नई दिल्ली: Frostbite: सर्दियों में कई लोग बर्फीली जगहों पर घूमना और ट्रेक करना बेहद पसंद करते हैं. खासतौर पर मनाली, नैनीताल और कश्मीर जैसी जगहों पर स्नोफॉल देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. एक ओर जहां इन एंडवेंचर को ट्राई करना एक मजेदार एक्सीपिरियंस हो सकता है तो वहीं कुछ लोगों के लिए ये गले की मुसीबत भी बन सकता है. दरअसल पहाड़ी इलाकों में मैदानी इलाकों के मुकाबले ज्यादा ठंड होती है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है और त्वचा सुन्न पड़ने लगती है. इसके चलते आपकी हाथ-पैरों की उंगलियों की नसें ठंड के कारण जम सकती है, जिससे आपको कोल्ड बर्न या फ्रॉस्ट बाइट की समस्या हो सकती है.
फ्रॉस्ट बाइट के लक्षण
त्वचा का सख्त होना, हाथों-पैरों की उंगलियों पर फफोले पड़ना
हाथ-पैरों की उंगलियों में खुजली, सूजन और उनका लाल होना
उंगलियों में लगातार हल्की चुभन होते रहना
त्वचा का पपड़ीदार होना या सुन्न पड़ जाना
इसके साथ ही हाथों की उंगलियों के ज्वॉइंट्स में दर्द होना
मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द या अकड़न होना
त्वचा का लाल, नीला या पीला होना. स्थिति तब गंभीर हो जाती है जब त्वचा का रंग बदलकर काला होने लगता है.
फ्रॉस्ट बाईट से बचने के उपाय
ठंडी जगहों पर जाते समय अच्छे से गर्म कपड़े और टोपी पहने लें. हाथों में दस्ताने और पैरों में मोजे हमेशा पहनकर रखें. गले में स्कार्फ भी लगाएं.
बर्फीली जगह पर हैं तो एक ही जगह पर बैठें नहीं बल्कि एक्सरसाइज करते रहें, जिससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन हो सके.
हाथों को आपस में रगड़ते रहें इससे फ्रॉस्टबाइट की समस्या नहीं होगी. इसके अलावा गुनगुने पानी में उंगलियों को कम से कम 15-20 मिनट तक डुबोकर रखें.
फ्रॉस्ट बाईट होने पर अगर उंगलियों में दर्द है तो इन्हें आपस में न रगड़ें इससे खून निकल सकता है. इसके अलावा फ्रॉस्ट बाईट की समस्या में बॉनफायर और हीटर के सामने ज्यादा देर न बैठें.
बर्फीली जगह पर जा रहें तो शरीर को हाइड्रेट करके जरूर रखें. डिहाइड्रेशन के कारण फ्रॉस्ट बाईट की समस्या बढ़ जाती है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.
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