नई दिल्ली: Money Can Buy Happiness Or Not: आपने कई बार लोगों को बहस करते हुए सुना होगा कि पैसा खुशियां खरीद सकता है या नहीं? सदियों पुराने इस सवाल पर आज भी कई लोग बहस करने से पीछे नहीं हटते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि पैसा खुशियां नहीं खरीद सकता तो कई लोग कहते हैं कि पैसे के बिना खुशी हमें मिल ही नहीं सकती. खैर इस पर लोगों की कई तरह की बहस होती रहती है. पैसों और खुशी के बीच के इस बड़े से कठिन संबंध को जानने के लिए चलिए इस रिसर्च का सहारा लेते हैं. जानते हैं कि यह रिसर्च पैसों और खुशी को लेकर क्या कहती है.
क्या कहती है रिसर्च?
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनियाडैनियल से काहनेमन और मैथ्यू किलिंग्सवर्थ ने पैसा खुशियां खरीद सकता है या नहीं इसको लेकर 2010 में एक रिसर्च की. उनकी ओर से कई गई इस रिसर्च के मुताबिक व्यक्ति की आय एक निश्चित सीमा तक पहुंचने के बाद उसे खुशियां ही खुशियां मिलती हैं. 33, 000 लोगों के उपर किए गए इस रिसर्च के मुताबिक व्यक्ति की आय बढ़ने के साथ ही उसकी खुशियां भी बढ़ती रहती हैं. स्टडी में ये भी खुलासा हुआ है कि कम आय वाले लोगों की आय बढ़ने पर वो उन लोगों के मुकाबले अधिक खुश होते हैं, जिनकी आय पहले से अधिक है. वहीं जिन लोगों के पास ज्यादा पैसा होता है उनमें ज्यादा सकारात्मक आत्म-धारणा होती है. वहीं पैसा बढ़ने के साथ व्यक्ति इमोश्नली भी स्ट्रॉन्ग होने लगता है, हालांकि सिर्फ 74 लाख रुपये तक वार्षिक आय वालो के साथ ही ऐसा हो सकता है.
पैसा ही खुशी नहीं है
और मैथ्यू किलिंग्सवर्थ ने अपने एक स्टेटमेंट में कहा था कि 'पैसा सब कुछ नहीं है. यह खुशी का एक कारण हो सकता है. पैसा खुश रहने का एकमात्र जरिया नहीं है, लेकिन इसके लिए यह थोड़ी बहुत मदद कर सकता है'.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.
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