नई दिल्लीः इस वक्त जब सारी दुनिया कोरोना से जूझ रही है और बचने की कोई उम्मीद अभी तक नजर नहीं आ रही है. ऐसे कठिन वक्त में बीमारियों के लिहाज से एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है. हालांकि यह खबर कोरोना को लेकर नहीं है, बल्कि एक और बड़ी बीमारी को लेकर है. दरअसल यह खुशी HIV को लेकर है, एक अद्भुत मामला सामने आया है, जिसमें अपने आप HIV वायरस एक मरीज से खत्म हो गया है.
अपने आप ठीक हुआ संक्रमण
जानकारी के मुताबिक, 26 अगस्त को साइंस मैगजीन नेचर ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की. रिपोर्ट के अनुसार बताया गया कि एक HIV संक्रिमत के शरीर से वायरस अपने आप निष्क्रिय हो गया. जब अपने आप एचआईवी के ठीक होने का मामला सामने आया तो डॉक्टरों ने सबसे पहले उस व्यक्ति के शरीर में मौजूद 150 करोड़ कोशिकाओं की जांच की.
दरअसल HIV संक्रमित की गोपनीयता के लिए इस मरीज का नाम EC2 रखा गया है.
डॉक्टरों ने कई पहलुओं पर जांच की
डॉक्टरों ने एचआईवी संक्रमित एक और मरीज EC1 के भी शरीर की 100 करोड़ कोशिकाओं की जांच की. इसके शरीर में सिर्फ एक सक्रिय वायरस ही मिला जो कि आनुवांशिक रूप से निष्क्रिय है.
निष्कर्ष में सामने आया है कि एचआईवी से ठीक हुए दोनों मरीजों के शरीर का जेनेटिक्स ऐसा है कि वह एचआईवी वायरस को नष्ट कर दे रहा है. इन दोनों ही मरीजों के शरीर में HIV से होने वाले नुकसान नहीं देखे गए.
इन्हें कहते हैं एलीट कंट्रोलर्स
वैज्ञानिकों ने EC1 और EC2 दोनों को ही एलीट कंट्रोलर्स नाम दिया है. दरअसल, एलीट कंट्रोलर्स वैसे मरीजों को कहा जाता है, जिनके शरीर में एचआईवी वायरस है,
लेकिन वह पूरी तरह से निष्क्रिय है या फिर इतनी कम मात्रा में है कि वह बिना किसी इलाज और दवा के खुद-ब-खुद ठीक हो सकता है.
संक्रमित ने नहीं ली थी कोई भी दवा
वैज्ञानिक ऐसा मान कर चल रहे हैं कि हो सकता है कि EC1 और EC2 के शरीर में एचआईवी का कमजोर वायरस हो. यह भी सामने आया कि आश्चर्य में पड़े वैज्ञानिकों ने 64 एलीट कंट्रोलर्स के शरीर की जांच की. इनमें से 41 मरीज एंटीरेट्रोवायरल दवा का सेवन कर रहे थे, लेकिन EC2 ऐसा मरीज है, जिसने कोई दवा नहीं ली और उसके शरीर में एचआईवी वायरस पूरी तरह से निष्क्रिय है.
बिना दवा वायरस पर नियंत्रण नामुमकिन, लेकिन ऐसा हुआ
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के डेविड स्कूल ऑफ मेडिसिन में एचआईवी पर शोध करने वाले सत्या दांडेकर ने कहा कि दुनिया में करीब 3.50 करोड़ लोग एचआईवी से संक्रमित हैं,
जिसमें से 99.50 फीसदी ऐसे मरीज हैं, जिन्हें हर रोज एचआईवी की दवा यानी एंटीरेट्रोवायरल दवा लेनी पड़ती है, क्योंकि बिना दवा के इस वायरस पर नियंत्रण लगभग नामुमकिन है.
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