हिमालय में छुपा 'आदि शक्ति' का 'चमत्कारी धाम'

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी का जन्म 4 अरब 60 करोड़ साल पहले हुआ. लेकिन इंसान का जन्म एक जटिल प्रकिया के बाद हुआ. वैज्ञानिक तर्कों पर जाएं तो इंसानी सभ्यता का सबसे पहला काल, पाषाण काल कहा जाता है और अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर के पास से पाषाण काल के सबूत मिलते हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 25, 2020, 05:00 PM IST
    • कसार देवी का प्रचीन मंदिर अल्मोड़ा में एक छोटी सी पहाड़ी के नीचे बना हुआ है.
    • वैज्ञानिको का मानना है कि कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है
हिमालय में छुपा 'आदि शक्ति' का 'चमत्कारी धाम'

नई दिल्लीः आदि शक्ति के जितने नाम उतने रहस्य. ऐसा ही एक रहस्य हिमालय की गोद में छिपा हुआ है. उस रहस्य के आगे विज्ञान भी नतमस्तक नज़र आता है. वैसे भी आस्था और विश्वास के आगे तर्क कहां कभी टिक पाए हैं. भगवान शिव की भूमि देवभूमि उत्तराखंड, रहस्यों और चमत्कारों की अद्भुत भूमि. वह भूमि जहां शिव के साथ शक्ति का वास है और शक्ति के बिना कोई भी चमत्कार संभव नहीं. 

उत्तराखंड के अल्मोड़ा में आदि शक्ति का एक ऐसा साक्षात सबूत है जो रहस्यों का भी रहस्य है. माता का ऐसा मंदिर जहां चु्म्बकीय शक्ति या वैज्ञानिक भाषा में कहें तो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी का रहस्य छुपा है. ऐसा शक्तिपीठ जो दुनिया में गुरुत्वाकर्षण बल का केंद्र बना हुआ है. जो इंसानों को ज़मीन पर चलने की ताकत देता है. जो पृथ्वी पर जीवन का आधार कहा जा सकता है.

कितना पुराना शक्ति का रहस्य ?
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी का जन्म 4 अरब 60 करोड़ साल पहले हुआ. लेकिन इंसान का जन्म एक जटिल प्रकिया के बाद हुआ. वैज्ञानिक तर्कों पर जाएं तो इंसानी सभ्यता का सबसे पहला काल, पाषाण काल कहा जाता है और अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर के पास से पाषाण काल के सबूत मिलते हैं. मतलब हज़ारों-लाखों साल पुराना एक रहस्य जिसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया. 

कसार देवी का प्रचीन मंदिर अल्मोड़ा में एक छोटी सी पहाड़ी के नीचे बना हुआ है. चारों ओर कुदरत की खूबसूरत छटा और मंदिर के आस-पास असीम शांति का एहसास होता है. मंदिर अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी हैं. वैज्ञानिको का मानना है कि कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है,

जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है. इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं. मतलब एक ऐसी ऊर्जा जो दुनिया के संचालन के लिए सबसे जरूरी है.

नासा भी नहीं खोज पाया सच 
पौराणिक मान्यताओं और चमत्कारों का रहस्य जब दुनिया तक पहुंचा तो अमेरिका की सबसे बड़ी रिसर्च कंपनी नासा ने भी इस पर रिसर्च करनी शुरू की. 2012 में अपनी आधुनिक मशीनें लगाकर उन्होंने पहाड़ के नीचे से आ रही ऊर्जा का पता लगाना शुरू किया लेकिन 8 साल बाद भी उनके हाथ खाली है.

वैज्ञानिकों ने अपने- अपने अंदाज़े पर अलग-अलग थ्योरियां जरूर गढ़ दीं. लेकिन माता जहां खुद मौजूद हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं वहां तर्कों के लिए कोई जगह हो सकती है क्या ? शायद नहीं.

दुनिया में तीन जगह मिली ऐसी ऊर्जा- 
अब तक हुए वैज्ञानिक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू और इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं. ये तीनों अलौकिकता शक्ति का केंद्र हैं. कसार देवी की तरह अमेरिका के माचू-पिच्चू, पेरू में भी ऐसी ही शक्ति का एहसास होता है.

यहां भी धार्मिक नगरी इंका में सभ्यता के अवशेष मिले. सबसे हैरान करने वाली बात ये कि यहां ऊपर पहाड़ी से देखने पर नीचे लम्बी लाइन दिखती है लेकिन नीचे पहुंचने पर कोई लाइन नज़र नहीं आती. ठीक ऐसा ही एहसास इंग्लैंड के विल्टशायर स्टोन हैंग स्मारक में भी होता है जिसे दुनिया के 7 अजूबों में शामिल भी किया गया है.

रहस्य पर भक्तों की भारी आस्था
 ये तो अलौकिक शक्तियों के वो रहस्य हैं जिन पर वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे लेकिन. भक्त तो इसे शांति और आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र मानते हैं. भक्तों का कहना है कि यहां आने से एक अद्भुत शांति का एहसास होता है. मन और दिमाग की सारी नकारात्मक ऊर्जा निकल जाती है और साकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है.

खुद स्वामी विवेकानंद ने भी इस स्थान को आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र बताया था. अगर आलौकिक रहस्य की नज़र से देखें तो निसंदेह ये मंदिर और पहाड़ी आस्था और विश्वास पर टिका आध्यात्मिक शक्ति का ऐसा स्वरूप है जिसे देखकर किसी का भी सिर झुक जाएगा. 

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