नई दिल्ली. एम्स के डॉक्टरों की एक टीम ने पाया है कि आयुर्वेद की मधुमेह रोधी दवा ‘बीजीआर-34’ दीर्घकालीन रोगों से ग्रस्त मरीजों में मोटापा कम करने के साथ-साथ उपापचय (मेटाबोलिज़्म) तंत्र में सुधार करने में भी कारगर है. एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. सुधीर चंद्र सारंगी की निगरानी में तीन वर्ष तक चले अध्ययन के बाद टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है.
‘बीजीआर-34’ दवा को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के वैज्ञानिकों ने गहन शोध के बाद तैयार किया है. यह कई तरह के हर्बल को मिलकर बनाई गई है. इस दवा का विपणनन ‘एमिल फार्मास्युटिकल्स’ द्वारा किया जाता है.
अध्ययन का मकसद इस बात की पड़ताल करना था कि क्या यह दवा अपने आप में असरदार है या इसका एलोपैथ की अन्य दवाओं के साथ भी प्रयोग किया जाता है. इसके नतीजे में पता चला कि यह दवाई अकेले ही काफी कारगर है जो न सिर्फ रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करती है बल्कि कुछ अन्य फायदे भी पहुंचाती है, जैसे मोटापे में कमी लाना इत्यादि.
कैसे काम करती है यह दवा
दवा ‘हार्मोन प्रोफाइल’, ‘लिपिड प्रोफाइल’, ‘ट्राइग्लिसराइड्स’ का स्तर भी संतुलित करती है और ‘लेप्टिन’ में कमी लाती है जो शरीर में वसा को नियंत्रित करने में सहायक होता है. इसी तरह, ‘ट्राइग्लिसराइड्स’ एक बुरा कोलेस्ट्रॉल है जिसकी ज्यादा मात्रा शरीर के लिए नुकसानदायक होती है लेकिन अध्ययन में इसमें भी कमी दर्ज की गई है.
अध्ययन के मुताबिक, ‘लिपिड प्रोफाइल’ नियंत्रित रहने से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है जबकि ‘हार्मोन प्रोफाइल’ बिगड़ने से भूख नहीं लगना, नींद नहीं आना आदि जैसी समस्याएं पैदा होती हैं. यह अध्ययन मार्च 2019 में शुरू किया गया था और इसके निष्कर्ष जल्द ही एक शोध जर्नल में प्रकाशित किए जाएंगे.
हर्बल मेडिसिन को मिल रही भारी स्वीकृति
एमिल फार्मास्युटिकल्स’ के कार्यकारी निदेशक डॉ संचित शर्मा ने कहा कि हर्बल आधारित आयुर्वेद दवाओं को लोगों में भारी स्वीकृति मिल रही है. उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए सरकार ने भी इन उत्पादों की उपलब्धता बढ़ाने के उपाय किए हैं.