नई दिल्ली. जहरीले चीन के खिलाफ भारत ने कमर कस ली है. हर स्तर पर जा कर चीन को पटखनी देने के लिए मोदी सरकार दृढ़प्रतिज्ञ है. चाहे वो लद्दाख सीमा की पहाड़ियां हों या साउथ चाइना सी का गहरा काला समुद्र, भारत की तैयारी पूरी है. अब गेंद चीन के पाले में है, अब वही होगा जो वो चाहेगा- शान्ति या युद्ध. शान्ति में चीन का ही हित है किन्तु युद्ध में चीन की दुर्गत है.
चीन ने मात पर कही बात
लद्दाख में चीन को अपमानजनक पराजय मिली है और सारी दुनिया के सामने चीन की नकली ताकत के दिखावे की कलई खुल गई है. इस मात पर से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए चीन ने गाना शुरू कर दिया है अपना पुराना तिब्बत राग. और साथ ही बेशर्मी से कह दिया है कि भारत की इस कार्रवाई के पीछे अमेरिका है !
भारत को बताया जिम्मेदार
चीन को लगता है कि उसकी धूर्ततापूर्ण बयानबाज़ी दुनिया में सुनी जाती है जबकि सच ये है कि चालबाज़ चीन की हर बात उसके खिलाफ ही जाती है. चीन अपनी इस आदत के मुताबिक़ लगातार बयानबाज़ी में लगा है. अब लद्दाख सीमा पर भारत के साथ जारी सैन्य-गतिरोध की जिम्मेदारी उसने भारत पर डाल दी है. चीन ने कहा है कि सीमा पर स्थिति बिगाड़ने के लिए भारत ही पूरी तरह जिम्मेदारी है.
''भारत ने किया सीमा समझौते का उल्लंघन''
आज 2 सितंबर को चीनी विदेश मंत्रालय से यह वक्तव्य जारी किया गया है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मंत्रालय के मीडिया प्रतिनिधि ने कहा कि सीमा पर हुए समझौते का उल्लंघन भारत की तरफ से किया गया है. भारत ने सीमा को पार करके द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया है. भारत ने चीन के इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया है.
ये भी पढ़ें. गुड है ये चॉकलेट - खूब खाइये, इम्युनिटी बढ़ाइये!