नई दिल्ली: चीन भारत (China and india) का पानी चुराने की तैयारी में है. इस साजिश का असर भी भारत के कुछ इलाकों पर पड़ सकता है. दरअसल चीन की निगाह दो बड़ी नदियों पर है, एक सिंधु (Sindhu) और दूसरी ब्रह्मपुत्र (Brahmputra). चीन दुनिया की सबसे लंबी सुरंग के ज़रिए इन नदियों के जल भंडार को अपने राज्य में भेजने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.
तानाशाह जिनपिंग की 'मेगाटनल' साजिश
ज़ाहिर है माओ के चेले जिनपिंग (Xi jinping) की साजिश इंडियन सब कॉन्टिनेंट के उन इलाकों में पानी की किल्लत पैदा करने की है जो LAC के नज़दीक हैं. इसमें शामिल है लद्दाख (Laddakh) और अरुणाचल प्रदेश (Arunachal pradesh) का इलाका. चीन ने तिब्बत से शिंजियांग के बीच 1 ह़ज़ार किमी लंबी सुरंग बनाने का फैसला किया है. लंदन के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के मुताबिक चीन ब्रह्मपुत्र के पानी को सुरंग से शिंजियांग तक ले जाना चाहता है. ब्रह्मपुत्र का रुख बदलने का असर भारत के उन इलाकों पर पड़ेगा जहां से होकर ये नदी गुजरती है.
दो विशाल नदियां चीन की साजिश का शिकार
सिंधु और ब्रह्मपुत्र दोनों ही विशाल नदियां तिब्बत से शुरू होती हैं. सिंधु नदी नॉर्थ वेस्ट भारत से होकर पाकिस्तान के रास्ते अरब सागर में गिरती है. वहीं ब्रह्मपुत्र नदी नॉर्थ ईस्ट भारत के रास्ते बांग्लादेश में जाती है. सिंधु और ब्रह्मपुत्र दुनिया की बड़ी नदियों में शुमार होती हैं. चीन कई साल से ब्रह्मपुत्र नदी की दिशा बदलने में लगा हुआ है. चीन में ब्रह्मपुत्र नदी को यारलुंग जांगबो नाम से जाना जाता है. ब्रह्मपुत्र भूटान, अरुणाचल प्रदेश से होते हुए बहती है। ब्रह्मपुत्र और सिंधु दोनों ही नदियां चीन के शिंजियांग इलाके से निकलती हैं. इसी तरह सिंधु नदी लद्दाख से होते हुए पाकिस्तान पहुंचती है. अब जब सुरंग के ज़रिए दोनों नदियों की धारा बदलेगी तो इन इलाकों में पानी का महासंकट खड़ा होगा.
लद्दाख-अरुणाचल के पानी पर ड्रैगन की नज़र
चीन शिंजयांग प्रांत में पानी किल्लत दूर करने के लिए तिब्बत के पानी को चुराने को भी तैयार है. जिनपिंग की सरकार इस प्रोजेक्ट के हर एक किमी कंस्ट्रक्शन पर 14 करोड़ 73 लाख डॉलर खर्च कर रही है. खेल ये है कि चीन वॉटर को भारत के खिलाफ एक विपेन के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है. यही वजह है कि उसकी नज़र भारत भूमि पर समृद्धि की गारंटी बनकर प्रवाहित होती ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी पर है. हालांकि विशेषज्ञ ये भी कहते हैं कि चीन की ये साजिश इन इलाकों के इकोसिस्टम पर बुरा असर डालेगी. ऐसे में भारत को सचेत होने की ज़रूरत भी है. चीन की साजिशें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। भारत फिलहाल अपने संकल्प पर अडिग है। चीन के पाप का घड़ा जिस दिन भरेगा, उसी दिन से जिनपिंग के ख्वाबों के परखच्चे उड़ने भी शुरु हो जाएंगे.
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