नई दिल्ली: चमगादड़ एक ऐसा जीव है जिसे रात के वक्त हमारे आस पास अक्सर देखा जा सकता है. चमगादड़ों को लेकर जारी एक हालिया स्टडी के अनुसार अब इनकी तादाद में तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है. लेकिन चमगादड़ों की कम होती तादाद इंसानों के लिए भी चिंता वाली बात है.
इंसानों के लिए मददगार हैं चमगादड़
चमगादड़ों को लेकर जारी की गई एक हालिया स्टडी यह बताती है कि चमगादड़ स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. वे पर्यावरण में पोषक तत्वों के प्रसार और पौधों के परागण में मददगार साबित होते हैं. वे कीटों को भी खाते हैं, जिससे खेती में कीटनाशकों की आवश्यकता कम हो जाती है. चमगादड़ हमारे पारिस्थितिक तंत्र को बहुत अधिक फायदा पहुंचाते हैं.
इस वजह से हो रही हैं चमगादड़ों की मौतें
मौसमी तौर पर चमगादड़ों के गायब होने से ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि दशकों से उत्तरी अमेरिका में चमगादड़ों की आबादी में गिरावट देखी जा रही है. वनों की कटाई से उनका आश्रय स्थल घटना, शहरीकरण और कृषि भूमि के विस्तार से चमगादड़ों के लिए उपयुक्त जगह की कमी होती जा रही है. साथ ही, फसलों पर कीटनाशकों के छिड़काव के कारण बड़ी संख्या में चमगादड़ों की मौत भी हो जाती है.
पालतू बिल्लियां भी हैं चमगादड़ों की दुश्मन
वैज्ञानिकों ने जिन चमगादड़ों पर अध्ययन किया, उनमें से एक चौथाई की जान बिल्लियों ने ली थी. यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है कि पालतू बिल्लियां वन्यजीवों की जान लेने के मामले में कुख्यात होती हैं. ऑस्ट्रेलिया में, एक अनुमान के मुताबिक आजाद घूमती पालतू बिल्लियां हर साल 39 करोड़ जंतुओं को मार डालती हैं. ये बिल्लियां न केवल चमगादड़ों के लिए बल्कि जैव विविधता के लिए भी खतरा पैदा करती हैं. आइसलैंड के कुछ शहरों ने अपने यहां पक्षियों की घटती आबादी को बचाने के लिए ‘कैट कर्फ्यू’ लागू किया है.
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