नई दिल्ली: हम सभी लोग आमतौर पर केक काटकर अपना हैप्पी बर्थडे मनाते हैं. इसके लिए हम सबसे पहले अपने बर्थडे केक को खूब सारे कैंडल से सजाते हैं और फिर उसे फूंक से बुझाकर अपना केक काटते हैं. केक को इस तरह से काटने की परंपरा आज से नहीं बल्कि कई सालों से चली आ रही है. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर बर्थडे केक को काटने से पहले उसमें कैंडल क्यों लगाते हैं और इस कैंडल को हम क्यों अपनी फूंक से बुझाते हैं?
केक में कैंडल बुझाने की परंपरा
बर्थडे कैंडल में केक लगाने की यह परंपरा काफी सालों से चली आ रही है. वॉन्डरपॉलिस नाम की एक वेबसाइट के मुताबिक केक पर सबसे कैंडल लगाने और उसे बुझाने की परंपरा ग्रीस से शुरू हुई है. यहां के लोग अपने देवी-देवताओं को प्रसाद के रूप में मोमबत्तियां जलाते थे. माना जाता है कि केक पर मोमबत्तियां लगाना ग्रीक चंद्रमा देवी आर्टेमिस को श्रद्धांजलि देने का एक विशेष तरीका था. इसके लिए लोगों ने चंद्रमा के प्रतीक के रूप में गोल आकार के केक बनाए. वहीं इसमें चंद्रमा की रोशनी को दर्शाने के लिए मोमबत्तियां लगाई गईं.
मोमबत्ती बुझाने को लेकर अंझविश्वास
केक में कैंडल लगाने की ये परंपरा जर्मनी में भी काफी फेमस हुई. धार्मिक कारणों से जर्मनी के लोग अपने केक के बीच में एक बड़ी सी मोमबत्ती लगाते थे. यह मोमबत्ती 'जीवन की रोशनी' के प्रतीक के रूप में लगाई जाती थी. उस दौरान कई लोगों का मानना था कि कैंडल का धुआं उनकी इच्छाओं और प्रार्थनाओं को आसमान में रहने वाले देवताओं तक पहुंचाता है. वहीं कई लोग मानते थे कि यह धुआं उनको बुरी आत्माओं से दूर रखने में मदद करता है. इस अंधविश्वास को आज भी कई लोग मानते हैं.
केक में कैंडल क्यों नहीं बुझानी चाहिए?
कुस समय पहले अमेरिका की साउथ कैरोलिना यूनिवर्सिटी की ओर से की गई एक स्टडी के मुताबिक केक में कैंडल लगाकर उसे फूंक के जरिए बुझाना बिल्कुल भी सेफ नहीं है. रिसर्च के मुताबिक ऐसा करने से केक में हमारा सलाइवा फैल जाता है, जिससे इसमें 1,400% बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं, हालांकि कई वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे मुंह में कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं और इनमें से ज्यादातर बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते हैं. ऐसे में आप ये कोई इतनी गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन अगर कोई बीमार व्यक्ति अपनी फूंक से कैंडल को बुझा रहा है तो उस केक को खाने से बचें.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.
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