वैज्ञानिकों ने खोजा वह स्पॉट, जहां चिपकर कोरोना वायरस शरीर पर हमला करता है

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की सुसान डेनियल लैब में कोरोना वायरस पर रिसर्च चल रही है. अभी तक रिसर्च में पता लगाया गया कि इनफ्लुएंजा का वायरस और कोरोना वायरस शरीर की सेल्स में कैसे घुसता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, वायरस के शरीर में मौजूद सेल्स से चिपकने की एक बड़ी लंबी प्रक्रिया है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 10, 2020, 04:48 PM IST
    • कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की रिसर्च टीम को उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना वायरस की परत की रासायनिक प्रक्रिया को लेकर सकारात्मक खुलासा होगा.
    • सबसे पहले वायरस सही सेल की खोज करता है. इसके लिए सेल्स के आसपास मौजूद रसायन ही वायरस को बताते हैं कि यह सेल्स सही स्पॉट है या नहीं.
वैज्ञानिकों ने खोजा वह स्पॉट, जहां चिपकर कोरोना वायरस शरीर पर हमला करता है

नई दिल्लीः कोरोना महामारी से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारियां जारी हैं. दुनियाभर के वैज्ञानिक अभी केवल कोरोना से निपटने की प्लानिंग पर काम कर रहे हैं. कोई इसके लिए वैक्सीन बना रहा है, कोई फॉर्मूला तैयार कर रहा है. इन सबके बीच एक बात यही है कि अभी तक कोरोना वायरस का एंटीडोट तैयार नहीं हुआ है.

यही दुनिया भर के लिए चिंता की बात है. महामारी को हराने के लिए दुनिया की तमाम ताकतें अपने स्तर पर कोशिश कर रही हैं.कई तरह के दावे किए गए हैं. इस बीच वैज्ञानिकों के हाथों बड़ी सफलता लगी है. 

वैज्ञानिक ने खोजा बॉडी में कोरोना अटैक स्पॉच 
अभी तक कोरोना का एंटीडोट तैयार नहीं हुआ है. लेकिन, वैज्ञानिकों ने उस स्पॉट को खोज लिया है, जहां कोरोना वायरस की दवा असर करेगी. वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना के इलाज में यह पहली और बड़ी सफलता है. अमेरिका क कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक शोध किया है.

इस शोध में उस स्पॉट का पता लगाया गया है, जहां कोरोना वायरस चिपकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस का एंटीडोट उस स्पॉट पर असर करेगा. यानी कि दवा आपके शरीर में उसी जगह को ठीक करेगी जहां कोरोना वायरस की परतें होंगी. यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में वायरस के बायोलॉजिकल स्ट्रक्चर (सरंचना) और नेचर को सार्स (SARS) और मर्स (MERS) के बायोलॉजिकल स्ट्रक्चर से मिलाकर किया है. 

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तो यह वायरस चिपकता कहां है
वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटिन (कोरोना की बाहरी परत) शरीर की सेल्स (Cells) पर चिपकता है. धीरे-धीरे वो शरीर की सेल्स को संक्रमित करता है और नए वायरस को पैदा करता है. वैज्ञानिक ने अपनी रिसर्च में यह भी पाया कि कोरोना के डीएनए में शामिल जींस (Genome) बिल्कुल 2002 में फैली महामारी सार्स के जीनोम सिक्वेंस जैसे हैं. वैज्ञानिक हैरान हैं कि कोरोना वायरस के स्ट्रक्चर सार्स से 93 फीसदी मेल खाते हैं.

बॉडी में ऐसे अटैक करता है कोरोना
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की सुसान डेनियल लैब में कोरोना वायरस पर रिसर्च चल रही है. अभी तक रिसर्च में पता लगाया गया कि इनफ्लुएंजा का वायरस और कोरोना वायरस शरीर की सेल्स में कैसे घुसता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, वायरस के शरीर में मौजूद सेल्स से चिपकने की एक बड़ी लंबी प्रक्रिया है.

सबसे पहले वायरस सही सेल की खोज करता है. इसके लिए सेल्स के आसपास मौजूद रसायन ही वायरस को बताते हैं कि यह सेल्स सही स्पॉट है या नहीं. सही स्पॉट का सबसे पहले कोरोना वायरस की बाहरी परत (स्पाइक प्रोटिन) को पता चलता है. फिर वह स्पॉट (Cell) की सतह से चिपक जाता है.

ऐसे संक्रमित करता है कोरोना वायरस
कोरोना वायरस की बाहरी परत शरीर की सेल्स पर चिपकने के बाद उसे कमजोर बनाना शुरू करती है. इसके लिए वायरस सेल्स की परत में छेद करना शुरू करता है. छेद होने के बाद वायरस सेल्स में अपने जीनोम सिक्वेंस को भेजता है और इससे नए वायरस पैदा होते हैं.

वैज्ञानिकों की टीम ने पता लगाया कि कैल्शियम आयन वायरस के कंटीली परत के साथ संपर्क बनाने में मदद करते हैं. कैल्शियम आयन स्पाइक प्रोटीन (फ्यूजन प्रोटीन) के बायोलॉजिकल स्ट्रक्चर को भी बदल देते हैं. बिल्कुल ऐसा ही मर्स और सार्स के संक्रमण में देखने को मिला था. 

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सवालः क्या ऐसे खत्म होगा कोरोना वायरस
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की रिसर्च टीम को उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना वायरस की परत की रासायनिक प्रक्रिया को लेकर सकारात्मक खुलासा होगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इस रासायनिक प्रक्रिया को रोक दिया जाए तो वायरस सेल्स के संपर्क में नहीं आएगा और कुछ दिन में वैक्सीन के असर से मर जाएगा.

 

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