नई दिल्ली. दुनिया का एक घातक ड्रग सिंडिकेट है ये जिसे जाना जाता है गोल्डन ट्रायंगल के नाम से. दुनिया के लाखों करोड़ों नौजवानों को ड्रग के कुचक्र में फंसाने वाले इस कुख्यात ड्रग गैंग ने भारत में भी अपना जाल फेंका है और इसके गंदे कदम भारत में भी पड़ गए हैं.
गोल्डन ट्रायंगल की लगी भनक
सुशांत की मौत की जांच कर रही NCB अब धीरे धीरे मुंबई के ड्रग पैडलर्स से होते हुए कुख्यात गोल्डन ट्रायंगल के करीब पहुंच रही है. रिया चक्रवर्ती सलाखों के पीछे है बाकी ड्रगबाज भी धीरे-धीरे वहीं पहुंच रहे हैं. अब एनसीबी की शुरुआती जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है ड्रग ट्रैफिकिंग के बड़े बड़े स्तंभ दिखाई दे रहे हैं. अब इस जांच को गोल्डन ट्रायएंगल की भनक भी लग गई है.
क्या है गोल्डन ट्रायंगल
ड्रग्स कनेक्शन के इस बड़े मुकाम का नाम है गोल्डन ट्रायंगल जो म्यांमार, थाईलैंड और लाओस के बीच स्थित है. साउथ एशिया में ड्रग्स सप्लाई के सबसे बड़े स्त्रोत के नाम से बदनाम है ये ड्रग ट्रायंगल. ये ट्रायएंगल अखबारों की सुर्खियां नहीं बनता लेकिन एनसीबी के लिए यह भारत में ड्रग तस्करी का कुख्यात स्रोत है जिसका केंद्र बिंदु म्यांमार है. वैसे भी अफीम की खेती में म्यांमार काफी आगे रहा है.
गोल्डन ट्रायंगल का क्षेत्र
अवैध ड्रग्स का बड़ा कारोबार करने वाला गोल्डन ट्रायंगल का ये क्षेत्र थाइलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमाओं को छूता है जहां रुआक और मेकांग नदी आपस में मिलती हैं. अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए द्वारा इसके भौगोलिक स्वरुप को देख कर इसका नाम गोल्डन ट्रायंगल रखा है जो कि लगभग 950,000 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है.
हर नशे की होती है सप्लाई
गोल्डन ट्रायंगल से होकर भांग, गांजा, कोकीन जैसे मादक द्रव्य भारत में सप्लाई होते हैं. देश की सीमा के भीतर आने के लिए ये या तो समुद्री रास्ता चुनते हैं या सड़क मार्ग से चोरी-चोरी भीतर प्रवेश कर जाते हैं. भारत के अलावा पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान तक गोल्डन ट्रायंगल की ड्रग ट्रैफिकिंग चलती है.
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