नई दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 25 फरवरी, 2021 को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम जारी किए थे.
इन नए नियमों का उद्देश्य एक ऐसा तंत्र स्थापित करना है, जो ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और न्यूज पब्लिशर्स को एक बेहतर ढांचा प्रदान कर सके.
हालांकि कुछ लोग इन नए नियमों की आलोचना भी कर रहे हैं. आइए हम आपको बताते हैं कि ये नए आईटी नियम किन मायनों में बेहतर हैं.
नए नियमों के अनुसार, अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अपना कंटेंट पांच श्रेणियों में बांटना होगा. U(यूनिवर्सल), U/A 7+, U/A 13+, U/A 16 + और A(वयस्क).
U/A 13+ और इससे ऊपर की श्रेणी के कंटेंट के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को पैरेंटल लॉक की सुविधा की आवश्यकता होगी.
A(वयस्क) कैटेगरी के कंटेंट के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को ऐज कन्फर्मेशन सिस्टम का पालन करना होगा.
डिजिटल मीडिया पर न्यूज पब्लिशर्स के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के जर्नलिस्टिक कंडक्ट ऑफ नॉर्म्स और केबल टेलीविजन नेटवर्क्स रेगुलेशन के तहत प्रोग्राम कोड का पालन करना आवश्यक होगा.
इन नए नियमों के आ जाने से भारतीय दर्शकों के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का उपयोग और सुलभ हो जाएगा. कंटेंट को श्रेणियों में बांट देने से बाल अधिकारों और मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में कमी आएगी.
भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी कंटेंट को पांच स्वतंत्र श्रेणियों में बांटा जा रहा है. अगर हम अंतरराष्ट्रीय नियामक के तौर पर सिंगापुर की इंफोकॉम मीडिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (IMDA) को देखें, तो इसके तहत डिफरेंट मीडिया के लिए भी सामान्य मीडिया नियामक का ही प्रयोग किया जाता रहा है.
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यहां 1 मार्च, 2018 से ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए नए नियम जारी किए गए हैं. इसके बाद से ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर इस्तेमाल किया गया कंटेंट सिंगापुर के फिल्म क्लासिफिकेशन गाइडलाइंस के अंतर्गत ही आना चाहिए.
सिंगापुर में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट को 6 श्रेणियों में बांट दिया गया है. जो कि G (जनरल), PG (पैरेंटल गाइडेंस), PG13 (13 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों के लिए पैरेंटल गाइडेंस), NC16 (16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए), M18 (18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए ) और R21 (21 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों के लिए प्रतिबंधित) हैं.
सिंगापुर की तरह ही अन्य कई देशों के सूचना प्रौद्योगिकी नियम ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट को श्रेणियों में बांट देते हैं. भारत ने भी इन्हें देशों के मॉडल को अपनाते हुए देश में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट को पांच श्रेणियों में बांट दिया है.
हालांकि कुछ लोगों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के इस तरह श्रेणियों में बांटने को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि डिजिटल कंटेंट का इस तरह का कैटेगराइजेशन अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म करता है.
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