क्या है संचार साथी पोर्टल, जिससे चोरी हुए फोन को ट्रैक करने में मिलेगी मदद

संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को लाखों लोगों को उनके खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन को ट्रैक करने में मदद करने के उद्देश्य से संचार साथी पोर्टल (डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू संचारसाथी डॉट गोव डॉट इन) लॉन्च किया.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 17, 2023, 04:02 PM IST
  • जानिए क्या है संचार पोर्टल
  • इसके फायदे बहुत सारे हैं
क्या है  संचार साथी पोर्टल, जिससे चोरी हुए फोन को ट्रैक करने में मिलेगी मदद

नई दिल्लीः संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को लाखों लोगों को उनके खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन को ट्रैक करने में मदद करने के उद्देश्य से संचार साथी पोर्टल (डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू संचारसाथी डॉट गोव डॉट इन) लॉन्च किया. इस पोर्टल की मदद से उपयोगकर्ता अपने सिम कार्ड नंबर तक भी पहुंच सकते हैं और अगर किसी को मालिक की आईडी के जरिए सिम का उपयोग करते हुए पाया जाता है तो उसे ब्लॉक कर सकते हैं.

जानिए क्या बोले वैष्णव
लॉन्च पर अपने संबोधन में वैष्णव ने कहा कि तीन सुधार - सीईआईआर (सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर), नो योर मोबाइल कनेक्शन और एएसटीआर (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड फेशियल रिकॉग्निशन पावर्ड सॉल्यूशन फॉर टेलीकॉम सिम सब्सक्राइबर वेरिफिकेशन) पेश किए गए हैं. सीईआईआर चोरी/खोए हुए मोबाइल को ब्लॉक करने के लिए है, जबकि अपने मोबाइल कनेक्शन को जानने के लिए आपके नाम पर पंजीकृत मोबाइल कनेक्शन को जानना है और एएसटीआर धोखेबाज ग्राहकों की पहचान करने में मदद करेगा.

मिलेगें ये फायदे
मंत्री ने कहा कि मोबाइल फोन के दुरुपयोग से पहचान की चोरी, जाली केवाईसी, बैंकिंग धोखाधड़ी जैसी विभिन्न धोखाधड़ी हो सकती है. उन्होंने कहा, "इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए इस पोर्टल को विकसित किया गया है. उपयोगकर्ता सुरक्षा भी दूरसंचार विधेयक के मसौदे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है."

मंत्री ने कहा, "संचार साथी पोर्टल का उपयोग करके 40 लाख से अधिक फर्जी कनेक्शनों की पहचान की गई है और 36 लाख से अधिक कनेक्शन अब तक काटे जा चुके हैं." इसको ऑनलाइन फ्रॉड जैसी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता था. इससे बचने के लिए सरकार ने संचार साथी पोर्टल पेश किया है. वही चोरी के मोबाइल फोन को रोकने में संचार साथी पोर्टल मदद करेगा. इस पोर्टल को पायलत प्रोजेक्ट के तहत कुछ शहरों में उपलब्ध कराया गया था. लेकिन अब इसे देश में रोलआउट कर दिया गया है.

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