नई दिल्ली. बांग्लादेश टेढ़ी आंख से देख रहा था भारत की तरफ. वजह बहुत छोटी सी थी लेकिन बांग्लादेश के लिए बड़ी थी. चीन ने गोदी में बैठा लिया था बांग्लादेश को तो अचानक उसे लगने लगा कि दक्षिण एशिया में वह विश्व की महाशक्ति है. और अब जब चीन ने झटका दिया है तो बांग्लादेश को अपनी औकात याद आ गई है.
'दोस्त' बांग्लादेश को तगड़ा झटका
कारण इस बार भारत नहीं था, अमेरिका था. बांग्लादेश ने चीन से भी ऊपर छलांग मारने की कोशिश को अंजाम देना चाहा और जैसे ही अमेरिका के साथ उसने ओपन स्काई संधि की तो चीन अपने असली रूप में आ गया. जबकि कुछ दिन पीछे जा कर देखें तो चीनी जिनपिंग बांग्लादेश के साथ स्ट्रैजिक पॉर्टनरशिप की तैयारियां करने की बात कर रहा था और दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊंचाईयों तक ले जाने की बात भारत को सुना रहा था.
स्काई संधि ने माहौल बदल दिया
चीन-बांग्लादेश प्यार की पींगे बढ़ने वाली थी उसके पहले ही उस पर ग्रहण लग गया. अमेरिका के साथ चीन की ओपन स्काई संधि ने माहौल बदल डाला. चीन ने दोस्ती की शक्ल वाला मुखौटा उतारा और बांग्लादेश को सामने दिखाई दिया एक गंदी शकल वाला ड्रैगन. चीन ने देर नहीं लगाई और बांग्लादेश से कहा कि- ''कोरोना वायरस वैक्सीन का ट्रायल फ्री में नहीं होगा, पैसे लगते हैं, पैसे दीजिये तो ट्रायल आगे बढ़ेगा.'' इसके बाद बांग्लादेश देखता रह गया और चीन की सिनोवेक कंपनी ने अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन का ट्रायल बांग्लादेश में बंद कर दिया.
ट्रायल के लिए मांग लिया पैसा
चीनी कंपनी ने बांग्लादेशी अधिकारियों से चीनी कम्पनी सिनोविक ने साफ़-साफ़ कह दिया कि- ''हम कोरोना वैक्सीन का ट्रायल आपके देश में न तो मुफ्त में कर सकते हैं न ही क्रेडिट पर. यदि ट्रायल चाहिए तो इसकी फंडिंग बांग्लादेश को करनी ही होगी.'' ये सुन कर चीन के तोते उड़ गए और झुमरी तलैया की तरफ निकल लिये.
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