दूसरे देश की ज़मीन का कुछ हिस्सा मिल ही जाता है. लेकिन ये नौटंकी भारत के सामने अब नहीं चलनी वाली है. 

 

कई देशों से मिला नैतिक समर्थन

 चीन की आदत है कि वह दोस्त कम बनाता है दुश्मन ज्यादा बनाता है. इस कारण अब जब उसने भारत से दो दो हाथ करने की ठानी है तो भारत को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों ने अपना नैतिक समर्थन दे दिया है.  राजनयिक स्तर पर भारत की लगातार अपने मित्र राष्ट्रों से बातचीत चल रही है. और अब जो देखने में आया है वो चीन को परेशान करने वाला है अर्थात अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने खुलकर चीनी नीति की आलोचना की है और अपरोक्ष रूप से भारत के प्रति अपना समर्थन भी जता दिया है.

भारत को मिल रहा है कूटनीतिक साथ  

जिस तरह से किसी समस्या के समाधान के लिए कूटनीतिक स्तर का समाधान ही असली समाधान है उसी तरह कूटनीतिक समर्थन ही मूल समर्थन है. आज चीन की दुष्टता के विरुद्ध भारत को वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक समर्थन मिल रहा है जिससे चीन पर दबाव बढ़ रहा है. हालांकि ये मानना कि भारत को मिलने वाले वैश्विक समर्थन के दबाव में आ कर चीन सुधर जाएगा, सही नहीं है. ये आशंका भी है कि इस कारण चीन और आक्रामक तेवर अपना ले क्योंकि वह आज दुनिया को बताना चाहता है कि असली शक्तिमान वह है. 

भारत करेगा अपनी विश्वसनीयता का विस्तार 

भारत की सोच बहुत सकारात्मक है. चीन के विरुद्ध विश्व स्तर पर मिल रहे समर्थन का उपयोग  भारत अपनी विश्वसनीयता के विस्तार के लिए करने जा रहा है. यही वह समय है जब भारत अपने आधारभूत ढांचे के निर्माण में भी तेजी लाने की दिशा में बढ़ेगा. चीन अपने दूसरे दबावों से ध्यान हटाने के लिए भारत  भारत पर दबाव बना चाहता है ताकि अपनी समस्याओं से ध्यान बंटाने में कामयाब हो जाए. कई देश दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियों पर भी अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं.

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