आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में भारत लगाएगा बड़ी छलांग

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में भारत अब एक बड़ी छलांग लगाने जा रहा है. यही वजह है कि मोदी सरकार ने इससे जुड़े शोध को बढ़ावा देने का काम मिशन मोड में शुरु किया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 21, 2019, 11:50 PM IST
    • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में भारत अब एक बड़ी छलांग लगाने जा रहा है
    • पीएम मोदी ने इसे बढ़ावा देने पर दिया जोर
    • इसके शोध को बढ़ावा देगी मोदी सरकार
 आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में भारत लगाएगा बड़ी छलांग

दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार और प्रोत्साहन देने के लिये भारत सरकार करीब 36 सौ करोड़ रुपए खर्च करेगी. सरकार ने इससे जुड़े शोध को बढ़ावा देने का काम मिशन मोड में शुरु किया है. इसके तहत आने वाले पांच सालों में करीब 12 हजार लोगों को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है.

पीएम मोदी ने इसे बढ़ावा देने पर दिया जोर

आपको बता दें कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) पर प्रधानमंत्री मोदी ने रुचि दिखाई है. कई मौकों पर वह इसे बढ़ावा देने की जरुरत पर जोर दे चुके है. फिलहाल मौजूदा समय में देश में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में शोध करने वालों लोगों की संख्या करीब 386 ही है, जबकि पूरी दुनिया में इससे जुड़े 22 हजार से ज्यादा शोधकर्ता है. 

इसके शोध को बढ़ावा देगी मोदी सरकार

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पिछले दिनों इससे जुड़ी एक रिपोर्ट संसद को भी दी है. जिसके तहत आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जुड़े शोध को बढ़ावा देने के लिए शुरु किए गए मिशन को एनएम-आईसीपीएस ( नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनअरी साइबर-फिजिकल सिस्टम) नाम दिया गया है. इसके अलावा इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी इस क्षेत्र में हाथ बंटा रहा है.

चीफ जस्टिस बोबडे ने दिया था जोर

चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने न्यायिक क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के भविष्य को लेकर बात की थी. उन्होंने कहा था कि कानून के क्षेत्र में एआई के भविष्य को लेकर गंभीर अध्ययन होना चाहिए. खासतौर से हमें यह देखना होगा कि न्यायिक फैसले लेने में यह कैसे मददगार हो सकता है. मगर यह भी ध्यान रखना होगा कि यह उसका विकल्प न बन जाए.

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