नन्हीं चींटी आपको बचा सकती है बड़े दुखों से, जानिए कैसे

भारतीय आध्यात्मिक शास्त्रों में चींटी को बेहद महत्व दिया गया है. उसे भगवान विष्णु का प्रतिरुप बताया गया है. चींटियों की सेवा से कई प्रकार के क्रूर ग्रहों का शमन होता है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 31, 2020, 09:50 AM IST
    • चींटी की सेवा से दुख दूर
    • शाम के समय कराएं चीटियों को भोजन
नन्हीं चींटी आपको बचा सकती है बड़े दुखों से, जानिए कैसे

चींटी के महत्व की कथा समझने के लिए हिरण्यकशिपु और प्रह्लाद की कथा को जानना बेहद जरुरी है.  ब्रह्मा जी के वरदान से लगभग अमर हो चुके हिरण्यकशिपु को मारने के लिए श्रीहरि ने नरसिंह रुप धारण किया था. 

आग से तपते खंभे पर रेंग रही थी चींटी 
नन्ही चींटी को श्रीहरि विष्णु का प्रतीक माना जाता है.  प्रहलाद को मारने के लिए उसके पिता हिरण्यकशिपु के सेवकों ने उसे विभिन्न प्रकारों से सताया था. सबसे आखिर में हिरण्यकश्यपु ने भक्त प्रह्लाद से कहा कि यदि हरि पर इतना विश्वास है तो इस दहकते लोहे के खंबे से से लिपटकर दिखाओ. तब प्रह्लाद ने अपने आराध्य श्री विष्णु को चींटी के रूप में उस लौह स्तंभ पर घूमते देखा तो खुशी-खुशी उस आग से लाल खंभे से लिपट गए.  तप्त लौह स्तंभ शीतल हो गया. जिसके बाद उसी खंभे से नरसिंह प्रकट हुए और हिरण्यकशिपु का वध कर दिया. लेकिन इस स्वरूप के पहले उन्होंने चींटी के रुप में प्रह्लाद को अभय कर दिया था. 

चींटी की सेवा से दुख होते हैं दूर 
चींटी रूपी नारायण को भोजन कराने से राहु एवं शनि के क्रोध का शमन होता है. इसके लिए राहु, केतु एवं शनि की महादशाओं, अंतर्दशाओं, प्रत्यंतर दशाओं के काल में कसार (शुद्ध घी से भुना आटा जिसमें शक्कर मिश्रित हो) बनाकर जंगल में चींटियों के बिलों पर डालें अथवा कसार को सूखे गोले में भर शनिवार की प्रातः जंगल में पीपल, बरगद, पिलखन अथवा शमी वृक्ष की जड़ में दबाएं. 
यह प्रयोग विशेषकर ग्रीष्म अथवा वर्षा ऋतु में करें निश्चित रूप से क्रूर ग्रहों के प्रकोप का शमन होगा. चींटियो को शाम के समय भोजन देना ज्यादा अच्छा माना जाता है. 

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