अब टी-सेल बचाएगी कोरोना रोगियों की जान

कोरोना से असली जंग लड़ते दुनिया भर के चिकित्सा वैज्ञानिक अपनी हरसम्भव कोशिश कर रहे हैं कि इस महामारी पर लगाम लगा सकें. अब एक उम्मीद की किरण ने इन वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया है और टी-सेल से कोरोना मरीजों की जान बचाने का एक नया रास्ता खुल गया लगता है..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 27, 2020, 10:24 PM IST
    • अब टी-सेल बचाएगी कोरोना रोगियों की जान
    • इम्यून सेल अर्थात टी-सेल ने खोला है रास्ता
    • ब्रिटेन के वैज्ञानिकों को जाता है श्रेय
    • टी-सेल है हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता
अब टी-सेल बचाएगी कोरोना रोगियों की जान

नई दिल्ली.  कोरोना से जूझते चिकित्सा वैज्ञानिकों का श्रम कारगर हुआ लगता है क्योंकि एक नई उम्मीद की किरण ने उनके चेहरों पर मुस्कान की रौशनी चमकाई है. और अब अगर आगे सब ठीक रहा तो लगता है कि कोरोना रोगियों के प्राण टी-सेल के सार्थक प्रयोग द्वारा बचाये जा सकेंगे.

 

इम्यून सेल अर्थात टी-सेल ने खोला है रास्ता 

कोरोना से दो-दो हाथ कर रहे वैज्ञानिकों की थकान गायब हो गई है जब से उनको पता चला है कि एक नई तकनीक द्वारा कोरोना रोगियों के प्राण बचाये जा सकते हैं. दरअसल गंभीर रूप से कोरोना-संक्रमित रोगियों में रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं (इम्यून सेल या टी-सेल) की संख्या बहुत कम हो जाती है. बस इसी बात को ध्यान में रख कर वैज्ञानिक सोच रहे हैं कि यदि इन टी-सेल की संख्या बढ़ा दी जाए तो क्या लोगों की जान बचाने की संभावना पैदा हो सकती है?

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों को जाता है श्रेय 

इस नए कोरोना-रोधी उपचार के अनुसंधान का श्रेय ब्रिटेन के वैज्ञानिकों को जाता है. इन वैज्ञानिकों ने टी-सेल के माध्यम से कोरोना रोगियों के उपचार का नवीन मार्ग प्रशस्त किया है और अब सैद्धांतिक रूप से इसकी सफलता के प्रति सहमति जताने के बाद उन्होंने इसका परीक्षण भी प्रारम्भ कर दिया है. यह उपाय दूसरे कई रोगों के उपचार में सफल सिद्ध हुआ है. 

टी-सेल है हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता 

विशेषज्ञ बताते हैं कि जब भी मानव शरीर पर कोई वायरस आक्रमण करता है तो उससे लड़ने और उसके द्वारा पैदा होने वाले रोग को शरीर से बाहर निकाल फेंकने का काम शरीर के अंदर स्थित हमारी जिन सेलों का होता है उनको ही टी-सेल कहा जाता है. स्वस्थ मानव शरीर में प्रति माइक्रोलीटर रक्त में सामान्य रूप से दो हज़ार से चार हज़ार आठ सौ तक टी-सेल होती हैं. इनको इन्हें टी-लिम्फोसाइट्स के नाम से भी जाना जाता है. कोरोना संक्रमण होने की स्थिति में रोगी के शरीर में टी-सेल की संख्या 200 से 1000 तक पहुंच जाती है और रोगी की दशा बिगड़ जाती है.

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