चीन ने किया दावा, रूस के साथ पीस टॉक के लिए तैयार है यूक्रेन

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा का रुख उनके 2022 के रुख के विपरीत था जिसमें मॉस्को में मौजूदा नेतृत्व के साथ सभी वार्ताओं को खारिज कर दिया गया था.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 24, 2024, 08:45 PM IST
  • चीन के अधिकारियों ने किया दावा.
  • रूसी मीडिया हाउस ने की है रिपोर्ट.
चीन ने किया दावा, रूस के साथ पीस टॉक के लिए तैयार है यूक्रेन

बीजिंग. करीब सवा दो साल से जारी रूस के साथ युद्ध में अब यूक्रेन शांति वार्ता के लिए तैयार है. दरअसल यह दावा चीनी अधिकारियों ने किया है. चीन के अधिकारियों ने दावा किया है कि यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात के दौरान कहा कि यूक्रेन रूस के साथ संघर्ष समाप्त करने और एक न्यायपूर्ण तथा स्थायी शांति के लिए बातचीत के लिए तैयार है.

रूसी मीडिया ने की है रिपोर्ट
इस संबंध में रूसी मीडिया RT ने रिपोर्ट की है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन की राजधानी बीजिंग में पत्रकारों को संबोधित करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने शीर्ष यूक्रेनी राजनयिक की चीन यात्रा के एजेंडे के बारे में जानकारी साझा की. फरवरी 2022 में संघर्ष की शुरुआत के बाद यह वांग के साथ उनकी पहली वार्ता है. माओ ने बताया कि मॉस्को-कीव संघर्ष एजेंडे में शीर्ष पर था. कुलेबा ने कहा कि यूक्रेन रूस के साथ वार्ता और समझौता करने के लिए तैयार है.

यूक्रेन चाहता है तर्कसंगत वार्ता
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक वार्ता तर्कसंगत और ठोस होनी चाहिए जिसका उद्देश्य न्यायपूर्ण और स्थायी शांति हासिल करना हो. यूक्रेन के विदेश मंत्री कुलेबा की चीन यात्रा ऐसे समय में हुई है जब यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इस सप्ताह की शुरुआत में वेटिकन के विदेश मंत्री कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन से कहा था कि वह जल्द से जल्द संघर्ष समाप्त करना चाहते हैं. साथ ही उन्होंने रूस के साथ बातचीत के लिए तत्परता का संकेत दिया था.

2022 के विपरीत है रुख
कुलेबा का रुख उनके 2022 के रुख के विपरीत था जिसमें मॉस्को में मौजूदा नेतृत्व के साथ सभी वार्ताओं को खारिज कर दिया गया था और फिर उनके शांति फॉर्मूले को रूसी नेतृत्व ने भ्रामक बताकर खारिज कर दिया था. जून में यूक्रेन ने स्विट्जरलैंड में शांति शिखर सम्मेलन में भाग लिया था, जिसमें जेलेंस्की के फॉर्मूले के कई बिंदुओं पर चर्चा की गई थी. हालांकि इसमें मॉस्को को आमंत्रित नहीं किया गया था और बीजिंग ने भी इस कार्यक्रम से दूरी बनाई थी. उसका तर्क था कि रूस को इस प्रक्रिया का हिस्सा होना चाहिए.

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