नई दिल्लीः अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं (चीन और अमेरिका) के बीच बातचीत का रास्ता खुला रखने रखने की दिशा में एक और कदम उठाते हुए शनिवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ संक्षिप्त बातचीत की.
हैरिस ने ट्वीट कर दी जानकारी
हैरिस और शी ने शनिवार को बैंकॉक में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) मंच के शिखर सम्मेलन में गोपनीय बैठक के दौरान अपने विचार एक-दूसरे के समक्ष रखे. हैरिस ने एक ट्वीट में कहा, 'मैंने राष्ट्रपति शी का अभिवादन किया.'
उन्होंने लिखा, 'मैंने राष्ट्रपति बाइडन के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति शी के साथ 14 नवंबर की अपनी मुलाकात के दौरान जोर देते हुए कहा था कि हमें दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा के जिम्मेदाराना प्रबंधन के लिए बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहिए.’
दोनों देशों के संबंध पटरी पर लाने की कवायद
चीन के विदेश मंत्रालय के एक संक्षिप्त बयान में इंडोनेशिया के बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन में बाइडेन-शी की बैठक का भी संदर्भ दिया गया है, जिसे उसने पारस्परिक संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए 'रणनीतिक और रचनात्मक' करार दिया है. बयान में कहा गया है कि उम्मीद है कि उपराष्ट्रपति कमला हैरिस दोनों देशों के संबंधों को पटरी पर लाने की दिशा में चीन के साथ सक्रिय भूमिका निभाएंगे.
अगले साल अमेरिका करेगा एपेक की अध्यक्षता
हैरिस ने बाद में एपेक की अध्यक्षता अमेरिका को सौंपे जाने से संबंधित समारोह में हिस्सा लिया. अमेरिका अगले साल समूह की बैठकों की मेजबानी करेगा. उन्होंने समारोह में उपस्थित नेताओं से कहा कि अमेरिका सतत आर्थिक विकास को लेकर एपेक पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगा.
उन्होंने कहा कि थाईलैंड ने इस साल नए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ मजबूत नींव रखी है. उन्होंने अपने गृह राज्य कैलिफोर्निया की प्रशंसा करते हुए कहा कि एपेक 2023 की मेजबानी के लिए कैलिफोर्निया से बेहतर कोई जगह नहीं है, जो आर्थिक नवाचार के लिए जाना जाता है.
हैरिस ने कहा, 'हमारा मेजबान वर्ष हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की स्थायी आर्थिक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेगा.' हैरिस ने शुक्रवार को एपेक की बैठक से इतर एक व्यापार सम्मेलन में कहा, 'अमेरिका हटने वाला नहीं है.'
हैरिस ने थाईलैंड पीएम से भी की मुलाकात
एपेक बैठक के बाद हैरिस ने थाई प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओचा से भी मुलाकात की. उनकी बातचीत का विवरण तुरंत उपलब्ध नहीं हो सका था, लेकिन ऐसा समझा जाता है कि इस दौरान दोनों नेताओं ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों, यूक्रेन में युद्ध और थाईलैंड के पड़ोसी देश म्यांमार में जारी संकट पर चर्चा की है.
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